कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

وَمَا هُوَ بِقَوۡلِ شَاعِرٖۚ قَلِيلٗا مَّا تُؤۡمِنُونَ

और यह किसी कवि की वाणी नहीं है। तुम बहुत कम ईमान लाते हो।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 41

وَلَا بِقَوۡلِ كَاهِنٖۚ قَلِيلٗا مَّا تَذَكَّرُونَ

और न किसी काहिन की वाणी है, तुम बहुत कम शिक्षा ग्रहण करते हो।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 42

تَنزِيلٞ مِّن رَّبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ

(यह) सर्व संसार के पालनहार की ओर से उतारा हुआ है।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 43

وَلَوۡ تَقَوَّلَ عَلَيۡنَا بَعۡضَ ٱلۡأَقَاوِيلِ

और यदि वह (नबी) हमपर कोई बात बनाकर[7] लगाता।

तफ़्सीर:

7. इस आयत का भावार्थ यह कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को अपनी ओर से वह़्य (प्रकाशना) में कुछ अधिक या कम करने का अधिकार नहीं है। यदि वह ऐसा करेंगे, तो उन्हें कड़ी यातना दी जाएगी।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 44

لَأَخَذۡنَا مِنۡهُ بِٱلۡيَمِينِ

तो निश्चय हम उसे दाएँ हाथ से पकते।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 45

ثُمَّ لَقَطَعۡنَا مِنۡهُ ٱلۡوَتِينَ

फिर अवश्य हम उसके जीवन की धमनी काट देते।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 46

فَمَا مِنكُم مِّنۡ أَحَدٍ عَنۡهُ حَٰجِزِينَ

फिर तुममें से कोई भी हमें उससे रोकने वाला न होता।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 47

وَإِنَّهُۥ لَتَذۡكِرَةٞ لِّلۡمُتَّقِينَ

निःसंदेह यह (क़ुरआन) डरने वालों के लिए एक उपदेश है।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 48

وَإِنَّا لَنَعۡلَمُ أَنَّ مِنكُم مُّكَذِّبِينَ

तथा निःसंदेह हम निश्चित रूप से जानते हैं कि बेशक तुममें से कुछ झुठलाने वाले हैं।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 49

وَإِنَّهُۥ لَحَسۡرَةٌ عَلَى ٱلۡكَٰفِرِينَ

और निःसंदेह वह निश्चित रूप से काफ़िरों[8] के लिए पछतावे का कारण है।

तफ़्सीर:

8. अर्थात जो क़ुरआन को नहीं मानते, वे अंततः पछताएँगे।

सूरह का नाम : Al-Haqqah   सूरह नंबर : 69   आयत नंबर: 50

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