कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

فَلَا ٱقۡتَحَمَ ٱلۡعَقَبَةَ

परंतु उसने दुर्लभ घाटी में प्रवेश ही नहीं किया।

सूरह का नाम : Al-Balad   सूरह नंबर : 90   आयत नंबर: 11

وَمَآ أَدۡرَىٰكَ مَا ٱلۡعَقَبَةُ

और तुम्हें किस चीज़ ने ज्ञात कराया कि वह दुर्लभ 'घाटी' क्या है?

सूरह का नाम : Al-Balad   सूरह नंबर : 90   आयत नंबर: 12

فَكُّ رَقَبَةٍ

(वह) गर्दन छुड़ाना है।

सूरह का नाम : Al-Balad   सूरह नंबर : 90   आयत नंबर: 13

أَوۡ إِطۡعَٰمٞ فِي يَوۡمٖ ذِي مَسۡغَبَةٖ

या किसी भूख वाले दिन में खाना खिलाना है।

सूरह का नाम : Al-Balad   सूरह नंबर : 90   आयत नंबर: 14

يَتِيمٗا ذَا مَقۡرَبَةٍ

किसी रिश्तेदार अनाथ को।

सूरह का नाम : Al-Balad   सूरह नंबर : 90   आयत नंबर: 15

أَوۡ مِسۡكِينٗا ذَا مَتۡرَبَةٖ

या मिट्टी में लथड़े हुए निर्धन को।[3]

तफ़्सीर:

3. (8-16) इन आयतों में फरमाया गया है कि इनसान को ज्ञान और चिंतन के साधन और योग्यताएँ देकर हमने उसके सामने भलाई तथा बुराई के दोनों मार्ग खोल दिए हैं, एक नैतिक पतन की ओर ले जाता है और उसमें मन को अति स्वाद मिलता है। दूसरा नैतिक ऊँचाईयों की राह जिस में कठिनाईयाँ हैं। और उसी को घाटी कहा गया है। जिसमें प्रवेश करने वालों के कर्तव्य में है कि दासों को मुक्त करें, निर्धनों को भोजन कराएँ इत्यादि, वही लोग स्वर्गवासी हैं। और वे जिन्होंने अल्लाह की आयतों का इनकार किया, वे नरकवासी हैं। आयत संख्या 17 का अर्थ यह है कि सत्य विश्वास (ईमान) के बिना कोई सत्कर्म मान्य नहीं है। इसमें सुखी समाज की विशेषता भी बताई गई है कि दूसरे को सहनशीलता तथा दया का उपदेश दिया जाए और अल्लाह पर सत्य विश्वास रखा जाए।

सूरह का नाम : Al-Balad   सूरह नंबर : 90   आयत नंबर: 16

ثُمَّ كَانَ مِنَ ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَتَوَاصَوۡاْ بِٱلصَّبۡرِ وَتَوَاصَوۡاْ بِٱلۡمَرۡحَمَةِ

फिर वह उन लोगों में से हो, जो ईमान लाए और एक-दूसरे को धैर्य रखने की सलाह दी और एक-दूसरे को दया करने की सलाह दी।

सूरह का नाम : Al-Balad   सूरह नंबर : 90   आयत नंबर: 17

أُوْلَـٰٓئِكَ أَصۡحَٰبُ ٱلۡمَيۡمَنَةِ

यही लोग दाहिने हाथ वाले (सौभाग्यशाली) हैं।

सूरह का नाम : Al-Balad   सूरह नंबर : 90   आयत नंबर: 18

وَٱلَّذِينَ كَفَرُواْ بِـَٔايَٰتِنَا هُمۡ أَصۡحَٰبُ ٱلۡمَشۡـَٔمَةِ

और जिन लोगों ने हमारी आयतों का इनकार किया, वही लोग बाएँ हाथ वाले (दुर्भाग्यशाली) हैं।

सूरह का नाम : Al-Balad   सूरह नंबर : 90   आयत नंबर: 19

عَلَيۡهِمۡ نَارٞ مُّؤۡصَدَةُۢ

उनपर (हर ओर से) बंद की हुई आग होगी।

सूरह का नाम : Al-Balad   सूरह नंबर : 90   आयत नंबर: 20

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