कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

إِذۡ قَالَ لَهُۥ رَبُّهُۥٓ أَسۡلِمۡۖ قَالَ أَسۡلَمۡتُ لِرَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ

जब उसके पालनहार ने उससे कहा : (मेरा) आज्ञाकारी हो जा। उसने कहा : मैं सर्व संसार के पालनहार का आज्ञाकारी हो गया।

सूरह का नाम : Al-Baqarah   सूरह नंबर : 2   आयत नंबर: 131

وَوَصَّىٰ بِهَآ إِبۡرَٰهِـۧمُ بَنِيهِ وَيَعۡقُوبُ يَٰبَنِيَّ إِنَّ ٱللَّهَ ٱصۡطَفَىٰ لَكُمُ ٱلدِّينَ فَلَا تَمُوتُنَّ إِلَّا وَأَنتُم مُّسۡلِمُونَ

तथा इसी की वसीयत इबराहीम ने अपने बेटों को की और याक़ूब ने भी। ऐ मेरे बेटो! निःसंदेह अल्लाह ने तुम्हारे लिए यह धर्म (इस्लाम) चुन लिया है। सो, तुम हरगिज़ न मरना परंतु इस हाल में कि तुम मुसलमान (आज्ञाकारी) हो।

सूरह का नाम : Al-Baqarah   सूरह नंबर : 2   आयत नंबर: 132

أَمۡ كُنتُمۡ شُهَدَآءَ إِذۡ حَضَرَ يَعۡقُوبَ ٱلۡمَوۡتُ إِذۡ قَالَ لِبَنِيهِ مَا تَعۡبُدُونَ مِنۢ بَعۡدِيۖ قَالُواْ نَعۡبُدُ إِلَٰهَكَ وَإِلَٰهَ ءَابَآئِكَ إِبۡرَٰهِـۧمَ وَإِسۡمَٰعِيلَ وَإِسۡحَٰقَ إِلَٰهٗا وَٰحِدٗا وَنَحۡنُ لَهُۥ مُسۡلِمُونَ

या तुम मौजूद थे, जब याक़ूब की मृत्यु का समय आया, जब उसने अपने बेटों से कहा : तुम मेरे बाद किसकी इबादत करोगे? उन्होंने उत्तर दिया : हम तेरे पूज्य और तेरे बाप-दादा इबराहीम और इसमाईल और इसहाक़ के पूज्य की इबादत करेंगे, जो एक ही पूज्य है, और हम उसी के आज्ञाकारी हैं।

सूरह का नाम : Al-Baqarah   सूरह नंबर : 2   आयत नंबर: 133

تِلۡكَ أُمَّةٞ قَدۡ خَلَتۡۖ لَهَا مَا كَسَبَتۡ وَلَكُم مَّا كَسَبۡتُمۡۖ وَلَا تُسۡـَٔلُونَ عَمَّا كَانُواْ يَعۡمَلُونَ

यह एक समुदाय था, जो गुज़र चुका। उसके लिए वह है जो उसने कमाया, और तुम्हारे लिए वह है जो तुमने कमाया। और तुमसे उसके बारे में नहीं पूछा जाएगा, जो वे किया करते थे।

सूरह का नाम : Al-Baqarah   सूरह नंबर : 2   आयत नंबर: 134

وَقَالُواْ كُونُواْ هُودًا أَوۡ نَصَٰرَىٰ تَهۡتَدُواْۗ قُلۡ بَلۡ مِلَّةَ إِبۡرَٰهِـۧمَ حَنِيفٗاۖ وَمَا كَانَ مِنَ ٱلۡمُشۡرِكِينَ

और उन्होंने कहा : यहूदी अथवा ईसाई हो जाओ, मार्गदर्शन पा जाओगे। आप कह दें : बल्कि (हम) इबराहीम के धर्म (का अनुसरण करेंगे), जो एक अल्लाह का होने वाला था और अनेकेश्वरवादियों में से नहीं था।

सूरह का नाम : Al-Baqarah   सूरह नंबर : 2   आयत नंबर: 135

قُولُوٓاْ ءَامَنَّا بِٱللَّهِ وَمَآ أُنزِلَ إِلَيۡنَا وَمَآ أُنزِلَ إِلَىٰٓ إِبۡرَٰهِـۧمَ وَإِسۡمَٰعِيلَ وَإِسۡحَٰقَ وَيَعۡقُوبَ وَٱلۡأَسۡبَاطِ وَمَآ أُوتِيَ مُوسَىٰ وَعِيسَىٰ وَمَآ أُوتِيَ ٱلنَّبِيُّونَ مِن رَّبِّهِمۡ لَا نُفَرِّقُ بَيۡنَ أَحَدٖ مِّنۡهُمۡ وَنَحۡنُ لَهُۥ مُسۡلِمُونَ

