कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

قَالَ هَـٰٓؤُلَآءِ بَنَاتِيٓ إِن كُنتُمۡ فَٰعِلِينَ

उस (लूत अलैहिस्सलाम) ने कहा : ये मेरी बेटियाँ हैं, यदि तुम कुछ करने वाले[14] हो।

तफ़्सीर:

14. अर्थात् इनसे विवाह कर लो, और अपनी कामवासना पूरी करो, और कुकर्म न करो।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 71

لَعَمۡرُكَ إِنَّهُمۡ لَفِي سَكۡرَتِهِمۡ يَعۡمَهُونَ

ऐ नबी! आपकी आयु की क़सम![15] निःसंदेह वे निश्चय अपनी मस्ती में भटके फिरते थे।

तफ़्सीर:

15. अल्लाह के सिवा किसी मनुष्य के लिए उचित नहीं है कि वह अल्लाह के सिवा किसी और चीज़ की क़सम खाए।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 72

فَأَخَذَتۡهُمُ ٱلصَّيۡحَةُ مُشۡرِقِينَ

अंततः सूर्योदय के समय ही चिंघाड़ ने उन्हें पकड़ लिया।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 73

فَجَعَلۡنَا عَٰلِيَهَا سَافِلَهَا وَأَمۡطَرۡنَا عَلَيۡهِمۡ حِجَارَةٗ مِّن سِجِّيلٍ

फिर हमने उस बस्ती के ऊपरी भाग को नीचे कर दिया और उनपर कंकड़ के पत्थर बरसाए।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 74

إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَٰتٖ لِّلۡمُتَوَسِّمِينَ

निःसंदेह इसमें सोच-विचार करने वालों[16] के लिए बहुत-सी निशानियाँ हैं।

तफ़्सीर:

16. अर्थात जो लक्षणों से तथ्य को समझ जाते हैं।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 75

وَإِنَّهَا لَبِسَبِيلٖ مُّقِيمٍ

और निःसंदेह वह (बस्ती) एक सार्वजनिक[17] मार्ग पर स्थित है।

तफ़्सीर:

17. अर्थात जो सार्वजनिक मार्ग ह़िजाज़ (मक्का) से शाम को जाता है। यह शिक्षाप्रद बस्ती उसी मार्ग में आती है, जिससे तुम गुज़रते हुए शाम जाते हो।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 76

إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗ لِّلۡمُؤۡمِنِينَ

निःसंदेह इसमें ईमान वलों के लिए निश्चय बड़ी निशानी है।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 77

وَإِن كَانَ أَصۡحَٰبُ ٱلۡأَيۡكَةِ لَظَٰلِمِينَ

और निःसंदेह 'ऐका'[18] वाले निश्चित रूप से अत्याचारी थे।

तफ़्सीर:

18. इससे अभिप्रेत शुऐब अलैहिस्सलाम की जाति है, ऐका का अर्थ वन तथा झाड़ी है।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 78

فَٱنتَقَمۡنَا مِنۡهُمۡ وَإِنَّهُمَا لَبِإِمَامٖ مُّبِينٖ

तो हमने उनसे बदला लिया। और निःसंदेह वे दोनों[19] (बस्तियाँ) स्पष्ट मार्ग पर हैं।

तफ़्सीर:

19. अर्थात मदयन और ऐका का क्षेत्र भी ह़िजाज़ से फ़िलस्तीन और सीरिया जाते हुए, राह में पड़ता है।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 79

وَلَقَدۡ كَذَّبَ أَصۡحَٰبُ ٱلۡحِجۡرِ ٱلۡمُرۡسَلِينَ

तथा निःसंदेह ह़िज्र[20] के रहने वालों ने (भी) रसूलों को झुठलाया।

तफ़्सीर:

20. ह़िज्र समूद जाति की बस्ती थी, जो सालेह (अलैहिस्सलाम) की जाति थी, यह बस्ती मदीना और तबूक के बीच में स्थित थी।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 80

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