قَالَ يَٰقَوۡمِ لَيۡسَ بِي ضَلَٰلَةٞ وَلَٰكِنِّي رَسُولٞ مِّن رَّبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
उसने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! मुझमें कोई गुमराही नहीं है, बल्कि मैं सारे संसारों के पालनहार की ओर से एक रसूल हूँ।
सूरह का नाम : Al-Araf सूरह नंबर : 7 आयत नंबर: 61
أُبَلِّغُكُمۡ رِسَٰلَٰتِ رَبِّي وَأَنصَحُ لَكُمۡ وَأَعۡلَمُ مِنَ ٱللَّهِ مَا لَا تَعۡلَمُونَ
मैं तुम्हें अपने पालनहार के संदेश पहुँचाता हूँ और तुम्हारी भलाई चाहता हूँ और अल्लाह की ओर से वे बातें जानता हूँ, जो तुम नहीं जानते।
सूरह का नाम : Al-Araf सूरह नंबर : 7 आयत नंबर: 62
أَوَعَجِبۡتُمۡ أَن جَآءَكُمۡ ذِكۡرٞ مِّن رَّبِّكُمۡ عَلَىٰ رَجُلٖ مِّنكُمۡ لِيُنذِرَكُمۡ وَلِتَتَّقُواْ وَلَعَلَّكُمۡ تُرۡحَمُونَ
क्या तुम्हें इस पार आश्चर्य हुआ कि तुम्हारे पास तुम्हारे पालनहार की ओर से तुम्हीं में से एक आदमी पर नसीहत आई, ताकि वह तुम्हें डराए और ताकि तुम बच जाओ और ताकि तुमपर दया की जाए?
सूरह का नाम : Al-Araf सूरह नंबर : 7 आयत नंबर: 63
فَكَذَّبُوهُ فَأَنجَيۡنَٰهُ وَٱلَّذِينَ مَعَهُۥ فِي ٱلۡفُلۡكِ وَأَغۡرَقۡنَا ٱلَّذِينَ كَذَّبُواْ بِـَٔايَٰتِنَآۚ إِنَّهُمۡ كَانُواْ قَوۡمًا عَمِينَ
फिर उन्होंने उसे झुठला दिया, तो हमने उसे और उन लोगों को, जो नाव में उसके साथ थे, बचा लिया और उन लोगों को डुबो दिया, जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया। निश्चय ही वे अंधे लोग थे।
सूरह का नाम : Al-Araf सूरह नंबर : 7 आयत नंबर: 64
۞وَإِلَىٰ عَادٍ أَخَاهُمۡ هُودٗاۚ قَالَ يَٰقَوۡمِ ٱعۡبُدُواْ ٱللَّهَ مَا لَكُم مِّنۡ إِلَٰهٍ غَيۡرُهُۥٓۚ أَفَلَا تَتَّقُونَ
और 'आद'[28] (जाति) की ओर उनके भाई हूद को (भेजा)। उसने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! अल्लाह की इबादत करो। उसके सिवा तुम्हारा कोई पूज्य नहीं। तो क्या तुम नहीं डरते?
तफ़्सीर:
28. नूह़ की जाति के पश्चात अरब में 'आद' जाति का उत्थान हुआ। जिसका निवास स्थान अह़क़ाफ़ का क्षेत्र था। जो ह़िजाज तथा यमामा के बीच स्थित है। उनकी आबादियाँ उमान से ह़ज़रमौत और इराक़ तक फैली हुई थीं।
सूरह का नाम : Al-Araf सूरह नंबर : 7 आयत नंबर: 65
قَالَ ٱلۡمَلَأُ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ مِن قَوۡمِهِۦٓ إِنَّا لَنَرَىٰكَ فِي سَفَاهَةٖ وَإِنَّا لَنَظُنُّكَ مِنَ ٱلۡكَٰذِبِينَ
उसकी जाति में से उन सरदारों ने, जिन्होंने कुफ़्र किया, कहा : निःसंदेह हम निश्चय तुझे एक प्रकार की मूर्खता में (पीड़ित) देख रहे हैं और निःसंदेह हम निश्चय तुझे झूठे लोगों में से समझते हैं।
सूरह का नाम : Al-Araf सूरह नंबर : 7 आयत नंबर: 66
قَالَ يَٰقَوۡمِ لَيۡسَ بِي سَفَاهَةٞ وَلَٰكِنِّي رَسُولٞ مِّن رَّبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
उसने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! मुझमें कोई मूर्खता नहीं है, बल्कि मैं सारे संसारों के पालनहार की ओर से एक रसूल हूँ।
सूरह का नाम : Al-Araf सूरह नंबर : 7 आयत नंबर: 67
أُبَلِّغُكُمۡ رِسَٰلَٰتِ رَبِّي وَأَنَا۠ لَكُمۡ نَاصِحٌ أَمِينٌ
मैं तुम्हें अपने पालनहार के संदेश पहुँचाता हूँ और मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार हितैषी हूँ।
सूरह का नाम : Al-Araf सूरह नंबर : 7 आयत नंबर: 68
أَوَعَجِبۡتُمۡ أَن جَآءَكُمۡ ذِكۡرٞ مِّن رَّبِّكُمۡ عَلَىٰ رَجُلٖ مِّنكُمۡ لِيُنذِرَكُمۡۚ وَٱذۡكُرُوٓاْ إِذۡ جَعَلَكُمۡ خُلَفَآءَ مِنۢ بَعۡدِ قَوۡمِ نُوحٖ وَزَادَكُمۡ فِي ٱلۡخَلۡقِ بَصۜۡطَةٗۖ فَٱذۡكُرُوٓاْ ءَالَآءَ ٱللَّهِ لَعَلَّكُمۡ تُفۡلِحُونَ
क्या तुम्हें इस पार आश्चर्य हुआ कि तुम्हारे पास तुम्हारे पालनहार की ओर से तुम्हीं में से एक आदमी पर नसीहत आई, ताकि वह तुम्हें डराए तथा याद करो, जब उसने तुम्हें नूह़ की जाति के बाद उत्तराधिकारी बनाया और तुम्हें डील-डौल में भारी-भरकम बनाया। अतः अल्लाह की नेमतों को याद[29] करो, ताकि तुम्हें सफलता प्राप्त हो।
तफ़्सीर:
29. अर्थात उसके आज्ञाकारी तथा कृतज्ञ बनो।
सूरह का नाम : Al-Araf सूरह नंबर : 7 आयत नंबर: 69
قَالُوٓاْ أَجِئۡتَنَا لِنَعۡبُدَ ٱللَّهَ وَحۡدَهُۥ وَنَذَرَ مَا كَانَ يَعۡبُدُ ءَابَآؤُنَا فَأۡتِنَا بِمَا تَعِدُنَآ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّـٰدِقِينَ
उन्होंने कहा : क्या तू हमारे पास इसलिए आया है कि हम अकेले अल्लाह की इबादत करें और उन्हें छोड़ दें जिनकी पूजा हमारे बाप-दादा करते थे? तो जिसकी तू हमें धमकी देता है, वह हमारे ऊपर ले आ, यदि तू सच्चों में से है।
सूरह का नाम : Al-Araf सूरह नंबर : 7 आयत नंबर: 70