कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

فَسَوۡفَ يَدۡعُواْ ثُبُورٗا

तो वह विनाश को पुकारेगा।

सूरह का नाम : Al-Inshiqaq   सूरह नंबर : 84   आयत नंबर: 11

وَيَصۡلَىٰ سَعِيرًا

तथा जहन्नम में प्रवेश करेगा।

सूरह का नाम : Al-Inshiqaq   सूरह नंबर : 84   आयत नंबर: 12

إِنَّهُۥ كَانَ فِيٓ أَهۡلِهِۦ مَسۡرُورًا

निःसंदेह वह अपने घर वालों में बड़ा प्रसन्न था।

सूरह का नाम : Al-Inshiqaq   सूरह नंबर : 84   आयत नंबर: 13

إِنَّهُۥ ظَنَّ أَن لَّن يَحُورَ

निश्चय उसने समझा था कि वह कभी (अल्लाह की ओर) वापस नहीं लौटेगा।

सूरह का नाम : Al-Inshiqaq   सूरह नंबर : 84   आयत नंबर: 14

بَلَىٰٓۚ إِنَّ رَبَّهُۥ كَانَ بِهِۦ بَصِيرٗا

क्यों नहीं, निश्चय उसका पालनहार उसे देख रहा था।[2]

तफ़्सीर:

2. (6-15) इन आयतों में इनसान को सावधान किया गया है कि तुझे भी अपने पालनहार से मिलना है। और धीरे-धीरे उसी की ओर जा रहा है। वहाँ अपने कर्मानुसार जिसे दाएँ हाथ में कर्म-पत्र मिलेगा, वह अपनों से प्रसन्न होकर मिलेगा। और जिसको बाएँ हाथ में कर्म-पत्र दिया जाएगा, तो वह विनाश को पुकारेगा। यह वही होगा जिसने माया मोह में क़ुरआन को नकार दिया था। और सोचा कि इस सांसारिक जीवन के पश्चात कोई जीवन नहीं आएगा।

सूरह का नाम : Al-Inshiqaq   सूरह नंबर : 84   आयत नंबर: 15

فَلَآ أُقۡسِمُ بِٱلشَّفَقِ

मैं क़सम खाता हूँ शफ़क़ (सूर्यास्त के बाद की लाली) की।

सूरह का नाम : Al-Inshiqaq   सूरह नंबर : 84   आयत नंबर: 16

وَٱلَّيۡلِ وَمَا وَسَقَ

तथा रात की और उसकी जो कुछ वह एकत्रित करती है!

सूरह का नाम : Al-Inshiqaq   सूरह नंबर : 84   आयत नंबर: 17

وَٱلۡقَمَرِ إِذَا ٱتَّسَقَ

तथा चाँद की, जब वह पूरा हो जाता है।

सूरह का नाम : Al-Inshiqaq   सूरह नंबर : 84   आयत नंबर: 18

لَتَرۡكَبُنَّ طَبَقًا عَن طَبَقٖ

तुम अवश्य एक अवस्था से दूसरी अवस्था में स्थानांतरित होते रहोगे।

सूरह का नाम : Al-Inshiqaq   सूरह नंबर : 84   आयत नंबर: 19

فَمَا لَهُمۡ لَا يُؤۡمِنُونَ

फिर उन्हें क्या हो गया है कि वे ईमान नहीं लाते?

सूरह का नाम : Al-Inshiqaq   सूरह नंबर : 84   आयत नंबर: 20

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