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कुरान मजीद-40:67 सुरा ग़ाफ़िर हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

هُوَ ٱلَّذِي خَلَقَكُم مِّن تُرَابٖ ثُمَّ مِن نُّطۡفَةٖ ثُمَّ مِنۡ عَلَقَةٖ ثُمَّ يُخۡرِجُكُمۡ طِفۡلٗا ثُمَّ لِتَبۡلُغُوٓاْ أَشُدَّكُمۡ ثُمَّ لِتَكُونُواْ شُيُوخٗاۚ وَمِنكُم مَّن يُتَوَفَّىٰ مِن قَبۡلُۖ وَلِتَبۡلُغُوٓاْ أَجَلٗا مُّسَمّٗى وَلَعَلَّكُمۡ تَعۡقِلُونَ

लिप्यंतरण:( Huwal lazee khalaqakum min turaabin summa min nutfatin summa min 'alaqatin summa yukhrijukum tiflan summa litablughooo ashuddakum summa litakoonoo shuyookhaa; wa minkum mai yutawaffaa min qablu wa litablughooo ajalam musam manw-wa la'allakum ta'qiloon )

वही है, जिसने तुम्हें मिट्टी से पैदा किया, फिर वीर्य से, फिर जमे हुए रक्त से। फिर वह तुम्हें बच्चे के रूप में निकालता है। फिर (बड़ा करता है) ताकि तुम अपनी पूरी शक्ति को पहुँचो, फिर ताकि तुम बूढ़े हो जाओ, तथा तुममें कुछ इससे पहले ही मर जाते हैं। और (यह इसलिए होता है) ताकि तुम अपनी निश्चित आयु को पहुँच जाओ, तथा ताकि तुम समझो।[20]

सूरा ग़ाफ़िर आयत 67 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

20. अर्थात तुम यह समझो कि जो अल्लाह तुम्हें अस्तित्व में लाता है तथा गर्भ से लेकर आयु पूरी होने तक तुम्हारा पालन-पोषण करता है, तुम स्वयं अपने जीवन और मरण के विषय में कोई अधिकार नहीं रखते, तो फिर तुम्हें इबादत भी उसी एक की करनी चाहिए। यही समझ-बूझ का निर्णय है।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Muminun verse 67 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Muminun ayat 66 which provides the complete commentary from verse 66 through 68.

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