وَقَالُواْ لَن يَدۡخُلَ ٱلۡجَنَّةَ إِلَّا مَن كَانَ هُودًا أَوۡ نَصَٰرَىٰۗ تِلۡكَ أَمَانِيُّهُمۡۗ قُلۡ هَاتُواْ بُرۡهَٰنَكُمۡ إِن كُنتُمۡ صَٰدِقِينَ
तथा उन्होंने कहा जन्नत में हरगिज़ नहीं जाएँगे, परंतु जो यहूदी होंगे या ईसाई।[53] ये उनकी कामनाएँ ही हैं। (उनसे) कहो : लाओ अपने प्रमाण, यदि तुम सच्चे हो।
तफ़्सीर:
53. अर्थात यहूदियों ने कहा कि केवल यहूदी जाएँगे और ईसाईयों ने कहा कि केवल ईसाई जाएँगे।
सूरह का नाम : Al-Baqarah सूरह नंबर : 2 आयत नंबर: 111
بَلَىٰۚ مَنۡ أَسۡلَمَ وَجۡهَهُۥ لِلَّهِ وَهُوَ مُحۡسِنٞ فَلَهُۥٓ أَجۡرُهُۥ عِندَ رَبِّهِۦ وَلَا خَوۡفٌ عَلَيۡهِمۡ وَلَا هُمۡ يَحۡزَنُونَ
क्यों नहीं,[54] जिसने अपना चेहरा अल्लाह के अधीन कर दिया और वह अच्छा कार्या करने वाला हो, तो उसके लिए उसका बदला उसके पालनहार के पास है और न उनपर कोई भय है और न वे शोकाकुल होंगे।
तफ़्सीर:
54. स्वर्ग में प्रवेश का साधारण नियम अर्थात मुक्ति एकेश्वरवाद तथा सत्कर्म पर आधारित है, किसी जाति अथवा गिरोह पर नहीं।
सूरह का नाम : Al-Baqarah सूरह नंबर : 2 आयत नंबर: 112
وَقَالَتِ ٱلۡيَهُودُ لَيۡسَتِ ٱلنَّصَٰرَىٰ عَلَىٰ شَيۡءٖ وَقَالَتِ ٱلنَّصَٰرَىٰ لَيۡسَتِ ٱلۡيَهُودُ عَلَىٰ شَيۡءٖ وَهُمۡ يَتۡلُونَ ٱلۡكِتَٰبَۗ كَذَٰلِكَ قَالَ ٱلَّذِينَ لَا يَعۡلَمُونَ مِثۡلَ قَوۡلِهِمۡۚ فَٱللَّهُ يَحۡكُمُ بَيۡنَهُمۡ يَوۡمَ ٱلۡقِيَٰمَةِ فِيمَا كَانُواْ فِيهِ يَخۡتَلِفُونَ
तथा यहूदियों ने कहा कि ईसाई किसी चीज़ पर नहीं हैं और ईसाइयों ने कहा कि यहूदी किसी चीज़ पर नहीं हैं। हालाँकि वे पुस्तक[55] पढ़ते हैं। इसी तरह उन लोगों ने भी जो कुछ ज्ञान नहीं रखते,[56] उनकी बात जैसी बात कही। अब अल्लाह उनके बीच क़ियामत के दिन उस बारे में फैसला करेगा, जिसमें वे मतभेद किया करते थे।
तफ़्सीर:
55. अर्थात तौरात तथा इंजील जिसमें सब नबियों पर ईमान लाने का आदेश दिया गया है। 56. धर्म पुस्तक से अज्ञान अरब थे, जो यह कहते थे कि मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास कुछ नहीं है।
सूरह का नाम : Al-Baqarah सूरह नंबर : 2 आयत नंबर: 113
وَمَنۡ أَظۡلَمُ مِمَّن مَّنَعَ مَسَٰجِدَ ٱللَّهِ أَن يُذۡكَرَ فِيهَا ٱسۡمُهُۥ وَسَعَىٰ فِي خَرَابِهَآۚ أُوْلَـٰٓئِكَ مَا كَانَ لَهُمۡ أَن يَدۡخُلُوهَآ إِلَّا خَآئِفِينَۚ لَهُمۡ فِي ٱلدُّنۡيَا خِزۡيٞ وَلَهُمۡ فِي ٱلۡأٓخِرَةِ عَذَابٌ عَظِيمٞ
और उससे बड़ा अत्याचारी कौन है, जो अल्लाह की मस्जिदों में उसके नाम का स्मरण करने से रोके और उन्हें उजाड़ने का प्रयास करे?[57] ऐसे लोगों का हक़ नहीं कि उनमें प्रवेश करते परंतु डरते हुए। उनके लिए संसार ही में अपमान है और उनके लिए आख़िरत में बड़ी यातना है।
तफ़्सीर:
57. जैसे मक्का वासियों ने आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और आपके साथियों को सन् 6 हिजरी में काबा में आने से रोक दिया। या ईसाइयों ने बैतुल मुक़द्दस को ढाने में बुख़्त नस्सर (राजा) की सहायता की।
सूरह का नाम : Al-Baqarah सूरह नंबर : 2 आयत नंबर: 114
وَلِلَّهِ ٱلۡمَشۡرِقُ وَٱلۡمَغۡرِبُۚ فَأَيۡنَمَا تُوَلُّواْ فَثَمَّ وَجۡهُ ٱللَّهِۚ إِنَّ ٱللَّهَ وَٰسِعٌ عَلِيمٞ
