लिप्यंतरण:( Zaalika bi annal lazeena kafarut taba'ul baatila wa annal lazeena aamanut taba'ul haqqa mir Rabbihim; kazaalika yadribul laahu linnaasi amsaalahum )
1. यह सूरत बद्र के युद्ध से पहले उतरी। जिसमें मक्का के काफ़िरों के आक्रमण से अपने धर्म और प्राण तथा मान-मर्यादा की रक्षा के लिए युद्ध करने की प्रेरणा तथा साहस और आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।
The tafsir of Surah Muhammad verse 3 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Muhammad ayat 1 which provides the complete commentary from verse 1 through 3.
सूरा Muhammadआयत 3 तफ़सीर (टिप्पणी)