कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

فَلَمَّا جَآءَ ءَالَ لُوطٍ ٱلۡمُرۡسَلُونَ

फिर जब लूत के घर वालों के पास भेजे हुए (फ़रिश्ते) आए।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 61

قَالَ إِنَّكُمۡ قَوۡمٞ مُّنكَرُونَ

तो उस (लूत अलैहिस्सलाम) ने कहा : तुम तो अपरिचित लोग हो।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 62

قَالُواْ بَلۡ جِئۡنَٰكَ بِمَا كَانُواْ فِيهِ يَمۡتَرُونَ

उन्होंने कहा : (डरो नहीं) बल्कि हम तुम्हारे पास वह चीज़ लेकर आए हैं, जिसमें वे संदेह किया करते थे।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 63

وَأَتَيۡنَٰكَ بِٱلۡحَقِّ وَإِنَّا لَصَٰدِقُونَ

और हम तुम्हारे पास सत्य लेकर आए हैं और निःसंदेह हम निश्चय सच्चे हैं।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 64

فَأَسۡرِ بِأَهۡلِكَ بِقِطۡعٖ مِّنَ ٱلَّيۡلِ وَٱتَّبِعۡ أَدۡبَٰرَهُمۡ وَلَا يَلۡتَفِتۡ مِنكُمۡ أَحَدٞ وَٱمۡضُواْ حَيۡثُ تُؤۡمَرُونَ

अतः तुम अपने घर वालों को लेकर रात के किसी हिस्से में निकल जाओ और खुद उनके पीछे-पीछे चलो। और तुममें से कोई मुड़कर न देखे। तथा चले जाओ, जहाँ तुम्हें आदेश दिया जाता है।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 65

وَقَضَيۡنَآ إِلَيۡهِ ذَٰلِكَ ٱلۡأَمۡرَ أَنَّ دَابِرَ هَـٰٓؤُلَآءِ مَقۡطُوعٞ مُّصۡبِحِينَ

और हमने उसकी ओर इस बात की वह़्य कर दी कि इन लोगों की जड़ सुबह होते ही काट दी जाने वाली है।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 66

وَجَآءَ أَهۡلُ ٱلۡمَدِينَةِ يَسۡتَبۡشِرُونَ

और उस नगर वाले इस हाल में आए कि बहुत खुश हो रहे थे।[12]

तफ़्सीर:

12. अर्थात जब फ़रिश्तों को नवयुवकों के रूप में देखा, तो लूत अलैहिस्सलाम के यहाँ आ गए ताकि उनके साथ कुकर्म करें।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 67

قَالَ إِنَّ هَـٰٓؤُلَآءِ ضَيۡفِي فَلَا تَفۡضَحُونِ

उस (लूत अलैहिस्सलाम) ने कहा : ये लोग तो मेरे अतिथि हैं। अतः मुझे अपमानित न करो।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 68

وَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَلَا تُخۡزُونِ

तथा अल्लाह से डरो और मुझे अपमानित न करो।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 69

قَالُوٓاْ أَوَلَمۡ نَنۡهَكَ عَنِ ٱلۡعَٰلَمِينَ

उन्होंने कहा : क्या हमने तुम्हें विश्व वासियों (को अतिथि बनाने) से मना[13] नहीं किया?

तफ़्सीर:

13. कि सबके समर्थक न बनो।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 70

नूजलेटर के लिए साइन अप करें