कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

كَلَّآۖ إِذَا دُكَّتِ ٱلۡأَرۡضُ دَكّٗا دَكّٗا

हरगिज़ नहीं! जब धरती कूट-कूटकर चूर्ण-विचूर्ण कर दी जाएगी।

सूरह का नाम : Al-Fajr   सूरह नंबर : 89   आयत नंबर: 21

وَجَآءَ رَبُّكَ وَٱلۡمَلَكُ صَفّٗا صَفّٗا

और तेरा पालनहार आएगा और फ़रिश्ते जो पंक्तियों में होंगे।

सूरह का नाम : Al-Fajr   सूरह नंबर : 89   आयत नंबर: 22

وَجِاْيٓءَ يَوۡمَئِذِۭ بِجَهَنَّمَۚ يَوۡمَئِذٖ يَتَذَكَّرُ ٱلۡإِنسَٰنُ وَأَنَّىٰ لَهُ ٱلذِّكۡرَىٰ

और उस दिन नरक लाई जाएगी। उस दिन इनसान याद करेगा। लेकिन उस दिन याद करना उसे कहाँ से लाभ देगा।

सूरह का नाम : Al-Fajr   सूरह नंबर : 89   आयत नंबर: 23

يَقُولُ يَٰلَيۡتَنِي قَدَّمۡتُ لِحَيَاتِي

वह कहेगा : ऐ काश! मैंने अपने (इस) जीवन के लिए कुछ आगे भेजा होता।

सूरह का नाम : Al-Fajr   सूरह नंबर : 89   आयत नंबर: 24

فَيَوۡمَئِذٖ لَّا يُعَذِّبُ عَذَابَهُۥٓ أَحَدٞ

चुनाँचे उस दिन उस (अल्लाह) के दंड जैसा दंड कोई नहीं देगा।

सूरह का नाम : Al-Fajr   सूरह नंबर : 89   आयत नंबर: 25

وَلَا يُوثِقُ وَثَاقَهُۥٓ أَحَدٞ

और न उसके बाँधने जैसा कोई बाँधेगा।[4]

तफ़्सीर:

4. (21-26) इन आयतों मे बताया गया है कि धन पूजने और उससे परलोक न बनाने का दुष्परिणाम नरक की घोर यातना के रूप में सामने आएगा, तब भौतिकवादी कुकर्मियों की समझ में आएगा कि क़ुरआन को न मानकर बड़ी भूल हुई और हाथ मलेंगे।

सूरह का नाम : Al-Fajr   सूरह नंबर : 89   आयत नंबर: 26

يَـٰٓأَيَّتُهَا ٱلنَّفۡسُ ٱلۡمُطۡمَئِنَّةُ

ऐ संतुष्ट आत्मा!

सूरह का नाम : Al-Fajr   सूरह नंबर : 89   आयत नंबर: 27

ٱرۡجِعِيٓ إِلَىٰ رَبِّكِ رَاضِيَةٗ مَّرۡضِيَّةٗ

अपने पालनहार की ओर लौट चल, इस हाल में कि तू उससे प्रसन्न है, उसके निकट पसंदीदा है।

सूरह का नाम : Al-Fajr   सूरह नंबर : 89   आयत नंबर: 28

فَٱدۡخُلِي فِي عِبَٰدِي

अतः तू मेरे बंदों में प्रवेश कर जा।

सूरह का नाम : Al-Fajr   सूरह नंबर : 89   आयत नंबर: 29

وَٱدۡخُلِي جَنَّتِي

और मेरी जन्नत में प्रवेश कर जा।[5]

तफ़्सीर:

5. (27-30) इन आयतों में उनके सुख और सफलता का वर्णन किया गया है, जो क़ुरआन की शिक्षा का अनुपालन करते हुए आत्मा की शांति के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

सूरह का नाम : Al-Fajr   सूरह नंबर : 89   आयत नंबर: 30

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