कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

وَإِذَا قُرِئَ عَلَيۡهِمُ ٱلۡقُرۡءَانُ لَا يَسۡجُدُونَۤ۩

और जब उनके सामने क़ुरआन पढ़ा जाता है, तो सजदा नहीं करते।[3]

तफ़्सीर:

3. (16-21) इन आयतों में ब्रह्मांड के कुछ लक्षणों को साक्ष्य स्वरूप प्रस्तुत करके सावधान किया गया है कि जिस प्रकार यह ब्रह्मांड तीन स्थितियों से गुज़रता है, उसी प्रकार तुम्हें भी तीन स्थितियों से गुज़रना है : सांसारिक जीवन, फिर मरण, फिर परलोक का स्थायी जीवन जिसका सुख-दुख सांसारिक कर्मों के आधार पर होगा।

सूरह का नाम : Al-Inshiqaq   सूरह नंबर : 84   आयत नंबर: 21

بَلِ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ يُكَذِّبُونَ

बल्कि जिन्होंने कुफ़्र किया, वे (उसे) झुठलाते हैं।

सूरह का नाम : Al-Inshiqaq   सूरह नंबर : 84   आयत नंबर: 22

وَٱللَّهُ أَعۡلَمُ بِمَا يُوعُونَ

और अल्लाह सबसे अधिक जानने वाला है जो कुछ वे अपने भीतर रखते हैं।

सूरह का नाम : Al-Inshiqaq   सूरह नंबर : 84   आयत नंबर: 23

فَبَشِّرۡهُم بِعَذَابٍ أَلِيمٍ

अतः उन्हें एक दर्दनाक यातना की शुभ सूचना दे दो।

सूरह का नाम : Al-Inshiqaq   सूरह नंबर : 84   आयत नंबर: 24

إِلَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَٰتِ لَهُمۡ أَجۡرٌ غَيۡرُ مَمۡنُونِۭ

परंतु जो लोग ईमान लाए तथा उन्होंने सत्कर्म किए, उनके लिए कभी न समाप्त होने वाला बदला है।[4]

तफ़्सीर:

4. (22-25) इन आयतों में उनके लिए चेतावनी है, जो इन स्वभाविक साक्ष्यों के होते हुए क़ुरआन को न मानने पर अड़े हुए हैं। और उनके लिए शुभ सूचना है जो इसे मानकर विश्वास (ईमान) तथा सुकर्म की राह पर अग्रसर हैं।

सूरह का नाम : Al-Inshiqaq   सूरह नंबर : 84   आयत नंबर: 25

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