कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

ثُمَّ أَمَاتَهُۥ فَأَقۡبَرَهُۥ

फिर उसे मृत्यु दी, फिर उसे क़ब्र में रखवाया।

सूरह का नाम : Abasa   सूरह नंबर : 80   आयत नंबर: 21

ثُمَّ إِذَا شَآءَ أَنشَرَهُۥ

फिर जब वह चाहेगा, उसे उठाएगा।

सूरह का नाम : Abasa   सूरह नंबर : 80   आयत नंबर: 22

كَلَّا لَمَّا يَقۡضِ مَآ أَمَرَهُۥ

हरगिज़ नहीं, अभी तक उसने उसे पूरा नहीं किया, जिसका अल्लाह ने उसे आदेश दिया था।[3]

तफ़्सीर:

3. (17-23) तक विश्वासहीनों पर धिक्कार है कि यदि वे अपने अस्तित्व पर विचार करें कि हमने कितनी तुच्छ वीर्य की बूँद से उसकी रचना की तथा अपनी दया से उसे चेतना और समझ दी। परंतु इन सब उपकारों को भूलकर कृतघ्न बना हुआ है, और उपासना अन्य की करता है।

सूरह का नाम : Abasa   सूरह नंबर : 80   आयत नंबर: 23

فَلۡيَنظُرِ ٱلۡإِنسَٰنُ إِلَىٰ طَعَامِهِۦٓ

अतः इनसान को चाहिए कि अपने भोजन को देखे।

सूरह का नाम : Abasa   सूरह नंबर : 80   आयत नंबर: 24

أَنَّا صَبَبۡنَا ٱلۡمَآءَ صَبّٗا

कि हमने ख़ूब पानी बरसाया।

सूरह का नाम : Abasa   सूरह नंबर : 80   आयत नंबर: 25

ثُمَّ شَقَقۡنَا ٱلۡأَرۡضَ شَقّٗا

फिर हमने धरती को विशेष रूप से फाड़ा।

सूरह का नाम : Abasa   सूरह नंबर : 80   आयत नंबर: 26

فَأَنۢبَتۡنَا فِيهَا حَبّٗا

फिर हमने उसमें अनाज उगाया।

सूरह का नाम : Abasa   सूरह नंबर : 80   आयत नंबर: 27

وَعِنَبٗا وَقَضۡبٗا

तथा अंगूर और (मवेशियों का) चारा।

सूरह का नाम : Abasa   सूरह नंबर : 80   आयत नंबर: 28

وَزَيۡتُونٗا وَنَخۡلٗا

तथा ज़ैतून और खजूर के पेड़।

सूरह का नाम : Abasa   सूरह नंबर : 80   आयत नंबर: 29

وَحَدَآئِقَ غُلۡبٗا

तथा घने बाग़।

सूरह का नाम : Abasa   सूरह नंबर : 80   आयत नंबर: 30

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