إِنَّكُمۡ لَتَأۡتُونَ ٱلرِّجَالَ شَهۡوَةٗ مِّن دُونِ ٱلنِّسَآءِۚ بَلۡ أَنتُمۡ قَوۡمٞ مُّسۡرِفُونَ
निःसंदेह तुम स्त्रियों को छोड़कर काम-वासना की पूर्ति के लिए पुरुषों के पास आते हो। बल्कि तुम सीमा का उल्लंघन[34] करने वाले हो।
وَمَا كَانَ جَوَابَ قَوۡمِهِۦٓ إِلَّآ أَن قَالُوٓاْ أَخۡرِجُوهُم مِّن قَرۡيَتِكُمۡۖ إِنَّهُمۡ أُنَاسٞ يَتَطَهَّرُونَ
और उसकी जाति का उत्तर इसके सिवा कुछ न था कि उन्होंने कहा : इन्हें अपनी बस्ती से बाहर निकालो। निःसंदेह ये ऐसे लोग हैं जो बड़े पाक बनते हैं।
فَأَنجَيۡنَٰهُ وَأَهۡلَهُۥٓ إِلَّا ٱمۡرَأَتَهُۥ كَانَتۡ مِنَ ٱلۡغَٰبِرِينَ
तो हमने उसे तथा उसके घर वालों को बचा लिया, उसकी पत्नी को छोड़कर, वह पीछे रहने वालों में से थी।
وَأَمۡطَرۡنَا عَلَيۡهِم مَّطَرٗاۖ فَٱنظُرۡ كَيۡفَ كَانَ عَٰقِبَةُ ٱلۡمُجۡرِمِينَ
और हमने उनपर (पत्थरों की) भारी बारिश बरसाई। तो देखो अपराधियों का परिणाम कैसा हुआ?
وَإِلَىٰ مَدۡيَنَ أَخَاهُمۡ شُعَيۡبٗاۚ قَالَ يَٰقَوۡمِ ٱعۡبُدُواْ ٱللَّهَ مَا لَكُم مِّنۡ إِلَٰهٍ غَيۡرُهُۥۖ قَدۡ جَآءَتۡكُم بَيِّنَةٞ مِّن رَّبِّكُمۡۖ فَأَوۡفُواْ ٱلۡكَيۡلَ وَٱلۡمِيزَانَ وَلَا تَبۡخَسُواْ ٱلنَّاسَ أَشۡيَآءَهُمۡ وَلَا تُفۡسِدُواْ فِي ٱلۡأَرۡضِ بَعۡدَ إِصۡلَٰحِهَاۚ ذَٰلِكُمۡ خَيۡرٞ لَّكُمۡ إِن كُنتُم مُّؤۡمِنِينَ
तथा मद्यन[35] की ओर उनके भाई शुऐब को (भेजा)। उसने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! अल्लाह की इबादत करो, उसके सिवा तुम्हारा कोई पूज्य नहीं। निःसंदेह तुम्हारे पास तुम्हारे पालनहार की ओर से एक स्पष्ट प्रमाण आ चुका है। अतः पूरा-पूरा नाप और तौलकर दो और लोगों की चीज़ों में कमी न करो। तथा धरती में उसके सुधार के पश्चात बिगाड़ न फैलाओ। यही तुम्हारे लिए बेहतर है, यदि तुम ईमानवाले हो।
وَلَا تَقۡعُدُواْ بِكُلِّ صِرَٰطٖ تُوعِدُونَ وَتَصُدُّونَ عَن سَبِيلِ ٱللَّهِ مَنۡ ءَامَنَ بِهِۦ وَتَبۡغُونَهَا عِوَجٗاۚ وَٱذۡكُرُوٓاْ إِذۡ كُنتُمۡ قَلِيلٗا فَكَثَّرَكُمۡۖ وَٱنظُرُواْ كَيۡفَ كَانَ عَٰقِبَةُ ٱلۡمُفۡسِدِينَ
तथा प्रत्येक मार्ग पर न बैठो कि (लोगों को) धमकाते हो और उसको अल्लाह के रास्ते रोकते हो, जो उसपर ईमान लाए[36], और उसमें टेढ़ापन खोजते हो। तथा याद करो जब तुम थोड़े थे, तो उसने तुम्हें अधिक कर दिया। तथा देखो बिगाड़ पैदा करने वालों का परिणाम कैसा हुआ?
