लिप्यंतरण:( Qad 'alimnaa maa tanqu-sul-ardu minhum wa 'indanaa Kitaabun Hafeez )
2. सुरक्षित रखने वाली पुस्तक से अभिप्राय "लौह़े मह़फ़ूज़" है। जिसमें जो कुछ उनके जीवन-मरण की दशाएँ हैं, वे पहले ही से लिखी हुई हैं। और जब अल्लाह का आदेश होगा तो उन्हें फिर बनाकर तैयार कर दिया जाएगा।
The tafsir of Surah Qaf verse 4 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Qaf ayat 1 which provides the complete commentary from verse 2 through 5.
सूरा क़ाफ़ आयत 4 तफ़सीर (टिप्पणी)