कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

إِنَّا لَمَّا طَغَا ٱلۡمَآءُ حَمَلۡنَٰكُمۡ فِي ٱلۡجَارِيَةِ

निःसंदेह हमने ही, जब पानी सीमा पार कर गया, तुम्हें नाव[2] में सवार किया।

तफ़्सीर:

2. इसमें नूह़ (अलैहिस्सलाम) के तूफ़ान की ओर संकेत है। और सभी मनुष्य उनकी संतान हैं, इस लिए यह दया सब पर हुई है।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 11

لِنَجۡعَلَهَا لَكُمۡ تَذۡكِرَةٗ وَتَعِيَهَآ أُذُنٞ وَٰعِيَةٞ

ताकि हम उसे तुम्हारे लिए एक (शिक्षाप्रद) यादगार बना दें और (ताकि) याद रखने वाले कान उसे याद रखें।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 12

فَإِذَا نُفِخَ فِي ٱلصُّورِ نَفۡخَةٞ وَٰحِدَةٞ

फिर जब सूर (नरसिंघा) में एक फूँक मारी जाएगी।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 13

وَحُمِلَتِ ٱلۡأَرۡضُ وَٱلۡجِبَالُ فَدُكَّتَا دَكَّةٗ وَٰحِدَةٗ

और धरती तथा पर्वतों को उठाया जाएगा और दोनों को एक ही बार में चूर्ण-विचूर्ण कर दिया जाएगा।[3]

तफ़्सीर:

3. दोखिए : सूरत ताहा, आयत : 20, आयत : 103, 108.

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 14

فَيَوۡمَئِذٖ وَقَعَتِ ٱلۡوَاقِعَةُ

तो उस दिन घटित होने वाली घटित हो जाएगी।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 15

وَٱنشَقَّتِ ٱلسَّمَآءُ فَهِيَ يَوۡمَئِذٖ وَاهِيَةٞ

तथा आकाश फट जाएगा, तो उस दिन वह कमज़ोर होगा।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 16

وَٱلۡمَلَكُ عَلَىٰٓ أَرۡجَآئِهَاۚ وَيَحۡمِلُ عَرۡشَ رَبِّكَ فَوۡقَهُمۡ يَوۡمَئِذٖ ثَمَٰنِيَةٞ

और फ़रिश्ते उसके किनारों पर होंगे तथा उस दिन आपके पालनहार का अर्श (सिंहासन) आठ फ़रिश्ते अपने ऊपर उठाए हुए होंगे।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 17

يَوۡمَئِذٖ تُعۡرَضُونَ لَا تَخۡفَىٰ مِنكُمۡ خَافِيَةٞ

उस दिन तुम (अल्लाह के सामने) पेश किए जाओगे। तुम्हारी कोई छिपी हुई बात छिपी नहीं रहेगी।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 18

فَأَمَّا مَنۡ أُوتِيَ كِتَٰبَهُۥ بِيَمِينِهِۦ فَيَقُولُ هَآؤُمُ ٱقۡرَءُواْ كِتَٰبِيَهۡ

फिर जिसे उसका कर्म-पत्र उसके दाएँ हाथ में दिया गिया, तो वह कहेगा : यह लो, मेरा कर्म-पत्र पढ़ो।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 19

إِنِّي ظَنَنتُ أَنِّي مُلَٰقٍ حِسَابِيَهۡ

मुझे विश्वास था कि मैं अपने हिसाब से मिलने वाला हूँ।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 20

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