कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

وَلَهُم مَّقَٰمِعُ مِنۡ حَدِيدٖ

और उन्हीं के लिए लोहे के हथौड़े हैं।

सूरह का नाम : Al-Hajj   सूरह नंबर : 22   आयत नंबर: 21

كُلَّمَآ أَرَادُوٓاْ أَن يَخۡرُجُواْ مِنۡهَا مِنۡ غَمٍّ أُعِيدُواْ فِيهَا وَذُوقُواْ عَذَابَ ٱلۡحَرِيقِ

जब कभी व्याकुल होकर उस (आग) से निकलना चाहेंगे, उसी में लौटा दिए जाएँगे तथा (कहा जाएगा कि) जलने की यातना चखो।

सूरह का नाम : Al-Hajj   सूरह नंबर : 22   आयत नंबर: 22

إِنَّ ٱللَّهَ يُدۡخِلُ ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَٰتِ جَنَّـٰتٖ تَجۡرِي مِن تَحۡتِهَا ٱلۡأَنۡهَٰرُ يُحَلَّوۡنَ فِيهَا مِنۡ أَسَاوِرَ مِن ذَهَبٖ وَلُؤۡلُؤٗاۖ وَلِبَاسُهُمۡ فِيهَا حَرِيرٞ

निःसंदेह अल्लाह उन लोगों को, जो ईमान लाए तथा उन्होंने अच्छे कार्य किए, ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेगा, जिनके नीचे से नहरें बहती हैं, उनमें उन्हें सोने के कुछ कंगन पहनाए जाएँगे तथा मोती भी, और उनका वस्त्र उसमें रेशम का होगा।

सूरह का नाम : Al-Hajj   सूरह नंबर : 22   आयत नंबर: 23

وَهُدُوٓاْ إِلَى ٱلطَّيِّبِ مِنَ ٱلۡقَوۡلِ وَهُدُوٓاْ إِلَىٰ صِرَٰطِ ٱلۡحَمِيدِ

तथा उन्हें पवित्र बात[12] का मार्ग दिखा दिया गया और उन्हें प्रशंसित मार्ग[13] दिखा दिया गया।

तफ़्सीर:

12. अर्थात स्वर्ग का, जहाँ पवित्र बातें ही होंगी, वहाँ व्यर्थ पाप की बातें नहीं होंगी। 13. अर्थात संसार में इस्लाम तथा क़ुरआन का मार्ग।

सूरह का नाम : Al-Hajj   सूरह नंबर : 22   आयत नंबर: 24

إِنَّ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ وَيَصُدُّونَ عَن سَبِيلِ ٱللَّهِ وَٱلۡمَسۡجِدِ ٱلۡحَرَامِ ٱلَّذِي جَعَلۡنَٰهُ لِلنَّاسِ سَوَآءً ٱلۡعَٰكِفُ فِيهِ وَٱلۡبَادِۚ وَمَن يُرِدۡ فِيهِ بِإِلۡحَادِۭ بِظُلۡمٖ نُّذِقۡهُ مِنۡ عَذَابٍ أَلِيمٖ

निःसंदेह वे लोग जिन्होंने कुफ़्र किया[14] और वे अल्लाह के मार्ग से और उस मस्जिदे-हराम से रोकते हैं, जिसे हमने सब लोगों के लिए इस तरह बनाया है कि उसमें रहने वाले और बाहर से आने वाले बराबर हैं और जो भी उसमें किसी अत्याचार के साथ सत्य से दूरी का इरादा करेगा, हम उसे दुःखदायी यातना चखाएँगे।[15]

तफ़्सीर:

14. इस आयत में मक्का के काफ़िरों को चेतावनी दी गई है, जो नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और इस्लाम के विरोधी थे और उन्होंने आपको तथा मुसलमानों को "ह़ुदैबिया" के वर्ष मस्जिदे-ह़राम से रोक दिया था। 15. यह मक्का की मुख्य विशेषताओं में से है कि वहाँ रहने वाला अगर कुफ़्र और शिर्क या किसी बिद्अत का विचार भी दिल में लाए, तो उसके लिए घोर यातना है।

सूरह का नाम : Al-Hajj   सूरह नंबर : 22   आयत नंबर: 25

وَإِذۡ بَوَّأۡنَا لِإِبۡرَٰهِيمَ مَكَانَ ٱلۡبَيۡتِ أَن لَّا تُشۡرِكۡ بِي شَيۡـٔٗا وَطَهِّرۡ بَيۡتِيَ لِلطَّآئِفِينَ وَٱلۡقَآئِمِينَ وَٱلرُّكَّعِ ٱلسُّجُودِ

तथा (वह समय याद करो) जब हमने इबराहीम के लिए इस घर का स्थान[16] निर्धारित कर दिया (और उसे आदेश दिया) कि किसी को मेरा साझी न बनाना, तथा मेरे घर का तवाफ़ (परिक्रमा) करने वालों, क़ियाम करने वालों तथा रुकू' और सजदा करने वालों के लिए पवित्र रखना।

