कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

أَرَءَيۡتَ إِن كَانَ عَلَى ٱلۡهُدَىٰٓ

क्या आपने देखा यदि वह सीधे मार्ग पर हो।

सूरह का नाम : Al-Alaq   सूरह नंबर : 96   आयत नंबर: 11

أَوۡ أَمَرَ بِٱلتَّقۡوَىٰٓ

या अल्लाह से डरने का आदेश देता हो?

सूरह का नाम : Al-Alaq   सूरह नंबर : 96   आयत नंबर: 12

أَرَءَيۡتَ إِن كَذَّبَ وَتَوَلَّىٰٓ

क्या आपने देखा यदि उसने झुठलाया तथा मुँह फेरा?[3]

तफ़्सीर:

3. (9-13) इन आयतों में उनपर धिक्कार है जो नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के विरोध पर तुल गए। और इस्लाम और मुसलमानों की राह में रुकावट डालते और नमाज़ से रोकते हैं।

सूरह का नाम : Al-Alaq   सूरह नंबर : 96   आयत नंबर: 13

أَلَمۡ يَعۡلَم بِأَنَّ ٱللَّهَ يَرَىٰ

क्या उसने नहीं जाना कि अल्लाह देख रहा है?

सूरह का नाम : Al-Alaq   सूरह नंबर : 96   आयत नंबर: 14

كَلَّا لَئِن لَّمۡ يَنتَهِ لَنَسۡفَعَۢا بِٱلنَّاصِيَةِ

कदापि नहीं, निश्चय यदि वह नहीं माना, तो हम अवश्य उसे माथे की लट पकड़कर घसीटेंगे।

सूरह का नाम : Al-Alaq   सूरह नंबर : 96   आयत नंबर: 15

نَاصِيَةٖ كَٰذِبَةٍ خَاطِئَةٖ

ऐसे माथे की लट जो झूठा और पापी है।

सूरह का नाम : Al-Alaq   सूरह नंबर : 96   आयत नंबर: 16

فَلۡيَدۡعُ نَادِيَهُۥ

तो वह अपनी सभा को बुला ले।

सूरह का नाम : Al-Alaq   सूरह नंबर : 96   आयत नंबर: 17

سَنَدۡعُ ٱلزَّبَانِيَةَ

हम भी जहन्नम के फ़रिश्तों को बुला लेंगे।[4]

तफ़्सीर:

4. (14-18) इन आयतों में सत्य के विरोधी को दुष्परिणाम की चेतावनी है।

सूरह का नाम : Al-Alaq   सूरह नंबर : 96   आयत नंबर: 18

۩ كَلَّا لَا تُطِعۡهُ وَٱسۡجُدۡۤ وَٱقۡتَرِب

कदापि नहीं, आप उसकी बात न मानें, (बल्कि) सजदा करें और (अल्लाह के) निकट हो जाएँ।[5]

तफ़्सीर:

5. (19) इस में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और आपके माध्यम से साधारण मुसलमानों को निर्देश दिया गया है कि सहनशीलता के साथ किसी धमकी पर ध्यान न देते हुए नमाज़ अदा करते रहो ताकि इसके द्वारा तुम अल्लाह के समीप हो जाओ।

सूरह का नाम : Al-Alaq   सूरह नंबर : 96   आयत नंबर: 19

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