कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

إِلَّآ إِبۡلِيسَ أَبَىٰٓ أَن يَكُونَ مَعَ ٱلسَّـٰجِدِينَ

सिवाय इबलीस के। उसने सजदा करने वालों के साथ शामिल होने से इनकार कर दिया।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 31

قَالَ يَـٰٓإِبۡلِيسُ مَا لَكَ أَلَّا تَكُونَ مَعَ ٱلسَّـٰجِدِينَ

अल्लाह ने पूछा : ऐ इबलीस! तुझे क्या हुआ कि तू सजदा करने वालों में शामिल नहीं हुआॽ

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 32

قَالَ لَمۡ أَكُن لِّأَسۡجُدَ لِبَشَرٍ خَلَقۡتَهُۥ مِن صَلۡصَٰلٖ مِّنۡ حَمَإٖ مَّسۡنُونٖ

उसने कहा : मैं ऐसा नहीं कि एक मनुष्य को सजदा करूँ, जिसे तूने सड़े हुए गारे की खनखनाती मिट्टी से पैदा किया है।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 33

قَالَ فَٱخۡرُجۡ مِنۡهَا فَإِنَّكَ رَجِيمٞ

अल्लाह ने कहा : फिर तू यहाँ से निकल जा। क्योंकि निश्चय तू धिक्कारा हुआ है।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 34

وَإِنَّ عَلَيۡكَ ٱللَّعۡنَةَ إِلَىٰ يَوۡمِ ٱلدِّينِ

और निःसंदेह तुझपर बदले (क़ियामत) के दिन तक धिक्कार है।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 35

قَالَ رَبِّ فَأَنظِرۡنِيٓ إِلَىٰ يَوۡمِ يُبۡعَثُونَ

उस (इबलीस) ने कहा[8] : ऐ मेरे पालनहार! तो फिर मुझे उस दिन तक मोहलत दे, जब वे (पुनः जीवित कर) उठाए जाएँगे।

तफ़्सीर:

8. अर्थात फ़रिश्ते परीक्षा में सफल हुए और इबलीस असफल रहा। क्योंकि उसने आदेश का पालन न करके अपनी मनमानी की। इसी प्रकार वे भी हैं, जो अल्लाह की बात न मानकर मनमानी करते हैं।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 36

قَالَ فَإِنَّكَ مِنَ ٱلۡمُنظَرِينَ

(अल्लाह ने) कहा : तू निःसंदेह मोहलत दिए गए लोगों में से है।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 37

إِلَىٰ يَوۡمِ ٱلۡوَقۡتِ ٱلۡمَعۡلُومِ

ज्ञात समय के दिन तक।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 38

قَالَ رَبِّ بِمَآ أَغۡوَيۡتَنِي لَأُزَيِّنَنَّ لَهُمۡ فِي ٱلۡأَرۡضِ وَلَأُغۡوِيَنَّهُمۡ أَجۡمَعِينَ

वह बोला : ऐ मेरे पालनहार! चूँकि तूने मुझे पथभ्रष्ट किया है, मैं अवश्य ही उनके लिए धरती में (पाप को) सुशोभित करूँगा और उन सभी को पथभ्रष्ट कर दूँगा।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 39

إِلَّا عِبَادَكَ مِنۡهُمُ ٱلۡمُخۡلَصِينَ

सिवाय तेरे उनमें से चुने हुए बंदों के।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 40

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