وَإِن كَانَ طَآئِفَةٞ مِّنكُمۡ ءَامَنُواْ بِٱلَّذِيٓ أُرۡسِلۡتُ بِهِۦ وَطَآئِفَةٞ لَّمۡ يُؤۡمِنُواْ فَٱصۡبِرُواْ حَتَّىٰ يَحۡكُمَ ٱللَّهُ بَيۡنَنَاۚ وَهُوَ خَيۡرُ ٱلۡحَٰكِمِينَ
और यदि तुममें से एक समूह उसपर ईमान लाया है, जिसके साथ मैं भेजा गया हूँ और दूसरा समूह ईमान नहीं लाया, तो तुम धैर्य रखो, यहाँ तक कि अल्लाह हमारे बीच निर्णय कर दे और वह सब निर्णय करने वालों से बेहतर है।
۞قَالَ ٱلۡمَلَأُ ٱلَّذِينَ ٱسۡتَكۡبَرُواْ مِن قَوۡمِهِۦ لَنُخۡرِجَنَّكَ يَٰشُعَيۡبُ وَٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ مَعَكَ مِن قَرۡيَتِنَآ أَوۡ لَتَعُودُنَّ فِي مِلَّتِنَاۚ قَالَ أَوَلَوۡ كُنَّا كَٰرِهِينَ
उसकी जाति के उन प्रमुखों ने कहा जो बड़े बने हुए थे कि ऐ शुऐब! हम तुझे तथा उन लोगों को जो तेरे साथ ईमान लाए हैं, अपने नगर से अवश्य ही निकाल देंगे, या हर हाल में तुम हमारे धर्म में वापस आओगे। (शुऐब ने) कहा : क्या अगरचे हम नापसंद करने वाले हों?
قَدِ ٱفۡتَرَيۡنَا عَلَى ٱللَّهِ كَذِبًا إِنۡ عُدۡنَا فِي مِلَّتِكُم بَعۡدَ إِذۡ نَجَّىٰنَا ٱللَّهُ مِنۡهَاۚ وَمَا يَكُونُ لَنَآ أَن نَّعُودَ فِيهَآ إِلَّآ أَن يَشَآءَ ٱللَّهُ رَبُّنَاۚ وَسِعَ رَبُّنَا كُلَّ شَيۡءٍ عِلۡمًاۚ عَلَى ٱللَّهِ تَوَكَّلۡنَاۚ رَبَّنَا ٱفۡتَحۡ بَيۡنَنَا وَبَيۡنَ قَوۡمِنَا بِٱلۡحَقِّ وَأَنتَ خَيۡرُ ٱلۡفَٰتِحِينَ
निश्चय हमने अल्लाह पर झूठ गढ़ा यदि हम तुम्हारे धर्म में फिर आ जाएँ, इसके बाद कि अल्लाह ने हमें उससे बचा लिया। और हमारे लिए संभव नहीं कि हम उसमें फिर आ जाएँ, परंतु यह कि हमारा पालनहार अल्लाह ही ऐसा चाहे। हमारा पालनहार प्रत्येक वस्तु को अपने ज्ञान के घेरे में लिए हुए है। हमने अल्लाह ही पर भरोसा किया। ऐ हमारे पालनहार! हमारे और हमारी जाति के बीच न्याय के साथ निर्णय कर दे। और तू सब निर्णय करने वालों से बेहतर है।
وَقَالَ ٱلۡمَلَأُ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ مِن قَوۡمِهِۦ لَئِنِ ٱتَّبَعۡتُمۡ شُعَيۡبًا إِنَّكُمۡ إِذٗا لَّخَٰسِرُونَ
तथा उसकी जाति के काफ़िर प्रमुखों ने कहा कि यदि तुम शुऐब के पीछे चले, तो निःसंदेह तुम उस समय अवश्य घाटा उठाने वाले हो।