कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

وَءَاتَيۡنَٰهُمۡ ءَايَٰتِنَا فَكَانُواْ عَنۡهَا مُعۡرِضِينَ

और हमने उन्हें अपनी निशानियाँ दीं, तो वे उनसे मुँह फेरने वाले थे।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 81

وَكَانُواْ يَنۡحِتُونَ مِنَ ٱلۡجِبَالِ بُيُوتًا ءَامِنِينَ

और वे निर्भय होकर पर्वतों को काटकर घर बनाते थे।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 82

فَأَخَذَتۡهُمُ ٱلصَّيۡحَةُ مُصۡبِحِينَ

अंततः सुबह होते ही उन्हें चिंघाड़ ने पकड़ लिया।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 83

فَمَآ أَغۡنَىٰ عَنۡهُم مَّا كَانُواْ يَكۡسِبُونَ

फिर उनके किसी काम न आया, जो वे कमाया करते थे।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 84

وَمَا خَلَقۡنَا ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضَ وَمَا بَيۡنَهُمَآ إِلَّا بِٱلۡحَقِّۗ وَإِنَّ ٱلسَّاعَةَ لَأٓتِيَةٞۖ فَٱصۡفَحِ ٱلصَّفۡحَ ٱلۡجَمِيلَ

और हमने आकाशों तथा धरती और उन दोनों के बीच मौजूद सारी चीज़ों को सत्य के साथ पैदा किया है। और निःसंदेह क़ियामत अवश्य आने वाली है। अतः (ऐ नबी!) आप (उन्हें) भले तौर पर क्षमा कर दें।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 85

إِنَّ رَبَّكَ هُوَ ٱلۡخَلَّـٰقُ ٱلۡعَلِيمُ

निःसंदेह आपका पालनहार ही हर चीज़ को पैदा करने वाला, सब कुछ जानने वाला है।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 86

وَلَقَدۡ ءَاتَيۡنَٰكَ سَبۡعٗا مِّنَ ٱلۡمَثَانِي وَٱلۡقُرۡءَانَ ٱلۡعَظِيمَ

तथा (ऐ नबी!) हमने आपको बार-बार दोहराई जाने वाली सात आयतें और महान क़ुरआन[21] प्रदान किया है।

तफ़्सीर:

21. अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का कथन है कि उम्मुल क़ुरआन (सूरतुल-फ़ातिह़ा) ही वे सात आयतें हैं जो दुहराई जाती हैं, तथा महा क़ुरआन हैं। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4704) एक दूसरी ह़दीस में है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "अल्ह़म्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन" ही वह सात आयतें हैं जो बार-बार दुहराई जाती हैं, और महा क़ुरआन हैं, जो मुझे प्रदान किया गया है। (संक्षिप्त अनुवाद, सह़ीह़ बुख़ारी : 4702) यही कारण है कि इसके पढ़े बिना नमाज़ नहीं होती। ( सह़ीह़ बुख़ारी : 756, मुस्लिम : 394)

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 87

لَا تَمُدَّنَّ عَيۡنَيۡكَ إِلَىٰ مَا مَتَّعۡنَا بِهِۦٓ أَزۡوَٰجٗا مِّنۡهُمۡ وَلَا تَحۡزَنۡ عَلَيۡهِمۡ وَٱخۡفِضۡ جَنَاحَكَ لِلۡمُؤۡمِنِينَ

आप उसकी ओर हरगिज़ न देखें, जो सुख-सामग्री हमने उनमें से विभिन्न प्रकार के लोगों को दे रखी है और न उनपर दुखी हों और ईमान वालों के लिए अपने बाज़ू झुका दें (यानी उनके लिए विनम्र रहें)।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 88

وَقُلۡ إِنِّيٓ أَنَا ٱلنَّذِيرُ ٱلۡمُبِينُ

और कह दें कि निःसंदेह मैं तो खुल्लम-खुल्ला डराने[22] वाला हूँ।

तफ़्सीर:

22. अर्थात अवज्ञा पर यातना से।

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 89

كَمَآ أَنزَلۡنَا عَلَى ٱلۡمُقۡتَسِمِينَ

जैसे कि हमने (अल्लाह की किताब को) विभाजित करने वालों[23] पर (यातना) उतारी थी।

तफ़्सीर:

23. विभाजन कारियों से अभिप्राय : यहूदी और ईसाई हैं। जिन्होंने अपनी पुस्तकों तौरात तथा इंजील को खंड-खंड कर दिए। अर्थात उनके कुछ भाग पर ईमान लाए और कुछ को नकार दिया। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4705-4706)

सूरह का नाम : Al-Hijr   सूरह नंबर : 15   आयत नंबर: 90

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