وَٱلَّذِينَ سَعَوۡاْ فِيٓ ءَايَٰتِنَا مُعَٰجِزِينَ أُوْلَـٰٓئِكَ أَصۡحَٰبُ ٱلۡجَحِيمِ
और जिन लोगों ने हमारी आयतों (को झुठलाने) में दौड़-भाग की, (यह समझकर कि हमें) विवश कर देंगे, तो वही नरकवासी हैं।
وَمَآ أَرۡسَلۡنَا مِن قَبۡلِكَ مِن رَّسُولٖ وَلَا نَبِيٍّ إِلَّآ إِذَا تَمَنَّىٰٓ أَلۡقَى ٱلشَّيۡطَٰنُ فِيٓ أُمۡنِيَّتِهِۦ فَيَنسَخُ ٱللَّهُ مَا يُلۡقِي ٱلشَّيۡطَٰنُ ثُمَّ يُحۡكِمُ ٱللَّهُ ءَايَٰتِهِۦۗ وَٱللَّهُ عَلِيمٌ حَكِيمٞ
और (ऐ रसूल!) हमने आपसे पूर्व न कोई रसूल भेजा और न कोई नबी, परंतु जब उसने (अल्लाह की पुस्तक) पढ़ी, तो शैतान ने उसके पढ़ने में संशय डाल दिया। फिर अल्लाह शैतान के संशय को मिटा देता है, फिर अल्लाह अपनी आयतों को सुदृढ़ कर देता है। और अल्लाह सब कुछ जानने वाला, पूर्ण हिकमत वाला है।[32]
لِّيَجۡعَلَ مَا يُلۡقِي ٱلشَّيۡطَٰنُ فِتۡنَةٗ لِّلَّذِينَ فِي قُلُوبِهِم مَّرَضٞ وَٱلۡقَاسِيَةِ قُلُوبُهُمۡۗ وَإِنَّ ٱلظَّـٰلِمِينَ لَفِي شِقَاقِۭ بَعِيدٖ
ताकि वह (अल्लाह) शैतान के डाले हुए संशय को उनके लिए परीक्षण बना दे, जिनके दिलों में रोग है और जिनके दिल कठोर हैं। और निःसंदेह अत्याचारी लोग विरोध में बहुत दूर चले गए हैं।
وَلِيَعۡلَمَ ٱلَّذِينَ أُوتُواْ ٱلۡعِلۡمَ أَنَّهُ ٱلۡحَقُّ مِن رَّبِّكَ فَيُؤۡمِنُواْ بِهِۦ فَتُخۡبِتَ لَهُۥ قُلُوبُهُمۡۗ وَإِنَّ ٱللَّهَ لَهَادِ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓاْ إِلَىٰ صِرَٰطٖ مُّسۡتَقِيمٖ
और ताकि उन लोगों को जिन्हें ज्ञान दिया गया है, विश्वास हो जाए कि वही आपके पालनहार की ओर से सत्य है। तो वे उसपर ईमान ले आएँ और उनके दिल उसके लिए झुक जाएँ। और निःसंदेह अल्लाह ईमान लाने वालों को निश्चय सीधा मार्ग दिखाने वाला है।
وَلَا يَزَالُ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ فِي مِرۡيَةٖ مِّنۡهُ حَتَّىٰ تَأۡتِيَهُمُ ٱلسَّاعَةُ بَغۡتَةً أَوۡ يَأۡتِيَهُمۡ عَذَابُ يَوۡمٍ عَقِيمٍ
तथा वे लोग जिन्होंने कुफ़्र किया, हमेशा इस (क़ुरआन) के बारे में किसी संदेह में रहेंगे, यहाँ तक कि उनके पास अचानक क़ियामत आ जाए, या उनके पास उस दिन की यातना आ जाए, जो बाँझ[33] (हर भलाई से रहित) है।
ٱلۡمُلۡكُ يَوۡمَئِذٖ لِّلَّهِ يَحۡكُمُ بَيۡنَهُمۡۚ فَٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَٰتِ فِي جَنَّـٰتِ ٱلنَّعِيمِ
उस दिन सारा राज्य अल्लाह ही का होगा, वह उनके बीच निर्णय करेगा। फिर वे लोग जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कार्य किए, वे नेमत भरी जन्नतों में होंगे।
وَٱلَّذِينَ كَفَرُواْ وَكَذَّبُواْ بِـَٔايَٰتِنَا فَأُوْلَـٰٓئِكَ لَهُمۡ عَذَابٞ مُّهِينٞ
और जिन लोगों ने कुफ़्र किया और हमारी आयतों को झुठलाया, तो वही हैं जिनके लिए अपमानकारी यातना है।
وَٱلَّذِينَ هَاجَرُواْ فِي سَبِيلِ ٱللَّهِ ثُمَّ قُتِلُوٓاْ أَوۡ مَاتُواْ لَيَرۡزُقَنَّهُمُ ٱللَّهُ رِزۡقًا حَسَنٗاۚ وَإِنَّ ٱللَّهَ لَهُوَ خَيۡرُ ٱلرَّـٰزِقِينَ
तथा जिन लोगों ने अल्लाह के मार्ग में अपना घरबार छोड़ा। फिर मारे गए या मर गए, निश्चय अल्लाह उन्हें अवश्य उत्तम रोज़ी प्रदान करेगा। और निःसंदेह अल्लाह ही सब रोज़ी देने वालों से बेहतर है।
لَيُدۡخِلَنَّهُم مُّدۡخَلٗا يَرۡضَوۡنَهُۥۚ وَإِنَّ ٱللَّهَ لَعَلِيمٌ حَلِيمٞ
निश्चय वह उन्हें ऐसे स्थान में अवश्य दाख़िल करेगा, जिससे वे प्रसन्न हो जाएँगे। और निःसंदेह अल्लाह सब कुछ जानने वाला, अत्यंत सहनशील है।
۞ذَٰلِكَۖ وَمَنۡ عَاقَبَ بِمِثۡلِ مَا عُوقِبَ بِهِۦ ثُمَّ بُغِيَ عَلَيۡهِ لَيَنصُرَنَّهُ ٱللَّهُۚ إِنَّ ٱللَّهَ لَعَفُوٌّ غَفُورٞ
यह तो हुआ। और जो व्यक्ति बदला ले, वैसा ही जैसा उसके साथ किया गया, फिर उसपर अत्याचार किया जाए, तो अल्लाह उसकी अवश्य सहायता करेगा। निःसंदेह अल्लाह बहुत माफ़ करने वाला, अत्यंत क्षमाशील है।