तथा पूर्व और पश्चिम अल्लाह ही के हैं, तो तुम जिस ओर रुख करो,[58] सो वहीं अल्लाह का चेहरा है। निःसंदेह अल्लाह विस्तार वाला, सब कुछ जानने वाला है।
तफ़्सीर:
58. अर्थात अल्लाह के आदेशानुसार तुम जिधर भी रुख करोगे, तुम्हें अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त होगी।
सूरह का नाम : Al-Baqarah सूरह नंबर : 2 आयत नंबर: 115
وَقَالُواْ ٱتَّخَذَ ٱللَّهُ وَلَدٗاۗ سُبۡحَٰنَهُۥۖ بَل لَّهُۥ مَا فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۖ كُلّٞ لَّهُۥ قَٰنِتُونَ
तथा उन्होंने कहा[59] कि अल्लाह ने कोई संतान बना रखी है, वह पवित्र है। बल्कि उसी का है जो कुछ आकाशों तथा धरती में है, सब उसी के आज्ञाकारी हैं।
तफ़्सीर:
59. अर्थात यहूद और नसारा तथा मिश्रणवादियों ने।
सूरह का नाम : Al-Baqarah सूरह नंबर : 2 आयत नंबर: 116
بَدِيعُ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۖ وَإِذَا قَضَىٰٓ أَمۡرٗا فَإِنَّمَا يَقُولُ لَهُۥ كُن فَيَكُونُ
वह आकाशों तथा धरती का आविष्कारक है और जब किसी काम का निर्णय करता है, तो उससे मात्र यही कहता है कि "हो जा" तो वह हो जाता है।
सूरह का नाम : Al-Baqarah सूरह नंबर : 2 आयत नंबर: 117
وَقَالَ ٱلَّذِينَ لَا يَعۡلَمُونَ لَوۡلَا يُكَلِّمُنَا ٱللَّهُ أَوۡ تَأۡتِينَآ ءَايَةٞۗ كَذَٰلِكَ قَالَ ٱلَّذِينَ مِن قَبۡلِهِم مِّثۡلَ قَوۡلِهِمۡۘ تَشَٰبَهَتۡ قُلُوبُهُمۡۗ قَدۡ بَيَّنَّا ٱلۡأٓيَٰتِ لِقَوۡمٖ يُوقِنُونَ
तथा उन लोगों ने कहा जो ज्ञान[60] नहीं रखते : अल्लाह हमसे बात क्यों नहीं करता? या हमारे पास कोई निशानी क्यों नहीं आती? इसी प्रकार उन लोगों ने जो इनसे पूर्व थे, इनकी बात जैसी बात कही। इनके दिल एक-दूसरे जैसे हो गए हैं। निःसंदेह हमने उन लोगों के लिए निशानियाँ खोलकर बयान कर दी हैं, जो विश्वास करते हैं।
तफ़्सीर:
60. अर्थात अरब के मिश्रणवादियों ने।
सूरह का नाम : Al-Baqarah सूरह नंबर : 2 आयत नंबर: 118
إِنَّآ أَرۡسَلۡنَٰكَ بِٱلۡحَقِّ بَشِيرٗا وَنَذِيرٗاۖ وَلَا تُسۡـَٔلُ عَنۡ أَصۡحَٰبِ ٱلۡجَحِيمِ
निःसंदेह (ऐ नबी!) हमने आपको सत्य के साथ खुशख़बरी देने वाला तथा डराने वाला[61] बनाकर भेजा है। और आपसे दोज़ख़ियों के बारे में नहीं पूछा जाएगा।
तफ़्सीर:
61. अर्थात सत्य ज्ञान के अनुपालन पर स्वर्ग की शुभ सूचना देने वाला, तथा इनकार पर नरक से डराने वाला। इसके पश्चात् भी कोई न माने, तो आप उसके उत्तरदायी नहीं हैं।
सूरह का नाम : Al-Baqarah सूरह नंबर : 2 आयत नंबर: 119
وَلَن تَرۡضَىٰ عَنكَ ٱلۡيَهُودُ وَلَا ٱلنَّصَٰرَىٰ حَتَّىٰ تَتَّبِعَ مِلَّتَهُمۡۗ قُلۡ إِنَّ هُدَى ٱللَّهِ هُوَ ٱلۡهُدَىٰۗ وَلَئِنِ ٱتَّبَعۡتَ أَهۡوَآءَهُم بَعۡدَ ٱلَّذِي جَآءَكَ مِنَ ٱلۡعِلۡمِ مَا لَكَ مِنَ ٱللَّهِ مِن وَلِيّٖ وَلَا نَصِيرٍ
(ऐ नबी!) यहूदी तथा ईसाई आपसे हरगिज़ राज़ी न होंगे, यहाँ तक कि आप उनके धर्म की पैरवी करें। आप कह दीजिए कि निःसंदेह अल्लाह का मार्गदर्शन ही असल मार्गदर्शन है, और यदि आपने उनकी इच्छाओं का अनुसरण किया, उस ज्ञान के बाद जो आपके पास आया है, तो अल्लाह से (बचाने में) आपका न कोई मित्र होगा और न कोई सहायक।
सूरह का नाम : Al-Baqarah सूरह नंबर : 2 आयत नंबर: 120