कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

فَهُوَ فِي عِيشَةٖ رَّاضِيَةٖ

चुनाँचे वह आनंदपूर्ण जीवन में होगा।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 21

فِي جَنَّةٍ عَالِيَةٖ

एक ऊँची जन्नत में।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 22

قُطُوفُهَا دَانِيَةٞ

जिसके फल निकट होंगे।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 23

كُلُواْ وَٱشۡرَبُواْ هَنِيٓـَٔۢا بِمَآ أَسۡلَفۡتُمۡ فِي ٱلۡأَيَّامِ ٱلۡخَالِيَةِ

(उनसे कहा जायेगा :) आनंदपूर्वक खाओ और पियो, उसके बदले जो तुमने बीते दिनों में आगे भेजे।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 24

وَأَمَّا مَنۡ أُوتِيَ كِتَٰبَهُۥ بِشِمَالِهِۦ فَيَقُولُ يَٰلَيۡتَنِي لَمۡ أُوتَ كِتَٰبِيَهۡ

और लेकिन जिसे उसका कर्म-पत्र उसके बाएँ हाथ में दिया गया, तो वह कहेगा : ऐ काश! मुझे मेरा कर्म-पत्र न दिया जाता।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 25

وَلَمۡ أَدۡرِ مَا حِسَابِيَهۡ

तथा मैं न जानता कि मेरा हिसाब क्या है!

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 26

يَٰلَيۡتَهَا كَانَتِ ٱلۡقَاضِيَةَ

ऐ काश! वह (मृत्यु) काम तमाम कर देने वाली[4] होती।

तफ़्सीर:

4. अर्थात उसके पश्चात् मैं फिर जीवित न किया जाता।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 27

مَآ أَغۡنَىٰ عَنِّي مَالِيَهۡۜ

मेरा धन मेरे किसी काम न आया।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 28

هَلَكَ عَنِّي سُلۡطَٰنِيَهۡ

मेरी सत्ता[5] मुझसे जाती रही।

तफ़्सीर:

5. इसका दूसरा अर्थ यह भी हो सकता है कि परलोक के इनकार पर जितने तर्क दिया करता था आज सब निष्फल हो गए।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 29

خُذُوهُ فَغُلُّوهُ

(आदेश होगा :) उसे पकड़ो और उसके गले में तौक़ डाल दो।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 30

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