लिप्यंतरण:( 'Iz yatalaqqal mutalaqqi yaani 'anil yameeni wa 'anish shimaali qa'eed )
5. अर्थात प्रत्येक व्यक्ति के दाएँ तथा बाएँ दो फ़रिश्ते नियुक्त हैं जो उसकी बातों तथा कर्मों को लिखते रहते हैं। जो दाएँ है वह पुण्य को लिखता है और जो बाएँ है वह पाप को लिखता है।
The tafsir of Surah Qaf verse 17 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Qaf ayat 16 which provides the complete commentary from verse 16 through 22.
सूरा क़ाफ़ आयत 17 तफ़सीर (टिप्पणी)