وَوَهَبۡنَا لَهُۥٓ إِسۡحَٰقَ وَيَعۡقُوبَ نَافِلَةٗۖ وَكُلّٗا جَعَلۡنَا صَٰلِحِينَ
और हमने उन्हें इसहाक़ प्रदान किया और उसके अतिरिक्त याक़ूब भी। और हमने हर एक को नेक बनाया।
सूरह का नाम : Al-Anbiya सूरह नंबर : 21 आयत नंबर: 72
وَجَعَلۡنَٰهُمۡ أَئِمَّةٗ يَهۡدُونَ بِأَمۡرِنَا وَأَوۡحَيۡنَآ إِلَيۡهِمۡ فِعۡلَ ٱلۡخَيۡرَٰتِ وَإِقَامَ ٱلصَّلَوٰةِ وَإِيتَآءَ ٱلزَّكَوٰةِۖ وَكَانُواْ لَنَا عَٰبِدِينَ
और हमने उन्हें ऐसे अग्रणी (पेशवा) बनाया, जो हमारे आदेशानुसार (लोगों को) सही राह दिखाते थे। और हमने उनकी ओर नेक कार्य करने, नमाज़ क़ायम करने और ज़कात देने की वह़्य (प्रकाशना) की। और वे केवल हमारी इबादत करने वाले थे।
सूरह का नाम : Al-Anbiya सूरह नंबर : 21 आयत नंबर: 73
وَلُوطًا ءَاتَيۡنَٰهُ حُكۡمٗا وَعِلۡمٗا وَنَجَّيۡنَٰهُ مِنَ ٱلۡقَرۡيَةِ ٱلَّتِي كَانَت تَّعۡمَلُ ٱلۡخَبَـٰٓئِثَۚ إِنَّهُمۡ كَانُواْ قَوۡمَ سَوۡءٖ فَٰسِقِينَ
और लूत को हमने निर्णय शक्ति और ज्ञान दिया और उसे उस बस्ती से बचा लिया, जो गंदे काम किया करती थी। निश्चय वे बुरे, अवज्ञा करने वाले लोग थे।
सूरह का नाम : Al-Anbiya सूरह नंबर : 21 आयत नंबर: 74
وَأَدۡخَلۡنَٰهُ فِي رَحۡمَتِنَآۖ إِنَّهُۥ مِنَ ٱلصَّـٰلِحِينَ
और हमने उन्हें अपनी दया में दाख़िल कर लिया। निःसंदेह वह सदाचारियों में से थे।
सूरह का नाम : Al-Anbiya सूरह नंबर : 21 आयत नंबर: 75
وَنُوحًا إِذۡ نَادَىٰ مِن قَبۡلُ فَٱسۡتَجَبۡنَا لَهُۥ فَنَجَّيۡنَٰهُ وَأَهۡلَهُۥ مِنَ ٱلۡكَرۡبِ ٱلۡعَظِيمِ
तथा नूह को (याद करो) जब उन्होंने इससे पहले (अल्लाह को) पुकारा, तो हमने उनकी दुआ क़बूल कर ली, फिर उन्हें और उनके घर वालों को बड़े कष्ट से बचा लिया।
सूरह का नाम : Al-Anbiya सूरह नंबर : 21 आयत नंबर: 76
وَنَصَرۡنَٰهُ مِنَ ٱلۡقَوۡمِ ٱلَّذِينَ كَذَّبُواْ بِـَٔايَٰتِنَآۚ إِنَّهُمۡ كَانُواْ قَوۡمَ سَوۡءٖ فَأَغۡرَقۡنَٰهُمۡ أَجۡمَعِينَ
और हमने उन लोगों के विरुद्ध उनकी मदद की, जिन्होंने हमारी निशानियों को झुठलाया। निःसंदेह वे बुरे लोग थे। अतः हमने उन सभी को डुबो दिया।
सूरह का नाम : Al-Anbiya सूरह नंबर : 21 आयत नंबर: 77
وَدَاوُۥدَ وَسُلَيۡمَٰنَ إِذۡ يَحۡكُمَانِ فِي ٱلۡحَرۡثِ إِذۡ نَفَشَتۡ فِيهِ غَنَمُ ٱلۡقَوۡمِ وَكُنَّا لِحُكۡمِهِمۡ شَٰهِدِينَ
