कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

فَذَكِّرۡ إِنَّمَآ أَنتَ مُذَكِّرٞ

अतः आप नसीहत करें, आप केवल नसीहत करने वाले हैं।

सूरह का नाम : Al-Ghashiyah   सूरह नंबर : 88   आयत नंबर: 21

لَّسۡتَ عَلَيۡهِم بِمُصَيۡطِرٍ

आप उनपर कोई दरोग़ा (नियंत्रक) नहीं हैं।

सूरह का नाम : Al-Ghashiyah   सूरह नंबर : 88   आयत नंबर: 22

إِلَّا مَن تَوَلَّىٰ وَكَفَرَ

परंतु जिसने मुँह फेरा और कुफ़्र किया।

सूरह का नाम : Al-Ghashiyah   सूरह नंबर : 88   आयत नंबर: 23

فَيُعَذِّبُهُ ٱللَّهُ ٱلۡعَذَابَ ٱلۡأَكۡبَرَ

तो अल्लाह उसे सबसे बड़ी यातना देगा।

सूरह का नाम : Al-Ghashiyah   सूरह नंबर : 88   आयत नंबर: 24

إِنَّ إِلَيۡنَآ إِيَابَهُمۡ

निःसंदेह हमारी ही ओर उनका लौटकर आना है।

सूरह का नाम : Al-Ghashiyah   सूरह नंबर : 88   आयत नंबर: 25

ثُمَّ إِنَّ عَلَيْنَاحِسَابَهُم

फिर बेशक हमारे ही ज़िम्मे उनका ह़िसाब लेना है।[4]

तफ़्सीर:

4. (21-26) इन आयतों का भावार्थ यह है कि क़ुरआन किसी को बलपूर्वक मनवाने के लिए नहीं है, और न नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का यह कर्तव्य है कि किसी को बलपूर्वक मनवाएँ। आप जिससे डरा रहे हैं, ये मानें या न मानें, वह खुली बात है। फिर भी जो नहीं सुनते उनको अल्लाह ही समझेगा। ये और इस जैसी क़ुरआन की अनेक आयतें इस आरोप का खंडन करती हैं कि इस्लाम ने अपने मनवाने के लिए अस्त्र शस्त्र का प्रयोग किया है।

सूरह का नाम : Al-Ghashiyah   सूरह नंबर : 88   आयत नंबर: 26

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