कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

إِنَّ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ وَمَاتُواْ وَهُمۡ كُفَّارٞ فَلَن يُقۡبَلَ مِنۡ أَحَدِهِم مِّلۡءُ ٱلۡأَرۡضِ ذَهَبٗا وَلَوِ ٱفۡتَدَىٰ بِهِۦٓۗ أُوْلَـٰٓئِكَ لَهُمۡ عَذَابٌ أَلِيمٞ وَمَا لَهُم مِّن نَّـٰصِرِينَ

निःसंदेह जिन लोगों ने कुफ़्र किया और इस हाल में मर गए कि वे काफ़िर थे, तो उनके किसी एक से धरती के बराबर सोना भी हरगिज़ स्वीकार नहीं किया जाएगा, चाहे वह उसे फ़िदया (छुड़ौती) में दे दे। ये लोग हैं जिनके लिए दर्दनाक यातना है और उनके लिए कोई मदद करने वाले नहीं।

لَن تَنَالُواْ ٱلۡبِرَّ حَتَّىٰ تُنفِقُواْ مِمَّا تُحِبُّونَۚ وَمَا تُنفِقُواْ مِن شَيۡءٖ فَإِنَّ ٱللَّهَ بِهِۦ عَلِيمٞ

तुम नेकी[49] को कदापि नहीं प्राप्त कर सकते, जब तक तुम उन चीज़ों में से (अल्लाह के मार्ग में) खर्च न करो, जो तुम्हें प्रिय हैं। तथा तुम जो चीज़ भी खर्च करोगे, निःसंदेह अल्लाह उसे भली-भांति जानता है।

۞كُلُّ ٱلطَّعَامِ كَانَ حِلّٗا لِّبَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ إِلَّا مَا حَرَّمَ إِسۡرَـٰٓءِيلُ عَلَىٰ نَفۡسِهِۦ مِن قَبۡلِ أَن تُنَزَّلَ ٱلتَّوۡرَىٰةُۚ قُلۡ فَأۡتُواْ بِٱلتَّوۡرَىٰةِ فَٱتۡلُوهَآ إِن كُنتُمۡ صَٰدِقِينَ

खाने की समस्त चीज़ें बनी इसराईल के लिए हलाल (वैध) थीं, सिवाय उसके जिसे इसराईल (याक़ूब अलैहिस्सलाम)[50] ने तौरात उतरने से पहले अपने ऊपर हराम (अवैध) कर लिया था। (ऐ नबी!) आप कह दीजिए कि यदि तुम सच्चे हो, तो तौरात लाओ और उसे पढ़ो।

فَمَنِ ٱفۡتَرَىٰ عَلَى ٱللَّهِ ٱلۡكَذِبَ مِنۢ بَعۡدِ ذَٰلِكَ فَأُوْلَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلظَّـٰلِمُونَ

अब इसके बाद भी जो व्यक्ति अल्लाह पर मिथ्या आरोप लगाए, तो ऐसे ही लोग अत्याचारी हैं।

قُلۡ صَدَقَ ٱللَّهُۗ فَٱتَّبِعُواْ مِلَّةَ إِبۡرَٰهِيمَ حَنِيفٗاۖ وَمَا كَانَ مِنَ ٱلۡمُشۡرِكِينَ

(ऐ नबी!) आप कह दीजिए कि अल्लाह ने सच कहा है। अतः तुम इबराहीम (अलैहिस्सलाम) के धर्म का अनुसरण करो, जो एकेश्वरवादी थे और वह बहुदेववादियों में से नहीं थे।

إِنَّ أَوَّلَ بَيۡتٖ وُضِعَ لِلنَّاسِ لَلَّذِي بِبَكَّةَ مُبَارَكٗا وَهُدٗى لِّلۡعَٰلَمِينَ

निःसंदेह पहला घर जो मानव के लिए बनाया गया, वह वही है जो मक्का में है, जो बरकत वाला तथा समस्त संसार के लिए मार्गदर्शन है।

فِيهِ ءَايَٰتُۢ بَيِّنَٰتٞ مَّقَامُ إِبۡرَٰهِيمَۖ وَمَن دَخَلَهُۥ كَانَ ءَامِنٗاۗ وَلِلَّهِ عَلَى ٱلنَّاسِ حِجُّ ٱلۡبَيۡتِ مَنِ ٱسۡتَطَاعَ إِلَيۡهِ سَبِيلٗاۚ وَمَن كَفَرَ فَإِنَّ ٱللَّهَ غَنِيٌّ عَنِ ٱلۡعَٰلَمِينَ

उसमें खुली निशानियाँ हैं, (जिनमें) मक़ामे इबराहीम[51] है, तथा जो उसमें प्रवेश कर गया, वह सुरक्षित हो गया। तथा अल्लाह के लिए लोगों पर इस घर का हज्ज अनिवार्य है, जो वहाँ तक पहुँचने का सामर्थ्य रखता हो, और जिसने इनकार किया तो निःसंदेह अल्लाह (उससे, बल्कि) समस्त संसार से निस्पृह (बेनियाज़) है।

قُلۡ يَـٰٓأَهۡلَ ٱلۡكِتَٰبِ لِمَ تَكۡفُرُونَ بِـَٔايَٰتِ ٱللَّهِ وَٱللَّهُ شَهِيدٌ عَلَىٰ مَا تَعۡمَلُونَ

(ऐ नबी!) आप कह दीजिए कि ऐ किताब वालो! तुम अल्लाह की आयतों का क्यों इनकार करते हो, हालाँकि जो कुछ तुम करते हो अल्लाह उससे अवगत हैॽ

قُلۡ يَـٰٓأَهۡلَ ٱلۡكِتَٰبِ لِمَ تَصُدُّونَ عَن سَبِيلِ ٱللَّهِ مَنۡ ءَامَنَ تَبۡغُونَهَا عِوَجٗا وَأَنتُمۡ شُهَدَآءُۗ وَمَا ٱللَّهُ بِغَٰفِلٍ عَمَّا تَعۡمَلُونَ

(ऐ नबी) आप कह दीजिए : ऐ किताब वालो! तुम ईमान लाने वालों को अल्लाह के रास्ते से क्यों रोकते होॽ तुम्हें उसमें कुटिलता की तलाश रहती है। जबकि तुम (उसके सच्चे होने के) गवाह[52] होॽ और अल्लाह तुम्हारे कर्मों से अनभिज्ञ नहीं है।

يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓاْ إِن تُطِيعُواْ فَرِيقٗا مِّنَ ٱلَّذِينَ أُوتُواْ ٱلۡكِتَٰبَ يَرُدُّوكُم بَعۡدَ إِيمَٰنِكُمۡ كَٰفِرِينَ

ऐ ईमान वालो! यदि तुम किताब वालों के किसी समूह की बात मानोगे, तो वे तुम्हारे ईमान लाने के बाद फिर तुम्हें काफ़िर बना देंगे।

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