तफ़्सीर:

16. अर्थात उसका निर्माण करने के लिए। क्योंकि नूह़ (अलैहिस्सलाम) के तूफ़ान के कारण सब बह गया था इसलिए अल्लाह ने इबराहीम (अलैहिस्सलाम) के लिए बैतुल्लाह का वास्तविक स्थान निर्धारित कर दिया। और उन्होंने अपने पुत्र इसमाईल (अलैहिस्सलाम) के साथ उसे दोबारा स्थापित किया।

सूरह का नाम : Al-Hajj   सूरह नंबर : 22   आयत नंबर: 26

وَأَذِّن فِي ٱلنَّاسِ بِٱلۡحَجِّ يَأۡتُوكَ رِجَالٗا وَعَلَىٰ كُلِّ ضَامِرٖ يَأۡتِينَ مِن كُلِّ فَجٍّ عَمِيقٖ

और लोगों में हज्ज का एलान कर दो। वे तेरे पास पैदल तथा प्रत्येक दुबली-पतली सवारियों पर आएँगे, जो हर दूर-दराज़ मार्ग से आएँगी।

सूरह का नाम : Al-Hajj   सूरह नंबर : 22   आयत नंबर: 27

لِّيَشۡهَدُواْ مَنَٰفِعَ لَهُمۡ وَيَذۡكُرُواْ ٱسۡمَ ٱللَّهِ فِيٓ أَيَّامٖ مَّعۡلُومَٰتٍ عَلَىٰ مَا رَزَقَهُم مِّنۢ بَهِيمَةِ ٱلۡأَنۡعَٰمِۖ فَكُلُواْ مِنۡهَا وَأَطۡعِمُواْ ٱلۡبَآئِسَ ٱلۡفَقِيرَ

ताकि वे अपने बहुत-से लाभों के लिए उपस्थित हों और कुछ ज्ञात दिनों[17] में उन पालतू चौपायों पर अल्लाह का नाम[18] लें, जो उसने उन्हें प्रदान किए हैं। फिर उनमें से स्वयं खाओ तथा तंगहाल निर्धन को खिलाओ।

तफ़्सीर:

17. ज्ञात दिनों से अभिप्राय 10, 11, 12 तथा 13 ज़ुल-ह़िज्जा के दिन हैं। 18. अर्थात उसे ज़बह करते समय अल्लाह का नाम लें।

सूरह का नाम : Al-Hajj   सूरह नंबर : 22   आयत नंबर: 28

ثُمَّ لۡيَقۡضُواْ تَفَثَهُمۡ وَلۡيُوفُواْ نُذُورَهُمۡ وَلۡيَطَّوَّفُواْ بِٱلۡبَيۡتِ ٱلۡعَتِيقِ

फिर वे अपना मैल-कुचैल दूर करें[19] तथा अपनी मन्नतें पूरी करें और इस प्राचीन घर[20] का तवाफ़ (परिक्रमा) करें।

तफ़्सीर:

19. अर्थात 10 ज़ुल-ह़िज्जा को बड़े ((जमरे)) को, जिसे लोग शैतान कहते हैं, कंकरियाँ मारने के पश्चात् एहराम उतार दें। और बाल-नाखून साफ़ करके स्नान करें। 20. अर्थात काबा का।

सूरह का नाम : Al-Hajj   सूरह नंबर : 22   आयत नंबर: 29

ذَٰلِكَۖ وَمَن يُعَظِّمۡ حُرُمَٰتِ ٱللَّهِ فَهُوَ خَيۡرٞ لَّهُۥ عِندَ رَبِّهِۦۗ وَأُحِلَّتۡ لَكُمُ ٱلۡأَنۡعَٰمُ إِلَّا مَا يُتۡلَىٰ عَلَيۡكُمۡۖ فَٱجۡتَنِبُواْ ٱلرِّجۡسَ مِنَ ٱلۡأَوۡثَٰنِ وَٱجۡتَنِبُواْ قَوۡلَ ٱلزُّورِ

ये (हमारे आदेश) हैं। और जो कोई अल्लाह के निषेधों (मर्यादाओं) का सम्मान करे, तो यह उसके लिए, उसके पालनहार के पास बेहतर है। और तुम्हारे लिए चौपाए हलाल (वैध) कर दिए गए हैं, सिवाय उनके जो तुम्हें पढ़कर सुनाए जाते[21] हैं। अतः मूर्तियों की गंदगी से बचो तथा झूठी बात से बचो।

तफ़्सीर:

21. (देखिए : सूरतुल माइदा, आयत : 3)

सूरह का नाम : Al-Hajj   सूरह नंबर : 22   आयत नंबर: 30

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