कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

يُصۡلِحۡ لَكُمۡ أَعۡمَٰلَكُمۡ وَيَغۡفِرۡ لَكُمۡ ذُنُوبَكُمۡۗ وَمَن يُطِعِ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُۥ فَقَدۡ فَازَ فَوۡزًا عَظِيمًا

वह तुम्हारे लिए तुम्हारे कर्मों को सुधार देगा, तथा तुम्हारे पापों को क्षमा कर देगा और जो अल्लाह तथा उसके रसूल का आज्ञापालन करे, उसने बड़ी सफलता प्राप्त कर ली।

सूरह का नाम : Al-Ahzab   सूरह नंबर : 33   आयत नंबर: 71

إِنَّا عَرَضۡنَا ٱلۡأَمَانَةَ عَلَى ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ وَٱلۡجِبَالِ فَأَبَيۡنَ أَن يَحۡمِلۡنَهَا وَأَشۡفَقۡنَ مِنۡهَا وَحَمَلَهَا ٱلۡإِنسَٰنُۖ إِنَّهُۥ كَانَ ظَلُومٗا جَهُولٗا

हमने अमानत[47] को आकाशों और धरती तथा पर्वतों के समक्ष प्रस्तुत किया, लेकिन उन सबने उसका भार उठाने से इनकार कर दिया और वे उससे डर गए। परंतु इनसान ने उसे उठा लिया। निःसंदेह वह बड़ा ही अत्याचारी[48] औ बहुत अज्ञानी है।

तफ़्सीर:

47. अमानत से अभिप्राय, धार्मिक नियम हैं जिनके पालन का दायित्व तथा भार अल्लाह ने मनुष्य पर रखा है। और उसमें उनका पालन करने की योग्यता रखी है, जो योग्यता आकाशों तथा धरती और पर्वतों को नहीं दी है। 48. अर्थात इस अमानत का भार लेकर भी अपने दायित्व को पूरा न करके स्वयं अपने ऊपर अत्याचार करता है।

सूरह का नाम : Al-Ahzab   सूरह नंबर : 33   आयत नंबर: 72

لِّيُعَذِّبَ ٱللَّهُ ٱلۡمُنَٰفِقِينَ وَٱلۡمُنَٰفِقَٰتِ وَٱلۡمُشۡرِكِينَ وَٱلۡمُشۡرِكَٰتِ وَيَتُوبَ ٱللَّهُ عَلَى ٱلۡمُؤۡمِنِينَ وَٱلۡمُؤۡمِنَٰتِۗ وَكَانَ ٱللَّهُ غَفُورٗا رَّحِيمَۢا

ताकि अल्लाह मुनाफ़िक़ पुरुषों तथा मुनाफ़िक़ स्त्रियों और मुश्रिक पुरुषों तथा मुश्रिक स्त्रियों को यातना दे, तथा अल्लाह ईमान वाले पुरुषों तथा ईमान वाली स्त्रियों की तौबा क़बूल करे। और अल्लाह अति क्षमाशील, बड़ा दयावान् है।

सूरह का नाम : Al-Ahzab   सूरह नंबर : 33   आयत नंबर: 73

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