कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

لَآ أُقۡسِمُ بِهَٰذَا ٱلۡبَلَدِ

मैं इस नगर (मक्का) की क़सम खाता हूँ!

وَأَنتَ حِلُّۢ بِهَٰذَا ٱلۡبَلَدِ

तथा तुम्हारे लिए इस नगर में लड़ाई हलाल होने वाली है।

وَوَالِدٖ وَمَا وَلَدَ

तथा क़सम है पिता तथा उसकी संतान की!

لَقَدۡ خَلَقۡنَا ٱلۡإِنسَٰنَ فِي كَبَدٍ

निःसंदेह हमने मनुष्य को बड़ी कठिनाई में पैदा किया है।

أَيَحۡسَبُ أَن لَّن يَقۡدِرَ عَلَيۡهِ أَحَدٞ

क्या वह समझता है कि उसपर कभी किसी का वश नहीं चलेगा?[1]

يَقُولُ أَهۡلَكۡتُ مَالٗا لُّبَدًا

वह कहता है कि मैंने ढेर सारा धन ख़र्च कर दिया।

أَيَحۡسَبُ أَن لَّمۡ يَرَهُۥٓ أَحَدٌ

क्या वह समझता है कि उसे किसी ने नहीं देखा?[2]

أَلَمۡ نَجۡعَل لَّهُۥ عَيۡنَيۡنِ

क्या हमने उसके लिए दो आँखें नहीं बनाईं?

وَلِسَانٗا وَشَفَتَيۡنِ

तथा एक ज़बान और दो होंठ (नहीं बनाए)?

وَهَدَيۡنَٰهُ ٱلنَّجۡدَيۡنِ

और हमने उसे दोनों मार्ग दिखा दिए?!

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