وَمِمَّنۡ خَلَقۡنَآ أُمَّةٞ يَهۡدُونَ بِٱلۡحَقِّ وَبِهِۦ يَعۡدِلُونَ
और उन लोगों में से जिन्हें हमने पैदा किया कुछ लोग ऐसे हैं, जो सत्य के साथ मार्गदर्शन करते और उसी के अनुसार न्याय करते हैं।
सूरह का नाम : Al-Araf सूरह नंबर : 7 आयत नंबर: 181
وَٱلَّذِينَ كَذَّبُواْ بِـَٔايَٰتِنَا سَنَسۡتَدۡرِجُهُم مِّنۡ حَيۡثُ لَا يَعۡلَمُونَ
और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया, हम उन्हें धीरे-धीरे (विनाश तक) ऐसे खींच कर ले जाएँगे कि उन्हें इसका ज्ञान नहीं होगा।
सूरह का नाम : Al-Araf सूरह नंबर : 7 आयत नंबर: 182
وَأُمۡلِي لَهُمۡۚ إِنَّ كَيۡدِي مَتِينٌ
और मैं उन्हें मोहलत दूँगा। निःसंदेह मेरा गुप्त उपाय बहुत मज़बूत है।
सूरह का नाम : Al-Araf सूरह नंबर : 7 आयत नंबर: 183
أَوَلَمۡ يَتَفَكَّرُواْۗ مَا بِصَاحِبِهِم مِّن جِنَّةٍۚ إِنۡ هُوَ إِلَّا نَذِيرٞ مُّبِينٌ
और क्या उन्होंने विचार नहीं किया कि उनके साथी[70] में कोई पागलपन नहीं है? वह तो केवल खुले रूप से सचेत करने वाला है।
तफ़्सीर:
70. साथी से अभिप्राय मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हैं, जिनको नबी होने से पहले वही लोग "अमीन" कहते थे।
सूरह का नाम : Al-Araf सूरह नंबर : 7 आयत नंबर: 184
أَوَلَمۡ يَنظُرُواْ فِي مَلَكُوتِ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ وَمَا خَلَقَ ٱللَّهُ مِن شَيۡءٖ وَأَنۡ عَسَىٰٓ أَن يَكُونَ قَدِ ٱقۡتَرَبَ أَجَلُهُمۡۖ فَبِأَيِّ حَدِيثِۭ بَعۡدَهُۥ يُؤۡمِنُونَ
क्या उन्होंने आकाशों तथा धरती के विशाल राज्य पर और जो चीज़ भी अल्लाह ने पैदा की है, उसपर दृष्टि नहीं डाली[71], और इस बात पर कि हो सकता है कि उनका (निर्धारित) समय बहुत निकट आ गया हो? तो फिर इस (क़ुरआन) के बाद वे किस बात पर ईमान लाएँगे?
तफ़्सीर:
71. अर्थात यदि ये विचार करें, तो इस पूरे विश्व की व्यवस्था और उसका एक-एक कण अल्लाह के अस्तित्व और उसके गुणों का प्रमाण है। और उसी ने मानव जीवन की व्यवस्था के लिए नबियों को भेजा है।
सूरह का नाम : Al-Araf सूरह नंबर : 7 आयत नंबर: 185
مَن يُضۡلِلِ ٱللَّهُ فَلَا هَادِيَ لَهُۥۚ وَيَذَرُهُمۡ فِي طُغۡيَٰنِهِمۡ يَعۡمَهُونَ
जिसे अल्लाह पथभ्रष्ट कर दे, उसे कोई मार्गदर्शन करने वाला नहीं और वह उन्हें उनकी सरकशी में भटकते हुए छोड़ देता है।
सूरह का नाम : Al-Araf सूरह नंबर : 7 आयत नंबर: 186
يَسۡـَٔلُونَكَ عَنِ ٱلسَّاعَةِ أَيَّانَ مُرۡسَىٰهَاۖ قُلۡ إِنَّمَا عِلۡمُهَا عِندَ رَبِّيۖ لَا يُجَلِّيهَا لِوَقۡتِهَآ إِلَّا هُوَۚ ثَقُلَتۡ فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۚ لَا تَأۡتِيكُمۡ إِلَّا بَغۡتَةٗۗ يَسۡـَٔلُونَكَ كَأَنَّكَ حَفِيٌّ عَنۡهَاۖ قُلۡ إِنَّمَا عِلۡمُهَا عِندَ ٱللَّهِ وَلَٰكِنَّ أَكۡثَرَ ٱلنَّاسِ لَا يَعۡلَمُونَ
(ऐ नबी!) वे आपसे क़ियामत के विषय में पूछते हैं कि वह कब घटित होगी? कह दें कि उसका ज्ञान तो मेरे पालनहार ही के पास है। उसे उसके समय पर वही प्रकट करेगा। वह आकाशों तथा धरती में बहुत भारी है। तुमपर अचानक ही आएगी। वे आपसे ऐसे पूछ रहे हैं, जैसे कि आप उसी की खोज में लगे हुए हों। आप कह दें कि उसका ज्ञान तो अल्लाह ही के पास है। परंतु[72] अधिकांश लोग (इस तथ्य को) नहीं जानते।
तफ़्सीर:
72. मक्का के मिश्रणवादी आपसे उपहास स्वरूप प्रश्न करते थे कि यदि प्रलय होना सत्य है, तो बताओ बह कब होगी?
