कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

مِن فِرۡعَوۡنَۚ إِنَّهُۥ كَانَ عَالِيٗا مِّنَ ٱلۡمُسۡرِفِينَ

फ़िरऔन से। निःसंदेह वह हद से बढ़ने वालों में से एक सरकश व्यक्ति था।

सूरह का नाम : Ad-Dukhan   सूरह नंबर : 44   आयत नंबर: 31

وَلَقَدِ ٱخۡتَرۡنَٰهُمۡ عَلَىٰ عِلۡمٍ عَلَى ٱلۡعَٰلَمِينَ

तथा निःसंदेह हमने उन्हें ज्ञान के आधार पर संसार वासियों पर चुन लिया।

सूरह का नाम : Ad-Dukhan   सूरह नंबर : 44   आयत नंबर: 32

وَءَاتَيۡنَٰهُم مِّنَ ٱلۡأٓيَٰتِ مَا فِيهِ بَلَـٰٓؤٞاْ مُّبِينٌ

तथा हमने उन्हें ऐसी निशानियाँ प्रदान कीं, जिनमें खुली परीछा थी।

सूरह का नाम : Ad-Dukhan   सूरह नंबर : 44   आयत नंबर: 33

إِنَّ هَـٰٓؤُلَآءِ لَيَقُولُونَ

निःसंदेह ये[5] लोग निश्चय कहते हैं।

तफ़्सीर:

5. अर्थात मक्का के मुश्रिक कहते हैं कि सांसारिक जीवन ही अंतिम जीवन है। इसके पश्चात् परलोक का जीवन नहीं है।

सूरह का नाम : Ad-Dukhan   सूरह नंबर : 44   आयत नंबर: 34

إِنۡ هِيَ إِلَّا مَوۡتَتُنَا ٱلۡأُولَىٰ وَمَا نَحۡنُ بِمُنشَرِينَ

कि हमारी इस पहली मृत्यु के सिवा कोई (मृत्यु) नहीं, और न हम कभी दोबारा उठाए जाएँगे।

सूरह का नाम : Ad-Dukhan   सूरह नंबर : 44   आयत नंबर: 35

فَأۡتُواْ بِـَٔابَآئِنَآ إِن كُنتُمۡ صَٰدِقِينَ

तो तुम हमारे बाप-दादा को ले आओ, यदि तुम सच्चे हो?

सूरह का नाम : Ad-Dukhan   सूरह नंबर : 44   आयत नंबर: 36

أَهُمۡ خَيۡرٌ أَمۡ قَوۡمُ تُبَّعٖ وَٱلَّذِينَ مِن قَبۡلِهِمۡ أَهۡلَكۡنَٰهُمۡۚ إِنَّهُمۡ كَانُواْ مُجۡرِمِينَ

क्या ये लोग बेहतर हैं, अथवा तुब्बा' की जाति[6] तथा वे लोग जो उनसे पूर्व थे? हमने उन्हें विनष्ट कर दिया। निःसंदेह वे अपराधी थे।

तफ़्सीर:

6. तुब्बा' की जाति से अभिप्राय यमन की जाति सबा है। जिसके विनाश का वर्णन सूरत सबा में किया गया है। तुब्बा' ह़िम्यर जाति के शासकों की उपाधि थी जिसे उनकी अवज्ञा के कारण ध्वस्त कर दिया गया। (देखिए : सूरत सबा की आयत : 15 से 19 तक।)

सूरह का नाम : Ad-Dukhan   सूरह नंबर : 44   आयत नंबर: 37

وَمَا خَلَقۡنَا ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضَ وَمَا بَيۡنَهُمَا لَٰعِبِينَ

और हमने आकाशों और धरती को और जो कुछ उनके बीच है, खेलते हुए नहीं बनाया है।

सूरह का नाम : Ad-Dukhan   सूरह नंबर : 44   आयत नंबर: 38

مَا خَلَقۡنَٰهُمَآ إِلَّا بِٱلۡحَقِّ وَلَٰكِنَّ أَكۡثَرَهُمۡ لَا يَعۡلَمُونَ

हमने उन दोनों को सत्य ही के साथ पैदा किया है, किंतु उनमें से अधिकतर लोग नहीं जानते।

सूरह का नाम : Ad-Dukhan   सूरह नंबर : 44   आयत नंबर: 39

إِنَّ يَوۡمَ ٱلۡفَصۡلِ مِيقَٰتُهُمۡ أَجۡمَعِينَ

निश्चय फ़ैसले[7] का दिन उन सब का नियत समय है।

तफ़्सीर:

7. अर्थात आकाशों तथा धरती की रचना लोगों की परीक्षा के लिए की गई है। और परीक्षा फल के लिए प्रलय का समय निर्धारित कर दिया गया है।

सूरह का नाम : Ad-Dukhan   सूरह नंबर : 44   आयत नंबर: 40

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