कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

وَإِن لَّمۡ تُؤۡمِنُواْ لِي فَٱعۡتَزِلُونِ

और अगर तुम मेरी बात नहीं मानते, तो मुझसे दूर रहो।

सूरह का नाम : Ad-Dukhan   सूरह नंबर : 44   आयत नंबर: 21

فَدَعَا رَبَّهُۥٓ أَنَّ هَـٰٓؤُلَآءِ قَوۡمٞ مُّجۡرِمُونَ

अंततः उसने अपने पालनहार को पुकारा कि निःसंदेह ये अपराधी लोग हैं।

सूरह का नाम : Ad-Dukhan   सूरह नंबर : 44   आयत नंबर: 22

فَأَسۡرِ بِعِبَادِي لَيۡلًا إِنَّكُم مُّتَّبَعُونَ

अतः तुम मेरे बंदों को लेकर रातों-रात चले जाओ। निःसंदेह तुम्हारा पीछा किया जाएगा।

सूरह का नाम : Ad-Dukhan   सूरह नंबर : 44   आयत नंबर: 23

وَٱتۡرُكِ ٱلۡبَحۡرَ رَهۡوًاۖ إِنَّهُمۡ جُندٞ مُّغۡرَقُونَ

तथा सागर को अपनी दशा पर ठहरा हुआ छोड़ दे। निःसंदेह वे एक ऐसी सेना हैं, जो डुबोए जाने वाले हैं।

सूरह का नाम : Ad-Dukhan   सूरह नंबर : 44   आयत नंबर: 24

كَمۡ تَرَكُواْ مِن جَنَّـٰتٖ وَعُيُونٖ

वे कितने ही बाग़ और जल स्रोत छोड़ गए।

सूरह का नाम : Ad-Dukhan   सूरह नंबर : 44   आयत नंबर: 25

وَزُرُوعٖ وَمَقَامٖ كَرِيمٖ

तथा खेतियाँ और बढ़िया स्थान।

सूरह का नाम : Ad-Dukhan   सूरह नंबर : 44   आयत नंबर: 26

وَنَعۡمَةٖ كَانُواْ فِيهَا فَٰكِهِينَ

तथा सुख-सामग्री, जिनमें वे आनंद ले रहे थे।

सूरह का नाम : Ad-Dukhan   सूरह नंबर : 44   आयत नंबर: 27

كَذَٰلِكَۖ وَأَوۡرَثۡنَٰهَا قَوۡمًا ءَاخَرِينَ

ऐसा ही हुआ और हमने उनका उत्तराधिकारी दूसरे[4] लोगों को बना दिया।

तफ़्सीर:

4. अर्थात बनी इसराईल (याक़ूब अलैहिस्सलाम की संतान) को।

सूरह का नाम : Ad-Dukhan   सूरह नंबर : 44   आयत नंबर: 28

فَمَا بَكَتۡ عَلَيۡهِمُ ٱلسَّمَآءُ وَٱلۡأَرۡضُ وَمَا كَانُواْ مُنظَرِينَ

फिर न उनपर आकाश और धरती रोए और न वे मोहलत पाने वाले हुए।

सूरह का नाम : Ad-Dukhan   सूरह नंबर : 44   आयत नंबर: 29

وَلَقَدۡ نَجَّيۡنَا بَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ مِنَ ٱلۡعَذَابِ ٱلۡمُهِينِ

तथा निःसंदेह हमने इसराईल की संतान को अपमानकारी यातना से बचा लिया।

सूरह का नाम : Ad-Dukhan   सूरह नंबर : 44   आयत नंबर: 30

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