कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

وَمَا يَأۡتِيهِم مِّن رَّسُولٍ إِلَّا كَانُواْ بِهِۦ يَسۡتَهۡزِءُونَ

और उनके पास जो भी रसूल आता, वे उसका मज़ाक उड़ाया करते थे।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 11

كَذَٰلِكَ نَسۡلُكُهُۥ فِي قُلُوبِ ٱلۡمُجۡرِمِينَ

इसी तरह हम यह[4] (झुठलाने की प्रवृत्ति) अपराधियों के दिलों में डाल देते हैं।

तफ़्सीर:

4. अर्थात रसूलों को झुठलाने और उनका मज़ाक उड़ाने को, अर्थात उन्हें इसका दंड देंगे।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 12

لَا يُؤۡمِنُونَ بِهِۦ وَقَدۡ خَلَتۡ سُنَّةُ ٱلۡأَوَّلِينَ

वे उसपर ईमान नहीं लाते। और प्रथम जातियों से यही परंपरा चली आ रही है।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 13

وَلَوۡ فَتَحۡنَا عَلَيۡهِم بَابٗا مِّنَ ٱلسَّمَآءِ فَظَلُّواْ فِيهِ يَعۡرُجُونَ

और यदि हम उनपर आकाश का कोई द्वार खोल दें, फिर वे उसमें चढ़ते चले जाएँ।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 14

لَقَالُوٓاْ إِنَّمَا سُكِّرَتۡ أَبۡصَٰرُنَا بَلۡ نَحۡنُ قَوۡمٞ مَّسۡحُورُونَ

तब भी निश्चय वे यही कहेंगे कि हमारी निगाहें बाँध दी गई हैं। बल्कि हमपर जादू कर दिया गया है।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 15

وَلَقَدۡ جَعَلۡنَا فِي ٱلسَّمَآءِ بُرُوجٗا وَزَيَّنَّـٰهَا لِلنَّـٰظِرِينَ

निःसंदेह हमने आकाश में कई बुर्ज (बड़े सितारे) बनाए हैं और उन्हें देखने वालों के लिए सुशोभित किया है।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 16

وَحَفِظۡنَٰهَا مِن كُلِّ شَيۡطَٰنٖ رَّجِيمٍ

और हमने उसे प्रत्येक धिक्कारे हुए शैतान से सुरक्षित किया है।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 17

إِلَّا مَنِ ٱسۡتَرَقَ ٱلسَّمۡعَ فَأَتۡبَعَهُۥ شِهَابٞ مُّبِينٞ

परंतु जो (शैतान) चोरी-छिपे सुनना चाहे, तो एक स्पष्ट ज्वाला (उल्का) उसका पीछा[5] करती है।

तफ़्सीर:

5. शैतान चोरी से फ़रिश्तों की बात सुनने का प्रयास करते हैं। तो ज्वलंत उल्का उन्हें मारता है। अधिक विवरण के लिए, देखिए : सूरतुल-मुल्क, आयत : 5)

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 18

وَٱلۡأَرۡضَ مَدَدۡنَٰهَا وَأَلۡقَيۡنَا فِيهَا رَوَٰسِيَ وَأَنۢبَتۡنَا فِيهَا مِن كُلِّ شَيۡءٖ مَّوۡزُونٖ

और हमने धरती को फैलाया और उसमें पर्वत डाल (गाड़) दिए और उसमें हर चीज़ निर्धारित मात्रा में उगाई।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 19

وَجَعَلۡنَا لَكُمۡ فِيهَا مَعَٰيِشَ وَمَن لَّسۡتُمۡ لَهُۥ بِرَٰزِقِينَ

और हमने उसमें तुम्हारे लिए जीवन के संसाधन बना दिए। तथा उनके लिए (भी) जिन्हें तुम हरगिज़ रोज़ी देने वाले नहीं।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 20

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