तथा दाऊद और सुलैमान को (याद करो), जब वे दोनों खेत के विषय में निर्णय कर रहे थे, जब रात के समय उसमें अन्य लोगों की बकरियाँ फैल गईं थीं, और हम उनके निर्णय के समय उपस्थित थे।
सूरह का नाम : Al-Anbiya सूरह नंबर : 21 आयत नंबर: 78
فَفَهَّمۡنَٰهَا سُلَيۡمَٰنَۚ وَكُلًّا ءَاتَيۡنَا حُكۡمٗا وَعِلۡمٗاۚ وَسَخَّرۡنَا مَعَ دَاوُۥدَ ٱلۡجِبَالَ يُسَبِّحۡنَ وَٱلطَّيۡرَۚ وَكُنَّا فَٰعِلِينَ
तो हमने वह (निर्णय) सुलैमान[29] को समझा दिया। और हमने हर एक को हुक्म (नुबुव्वत या निर्णय-शक्ति) और ज्ञान प्रदान किया। और हमने पहाड़ों को दाऊद के अधीन कर दिया, जो (अल्लाह की) पवित्रता का गान करते थे, तथा पक्षियों को भी। और हम ही (इस कार्य के) करने वाले थे।
तफ़्सीर:
29. ह़दीस में वर्णित है कि दो नारियों के साथ शिशु थे। भेड़िया आया और एक को ले गया, तो एक ने दूसरे से कहा कि तुम्हारे शिशु को ले गया है और निर्णय के लिए दाऊद के पास गईं। उन्होंने बड़ी के लिए निर्णय कर दिया। फिर वे सुलैमान अलैहिस्सलाम के पास आयीं, उन्होंने कहा : छुरी लाओ, मैं तुम दोनों के लिए दो भाग कर दूँ। तो छोटी ने कहा : ऐसा न करें, अल्लाह आप पर दया करे, यह उसी का शिशु है। यह सुनकर उन्होंने छोटी के पक्ष में निर्णय कर दिया। ( बुख़ारी : 3427, मुस्लिम :1720)
सूरह का नाम : Al-Anbiya सूरह नंबर : 21 आयत नंबर: 79
وَعَلَّمۡنَٰهُ صَنۡعَةَ لَبُوسٖ لَّكُمۡ لِتُحۡصِنَكُم مِّنۢ بَأۡسِكُمۡۖ فَهَلۡ أَنتُمۡ شَٰكِرُونَ
तथा हमने उन्हें (दाऊद को) तुम्हारे लिए कवच बनाना सिखाया, ताकि वह तुम्हारी लड़ाई से तुम्हारी रक्षा करे। तो क्या तुम शुक्रिया अदा करने वाले हो?
सूरह का नाम : Al-Anbiya सूरह नंबर : 21 आयत नंबर: 80
وَلِسُلَيۡمَٰنَ ٱلرِّيحَ عَاصِفَةٗ تَجۡرِي بِأَمۡرِهِۦٓ إِلَى ٱلۡأَرۡضِ ٱلَّتِي بَٰرَكۡنَا فِيهَاۚ وَكُنَّا بِكُلِّ شَيۡءٍ عَٰلِمِينَ
और तेज़ चलने वाली हवा को सुलैमान के अधीन कर दिया, जो उसके आदेश[30] से उस धरती की ओर चलती थी, जिसमें हमने बरकत रखी और हम हर चीज़ को जानने वाले थे।
तफ़्सीर:
30. अर्थात वायु उनके सिंहासन को उनके राज्य में जहाँ चाहते क्षणों में पहुँचा देती थी।
सूरह का नाम : Al-Anbiya सूरह नंबर : 21 आयत नंबर: 81