सूरह का नाम : Al-Araf सूरह नंबर : 7 आयत नंबर: 187
قُل لَّآ أَمۡلِكُ لِنَفۡسِي نَفۡعٗا وَلَا ضَرًّا إِلَّا مَا شَآءَ ٱللَّهُۚ وَلَوۡ كُنتُ أَعۡلَمُ ٱلۡغَيۡبَ لَٱسۡتَكۡثَرۡتُ مِنَ ٱلۡخَيۡرِ وَمَا مَسَّنِيَ ٱلسُّوٓءُۚ إِنۡ أَنَا۠ إِلَّا نَذِيرٞ وَبَشِيرٞ لِّقَوۡمٖ يُؤۡمِنُونَ
आप कह दें कि मैं अपने लिए किसी लाभ और हानि का मालिक नहीं हूँ, परंतु जो अल्लाह चाहे। और यदि मैं ग़ैब (परोक्ष) का ज्ञान रखता होता, तो अवश्य बहुत अधिक भलाइयाँ प्राप्त कर लेता और मुझे कोई कष्ट नहीं पहुँचता। मैं तो केवल उन लोगों को सावधान करने वाला तथा शुभ सूचना देने वाला हूँ, जो ईमान (विश्वास) रखते हैं।
सूरह का नाम : Al-Araf सूरह नंबर : 7 आयत नंबर: 188
۞هُوَ ٱلَّذِي خَلَقَكُم مِّن نَّفۡسٖ وَٰحِدَةٖ وَجَعَلَ مِنۡهَا زَوۡجَهَا لِيَسۡكُنَ إِلَيۡهَاۖ فَلَمَّا تَغَشَّىٰهَا حَمَلَتۡ حَمۡلًا خَفِيفٗا فَمَرَّتۡ بِهِۦۖ فَلَمَّآ أَثۡقَلَت دَّعَوَا ٱللَّهَ رَبَّهُمَا لَئِنۡ ءَاتَيۡتَنَا صَٰلِحٗا لَّنَكُونَنَّ مِنَ ٱلشَّـٰكِرِينَ
वही (अल्लाह) है, जिसने तुम्हें एक जान[73] से पैदा किया और उसी से उसका जोड़ा बनाया, ताकि वह उसके पास सुकून हासिल करे। फिर जब उस (पति) ने उस (पत्नी) से सहवास किया, तो उसको हल्का सा गर्भ रह गया। तो वह उसे लेकर चलती फिरती रही, फिर जब वह बोझल हो गई, तो दोनों (पति-पत्नी) ने अपने पालनहार अल्लाह से दुआ की : निःसंदेह यदि तूने हमें अच्छा स्वस्थ बच्चा प्रदान किया, तो हम अवश्य ही आभार प्रकट करने वालों में से होंगे।
तफ़्सीर:
73. अर्थात आदम अलैहिस्सलाम से।
सूरह का नाम : Al-Araf सूरह नंबर : 7 आयत नंबर: 189
فَلَمَّآ ءَاتَىٰهُمَا صَٰلِحٗا جَعَلَا لَهُۥ شُرَكَآءَ فِيمَآ ءَاتَىٰهُمَاۚ فَتَعَٰلَى ٱللَّهُ عَمَّا يُشۡرِكُونَ
फिर जब उस (अल्लाह) ने उन्हें एक स्वस्थ बच्चा प्रदान कर दिया, तो दोनों ने उस (अल्लाह) के लिए उसमें साझी बना लिए, जो उसने उन्हें प्रदान किया था। तो अल्लाह उससे बहुत ऊँचा है जो वे साझी बनाते हैं।[74]
तफ़्सीर:
74. इन आयतों में यह बताया गया है कि मिश्रणवादी स्वस्थ बच्चे अथवा किसी भी आवश्यकता अथवा आपदा निवारण के लिए अल्लाह ही से प्रार्थना करते हैं। और जब स्वस्थ सुंदर बच्चा पैदा हो जाता है, तो देवी-देवताओं और पीरों के नाम चढ़ावे चढ़ाने लगते हैं और इसे उन्हीं की दया समझते हैं।
सूरह का नाम : Al-Araf सूरह नंबर : 7 आयत नंबर: 190