लिप्यंतरण:( Fakhtalafal ahzaabu min bainihim fawailul lillazeena kafaroo min mashhadi Yawmin 'azeem )
13. अर्थात अह्ले किताब के गिरोहों ने ईसा अलैहिस्सलाम की वास्तविकता जानने के पश्चात् उनके विषय में मतभेद किया। यहूदियों ने उसे जादूगर तथा वर्णसंकर (व्यभिचार से उत्पन्न व्यक्ति) कहा। और ईसाइयों के एक गिरोह ने कहा कि वह स्वयं अल्लाह है। दूसरे ने कहा : वह अल्लाह का पुत्र है। और उनके तीसरे कैथुलिक गिरोह ने कहा कि वह तीन में का तीसरा है। बड़े दिन से अभिप्राय प्रलय का दिन है।
The tafsir of Surah Maryam verse 37 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Maryam ayat 34 which provides the complete commentary from verse 34 through 37.
सूरा मरियम आयत 37 तफ़सीर (टिप्पणी)