بَلۡ إِيَّاهُ تَدۡعُونَ فَيَكۡشِفُ مَا تَدۡعُونَ إِلَيۡهِ إِن شَآءَ وَتَنسَوۡنَ مَا تُشۡرِكُونَ
बल्कि तुम उसी को पुकारोगे, फिर वह दूर कर देगा (उस विपत्ति को) जिसके लिए तुम उसे पुकारोगे, यदि उसने चाहा, और तुम भूल जाओगे जिसे साझी बनाते हो।[33]
وَلَقَدۡ أَرۡسَلۡنَآ إِلَىٰٓ أُمَمٖ مِّن قَبۡلِكَ فَأَخَذۡنَٰهُم بِٱلۡبَأۡسَآءِ وَٱلضَّرَّآءِ لَعَلَّهُمۡ يَتَضَرَّعُونَ
और निःसंदेह हमने आपसे पहले कई समुदायों की ओर रसूल भेजे, फिर हमने उन्हें दरिद्रता और कष्ट के साथ पकड़ा, ताकि वे गिड़गिड़ाएँ।[34]
فَلَوۡلَآ إِذۡ جَآءَهُم بَأۡسُنَا تَضَرَّعُواْ وَلَٰكِن قَسَتۡ قُلُوبُهُمۡ وَزَيَّنَ لَهُمُ ٱلشَّيۡطَٰنُ مَا كَانُواْ يَعۡمَلُونَ
फिर वे क्यों न गिड़गिड़ाए, जब उनपर हमारी यातना आई? परंतु उनके दिल कठोर हो गए तथा शैतान ने उनके लिए उसे सुंदर बना[35] दिया, जो कुछ वे किया करते थे।
فَلَمَّا نَسُواْ مَا ذُكِّرُواْ بِهِۦ فَتَحۡنَا عَلَيۡهِمۡ أَبۡوَٰبَ كُلِّ شَيۡءٍ حَتَّىٰٓ إِذَا فَرِحُواْ بِمَآ أُوتُوٓاْ أَخَذۡنَٰهُم بَغۡتَةٗ فَإِذَا هُم مُّبۡلِسُونَ
फिर जब वे उसको भूल गए, जिसका उन्हें उपदेश दिया गया था, तो हमने उनपर हर चीज़ के द्वार खोल दिए। यहाँ तक कि जब वे उन चीज़ों पर खुश हो गए, जो उन्हें दी गई थीं, हमने उन्हें अचानक पकड़ लिया तो वे निराश होकर रह गए।
فَقُطِعَ دَابِرُ ٱلۡقَوۡمِ ٱلَّذِينَ ظَلَمُواْۚ وَٱلۡحَمۡدُ لِلَّهِ رَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
तो उन लोगों की जड़ काट दी गई, जिन्होंने अत्याचार किया। और सब प्रशंसा अल्लाह ही के लिए है, जो सारे संसारों का पालनहार है।
قُلۡ أَرَءَيۡتُمۡ إِنۡ أَخَذَ ٱللَّهُ سَمۡعَكُمۡ وَأَبۡصَٰرَكُمۡ وَخَتَمَ عَلَىٰ قُلُوبِكُم مَّنۡ إِلَٰهٌ غَيۡرُ ٱللَّهِ يَأۡتِيكُم بِهِۗ ٱنظُرۡ كَيۡفَ نُصَرِّفُ ٱلۡأٓيَٰتِ ثُمَّ هُمۡ يَصۡدِفُونَ
ऐ नबी! आप कह दें कि भला बताओ तो सही कि यदि अल्लाह तुम्हारे सुनने तथा देखने की शक्ति छीन ले और तुम्हारे दिलों पर मुहर लगा दे, तो अल्लाह के सिवा कौन-सा पूज्य है, जो तुम्हें ये चीज़ें लाकर दे? देखो, हम कैसे तरह-तरह से आयतें[36] बयान करते हैं, फिर (भी) वे मुँह फेर लेते[37] हैं।
قُلۡ أَرَءَيۡتَكُمۡ إِنۡ أَتَىٰكُمۡ عَذَابُ ٱللَّهِ بَغۡتَةً أَوۡ جَهۡرَةً هَلۡ يُهۡلَكُ إِلَّا ٱلۡقَوۡمُ ٱلظَّـٰلِمُونَ
आप कह दें, भला बताओ तो सही कि यदि तुमपर अल्लाह की यातना अचानक या खुल्लम-खुल्ला आ जाए, तो क्या अत्याचारी लोगों के सिवा कोई और विनष्ट किया जाएगा?
وَمَا نُرۡسِلُ ٱلۡمُرۡسَلِينَ إِلَّا مُبَشِّرِينَ وَمُنذِرِينَۖ فَمَنۡ ءَامَنَ وَأَصۡلَحَ فَلَا خَوۡفٌ عَلَيۡهِمۡ وَلَا هُمۡ يَحۡزَنُونَ
और हम रसूलों को केवल इसलिए भेजते हैं कि वे (आज्ञाकारियों को) शुभ सूचना दें तथा (अवज्ञाकारियों को) डराएँ। फिर जो व्यक्ति ईमान ले आए और अपना सुधार कर ले, तो उनपर कोई भय नहीं और न वे शोकाकुल होंगे।
وَٱلَّذِينَ كَذَّبُواْ بِـَٔايَٰتِنَا يَمَسُّهُمُ ٱلۡعَذَابُ بِمَا كَانُواْ يَفۡسُقُونَ
और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया, उन्हें यातना पहुँचेगी इस कारणवश कि वे अवज्ञा करते थे।
قُل لَّآ أَقُولُ لَكُمۡ عِندِي خَزَآئِنُ ٱللَّهِ وَلَآ أَعۡلَمُ ٱلۡغَيۡبَ وَلَآ أَقُولُ لَكُمۡ إِنِّي مَلَكٌۖ إِنۡ أَتَّبِعُ إِلَّا مَا يُوحَىٰٓ إِلَيَّۚ قُلۡ هَلۡ يَسۡتَوِي ٱلۡأَعۡمَىٰ وَٱلۡبَصِيرُۚ أَفَلَا تَتَفَكَّرُونَ
(ऐ नबी!) आप कह दें : मैं तुमसे यह नहीं कहता कि मेरे पास अल्लाह के ख़ज़ाने हैं, और न मैं परोक्ष (ग़ैब) का ज्ञान रखता हूँ, और न मैं तुमसे यह कहता हूँ कि मैं कोई फ़रिश्ता हूँ। मैं तो केवल उसी का अनुसरण करता हूँ, जो मेरी ओर वह़्य (प्रकाशना) की जाती है। आप कह दें : क्या अंधा[38] और देखने वाला बराबर होते हैं? तो क्या तुम सोच-विचार नहीं करते?