(ऐ मुसलमानो!) तुम कह दो : हम अल्लाह पर ईमान लाए और उसपर जो हमारी ओर उतारा गया, और जो इबराहीम और इसमाईल और इसह़ाक़ और याक़ूब तथा उसकी संतान की ओर उतारा गया, और जो मूसा एवं ईसा को दिया गया तथा जो समस्त नबियों को उनके पालनहार की ओर से दिया गया। हम उनमें से किसी एक के बीच अंतर नहीं करते और हम उसी (अल्लाह) के आज्ञाकारी हैं।

सूरह का नाम : Al-Baqarah   सूरह नंबर : 2   आयत नंबर: 136

فَإِنۡ ءَامَنُواْ بِمِثۡلِ مَآ ءَامَنتُم بِهِۦ فَقَدِ ٱهۡتَدَواْۖ وَّإِن تَوَلَّوۡاْ فَإِنَّمَا هُمۡ فِي شِقَاقٖۖ فَسَيَكۡفِيكَهُمُ ٱللَّهُۚ وَهُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلۡعَلِيمُ

फिर यदि वे उस जैसी चीज़ पर ईमान लाएँ, जिसपर तुम ईमान लाए हो, तो निश्चय वे मार्गदर्शन पा गए और यदि वे फिर जाएँ, तो वे मात्र विरोध में पड़े हुए हैं। अतः निकट ही अल्लाह तुझे उनके मुक़ाबले में काफ़ी हो जाएगा और वही सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है।

सूरह का नाम : Al-Baqarah   सूरह नंबर : 2   आयत नंबर: 137

صِبۡغَةَ ٱللَّهِ وَمَنۡ أَحۡسَنُ مِنَ ٱللَّهِ صِبۡغَةٗۖ وَنَحۡنُ لَهُۥ عَٰبِدُونَ

अल्लाह का रंग[67] ग्रहण करो और रंग में अल्लाह से बेहतर कौन है? और हम उसी की इबादत करने वाले हैं।

तफ़्सीर:

67. इसमें ईसाई धर्म की (बपतिस्मा) की परंपरा का खंडन है। ईसाइयों ने पीले रंग का जल बना रखा था। जब कोई ईसाई होता या उनके यहाँ कोई शिशु जन्म लेता तो उसमें स्नान करा के ईसाई बनाते थे। अल्लाह के रंग से अभिप्राय एकेश्वरवाद पर आधारित स्वभाविक धर्म इस्लाम है। (तफ़्सीर क़ुर्तुबी)

सूरह का नाम : Al-Baqarah   सूरह नंबर : 2   आयत नंबर: 138

قُلۡ أَتُحَآجُّونَنَا فِي ٱللَّهِ وَهُوَ رَبُّنَا وَرَبُّكُمۡ وَلَنَآ أَعۡمَٰلُنَا وَلَكُمۡ أَعۡمَٰلُكُمۡ وَنَحۡنُ لَهُۥ مُخۡلِصُونَ

(ऐ नबी!) कह दो : क्या तुम हमसे अल्लाह के बारे में झगड़ते हो? हालाँकि वही हमारा पालनहार तथा तुम्हारा पालनहार है[68] और हमारे लिए हमारे कर्म हैं और तुम्हारे लिए तुम्हारे कर्म, और हम उसी के लिए मुख़्लिस (निष्ठावान) हैं।

तफ़्सीर:

68. फिर वंदनीय भी केवल वही है।

सूरह का नाम : Al-Baqarah   सूरह नंबर : 2   आयत नंबर: 139

أَمۡ تَقُولُونَ إِنَّ إِبۡرَٰهِـۧمَ وَإِسۡمَٰعِيلَ وَإِسۡحَٰقَ وَيَعۡقُوبَ وَٱلۡأَسۡبَاطَ كَانُواْ هُودًا أَوۡ نَصَٰرَىٰۗ قُلۡ ءَأَنتُمۡ أَعۡلَمُ أَمِ ٱللَّهُۗ وَمَنۡ أَظۡلَمُ مِمَّن كَتَمَ شَهَٰدَةً عِندَهُۥ مِنَ ٱللَّهِۗ وَمَا ٱللَّهُ بِغَٰفِلٍ عَمَّا تَعۡمَلُونَ

(ऐ अह्ले किताब!) या तुम कहते हो कि इबराहीम और इसमाईल और इसह़ाक़ और याक़ूब तथा उनकी औलाद यहूदी या ईसाई थे? (ऐ नबी! उनसे) कह दो : क्या तुम अधिक जानते हो अथवा अल्लाह? और उससे बड़ा अत्याचारी कौन है, जिसने वह गवाही छिपा ली, जो उसके पास अल्लाह की ओर से थी। और अल्लाह हरगिज़ उससे ग़ाफ़िल नहीं जो तुम करते हो।[69]

तफ़्सीर:

69. इसमें यहूदियों तथा ईसाइयों के इस दावे का खंडन किया गया है कि इबराहीम अलैहिस्सलाम आदि नबी यहूदी अथवा ईसाई थे।

सूरह का नाम : Al-Baqarah   सूरह नंबर : 2   आयत नंबर: 140

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