कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

قَالَ هَٰذَا صِرَٰطٌ عَلَيَّ مُسۡتَقِيمٌ

(अल्लाह ने) कहा : यह रास्ता है जो मुझ तक सीधा है।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 41

إِنَّ عِبَادِي لَيۡسَ لَكَ عَلَيۡهِمۡ سُلۡطَٰنٌ إِلَّا مَنِ ٱتَّبَعَكَ مِنَ ٱلۡغَاوِينَ

निःसंदेह मेरे बंदों पर तेरा कोई वश नहीं[9], परंतु जो बहके हुए लोगों में से तेरे पीछे चले।

तफ़्सीर:

9. अर्थात जो बंदे क़ुरआन तथा ह़दीस (नबी का तरीक़ा) का ज्ञान रखेंगे, उनपर शैतान का प्रभाव नहीं होगा। और जो इन दोनों के ज्ञान से जाहिल होंगे, वही उसके झाँसे में आएँगे। किंतु जो तौबा कर लें, तो उनको क्षमा कर दिया जाएगा।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 42

وَإِنَّ جَهَنَّمَ لَمَوۡعِدُهُمۡ أَجۡمَعِينَ

और निश्चय ही उन सब के वादा की जगह जहन्नम है।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 43

لَهَا سَبۡعَةُ أَبۡوَٰبٖ لِّكُلِّ بَابٖ مِّنۡهُمۡ جُزۡءٞ مَّقۡسُومٌ

उस (जहन्नम) के सात द्वार हैं। और प्रत्येक द्वार के लिए उन (इबलीस के अनुयायियों) का एक विभाजित भाग[10] है।

तफ़्सीर:

10. अर्थात इबलीस के अनुयायी अपने कुकर्मों के अनुसार नरक के द्वार में प्रवेश करेंगे।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 44

إِنَّ ٱلۡمُتَّقِينَ فِي جَنَّـٰتٖ وَعُيُونٍ

निःसंदेह आज्ञाकारी लोग जन्नतों तथा स्रोतों में होंगे।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 45

ٱدۡخُلُوهَا بِسَلَٰمٍ ءَامِنِينَ

(उनसे कहा जाएगा :) इसमें सलामती के साथ निर्भय होकर प्रवेश कर जाओ।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 46

وَنَزَعۡنَا مَا فِي صُدُورِهِم مِّنۡ غِلٍّ إِخۡوَٰنًا عَلَىٰ سُرُرٖ مُّتَقَٰبِلِينَ

और हम निकाल देंगे उनके दिलों में जो कुछ द्वेष होगा। वे भाई-भाई होकर एक-दूसरे के आमने-सामने तख़्तों पर (बैठे) होंगे।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 47

لَا يَمَسُّهُمۡ فِيهَا نَصَبٞ وَمَا هُم مِّنۡهَا بِمُخۡرَجِينَ

न उसमें उन्हें कोई थकान होगी और न वे वहाँ से निकाले जाएँगे।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 48

۞نَبِّئۡ عِبَادِيٓ أَنِّيٓ أَنَا ٱلۡغَفُورُ ٱلرَّحِيمُ

(ऐ नबी!) आप मेरे बंदों को सूचित कर दें कि निःसंदेह मैं ही बड़ा क्षमाशील, अत्यंत दयावान्[11] हूँ।

तफ़्सीर:

11. ह़दीस में है कि अल्लाह ने सौ दया पैदा की, निन्नानवे अपने पास रख लीं। और एक को पूरे संसार के लिए भेज दिया। अतः यदि काफ़िर उसकी पूरी दया जान जाए, तो स्वर्ग से निराश नहीं होगा। और ईमान वाला उसकी पूरी यातना जान जाए, तो नरक से निर्भय नहीं होगा। (सह़ीह़ बुख़ारी : 6469)

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 49

وَأَنَّ عَذَابِي هُوَ ٱلۡعَذَابُ ٱلۡأَلِيمُ

और यह भी कि निःसंदेह मेरी यातना ही कष्टदायक यातना है।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 50

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