कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

أَوۡ تَكُونَ لَكَ جَنَّةٞ مِّن نَّخِيلٖ وَعِنَبٖ فَتُفَجِّرَ ٱلۡأَنۡهَٰرَ خِلَٰلَهَا تَفۡجِيرًا

या आपके लिए खजूरों और अंगूर का एक बाग़ हो और आप उसके बीच नहरें प्रवाहित कर दें।

أَوۡ تُسۡقِطَ ٱلسَّمَآءَ كَمَا زَعَمۡتَ عَلَيۡنَا كِسَفًا أَوۡ تَأۡتِيَ بِٱللَّهِ وَٱلۡمَلَـٰٓئِكَةِ قَبِيلًا

या आकाश को टुकड़े-टुकड़े करके हमपर गिरा दें, जैसा कि आपका दावा है, या अल्लाह और फ़रिश्तों को हमारे सामने ले आएँ।

أَوۡ يَكُونَ لَكَ بَيۡتٞ مِّن زُخۡرُفٍ أَوۡ تَرۡقَىٰ فِي ٱلسَّمَآءِ وَلَن نُّؤۡمِنَ لِرُقِيِّكَ حَتَّىٰ تُنَزِّلَ عَلَيۡنَا كِتَٰبٗا نَّقۡرَؤُهُۥۗ قُلۡ سُبۡحَانَ رَبِّي هَلۡ كُنتُ إِلَّا بَشَرٗا رَّسُولٗا

या आपके पास सोने का एक घर हो, या आप आकाश में चढ़ जाएँ। और हम आपके चढ़ने का हरगिज़ विश्वास नहीं करेंगे, यहाँ तक कि आप हमारे पास एक पुस्तक उतार लाएँ, जिसे हम पढ़ें। आप कह दें : मेरा पालनहार पवित्र है! मैं तो बस एक इनसान[55] हूँ, जो रसूल बनाकर भेजा गया है।

وَمَا مَنَعَ ٱلنَّاسَ أَن يُؤۡمِنُوٓاْ إِذۡ جَآءَهُمُ ٱلۡهُدَىٰٓ إِلَّآ أَن قَالُوٓاْ أَبَعَثَ ٱللَّهُ بَشَرٗا رَّسُولٗا

और जब लोगों के पास मार्गदर्शन[56] आ गया, तो उन्हें केवल इस बात ने ईमान लाने से रोक दिया कि उन्होंने कहा : क्या अल्लाह ने एक मनुष्य को रसूल बनाकर भेजा है?

قُل لَّوۡ كَانَ فِي ٱلۡأَرۡضِ مَلَـٰٓئِكَةٞ يَمۡشُونَ مُطۡمَئِنِّينَ لَنَزَّلۡنَا عَلَيۡهِم مِّنَ ٱلسَّمَآءِ مَلَكٗا رَّسُولٗا

(ऐ नबी!) आप कह दें : यदि धरती में फ़रिश्ते (आबाद) होते, जो निश्चिंत होकर चलते-फिरते, तो हम अवश्य उनपर आकाश से कोई फ़रिश्ता ही रसूल बनाकर उतारते।

قُلۡ كَفَىٰ بِٱللَّهِ شَهِيدَۢا بَيۡنِي وَبَيۡنَكُمۡۚ إِنَّهُۥ كَانَ بِعِبَادِهِۦ خَبِيرَۢا بَصِيرٗا

आप कह दें कि मेरे और तुम्हारे बीच गवाह[57] के रूप में अल्लाह काफ़ी है। निःसंदेह वह अपने बंदों की पूरी ख़बर रखने वाला, सबको देखने वाला है।

وَمَن يَهۡدِ ٱللَّهُ فَهُوَ ٱلۡمُهۡتَدِۖ وَمَن يُضۡلِلۡ فَلَن تَجِدَ لَهُمۡ أَوۡلِيَآءَ مِن دُونِهِۦۖ وَنَحۡشُرُهُمۡ يَوۡمَ ٱلۡقِيَٰمَةِ عَلَىٰ وُجُوهِهِمۡ عُمۡيٗا وَبُكۡمٗا وَصُمّٗاۖ مَّأۡوَىٰهُمۡ جَهَنَّمُۖ كُلَّمَا خَبَتۡ زِدۡنَٰهُمۡ سَعِيرٗا

और जिसे अल्लाह सीधा मार्ग दिखाए, वही मार्ग पाने वाला है और जिन्हें पथभ्रष्ट कर दे, आप उनके लिए अल्लाह के सिवा सहायक नहीं पाएँगे। और हम उन्हें क़ियामत के दिन उनके चेहरों के बल अंधे, गूँगे और बहरे बनाकर उठाएँगे। और उनका ठिकाना जहन्नम है। जब भी उसकी लपट कम होगी, हम उसे और भड़का देंगे।

ذَٰلِكَ جَزَآؤُهُم بِأَنَّهُمۡ كَفَرُواْ بِـَٔايَٰتِنَا وَقَالُوٓاْ أَءِذَا كُنَّا عِظَٰمٗا وَرُفَٰتًا أَءِنَّا لَمَبۡعُوثُونَ خَلۡقٗا جَدِيدًا

यही उनका बदला है। क्योंकि उन्होंने हमारी आयतों का इनकार किया और कहा : क्या जब हम हड्डियाँ और चूरा-चूरा हो जाएँगे, तो क्या निश्चय ही हम नए सिरे से पैदा करके उठाए जाने वाले हैं?[58]

۞أَوَلَمۡ يَرَوۡاْ أَنَّ ٱللَّهَ ٱلَّذِي خَلَقَ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضَ قَادِرٌ عَلَىٰٓ أَن يَخۡلُقَ مِثۡلَهُمۡ وَجَعَلَ لَهُمۡ أَجَلٗا لَّا رَيۡبَ فِيهِ فَأَبَى ٱلظَّـٰلِمُونَ إِلَّا كُفُورٗا

क्या इन लोगों ने नहीं देखा कि जिस अल्लाह ने आकाशों तथा धरती को पैदा किया, वह इसपर सामर्थ्यवान है कि उन जैसे (फिर) पैदा कर दे?[59] तथा उसने उनके लिए एक समय निर्धारित कर रखा है, जिसमें कोई संदेह नहीं है। फिर भी अत्याचारियों ने कुफ़्र के सिवा (हर चीज़ से) इनकार किया।

قُل لَّوۡ أَنتُمۡ تَمۡلِكُونَ خَزَآئِنَ رَحۡمَةِ رَبِّيٓ إِذٗا لَّأَمۡسَكۡتُمۡ خَشۡيَةَ ٱلۡإِنفَاقِۚ وَكَانَ ٱلۡإِنسَٰنُ قَتُورٗا

आप कह दें : यदि तुम मेरे पालनहार की दया के खज़ानों के मालिक होते, तो उस समय तुम (उन्हें) खर्च हो जाने के भय से अवश्य रोक लेते। और इनसान बड़ा ही कंजूस है।

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