कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

أَوۡ خَلۡقٗا مِّمَّا يَكۡبُرُ فِي صُدُورِكُمۡۚ فَسَيَقُولُونَ مَن يُعِيدُنَاۖ قُلِ ٱلَّذِي فَطَرَكُمۡ أَوَّلَ مَرَّةٖۚ فَسَيُنۡغِضُونَ إِلَيۡكَ رُءُوسَهُمۡ وَيَقُولُونَ مَتَىٰ هُوَۖ قُلۡ عَسَىٰٓ أَن يَكُونَ قَرِيبٗا

या कोई और रचना (बन जाओ), जो तुम्हारे दिलों में इससे बड़ी मालूम होती हो। फिर वे पूछेंगे : कौन हमें दोबारा पैदा करेगा? आप कह दें : वही जिसने तुम्हें पहली बार पैदा किया। फिर वे आपके आगे अपना सिर हिलाएँगे[29] और कहेंगे : ऐसा कब होगा? आप कह दें : हो सकता है कि वह निकट हो।

يَوۡمَ يَدۡعُوكُمۡ فَتَسۡتَجِيبُونَ بِحَمۡدِهِۦ وَتَظُنُّونَ إِن لَّبِثۡتُمۡ إِلَّا قَلِيلٗا

जिस दिन वह तुम्हें पुकारेगा, तो तुम उसकी प्रशंसा करते हुए उसकी पुकार का उत्तर दोगे[30] और यह सोचोगे कि तुम (संसार में) थोड़े ही समय रहे हो।

وَقُل لِّعِبَادِي يَقُولُواْ ٱلَّتِي هِيَ أَحۡسَنُۚ إِنَّ ٱلشَّيۡطَٰنَ يَنزَغُ بَيۡنَهُمۡۚ إِنَّ ٱلشَّيۡطَٰنَ كَانَ لِلۡإِنسَٰنِ عَدُوّٗا مُّبِينٗا

और आप मेरे बंदों से कह दें कि वह बात कहें जो सबसे उत्तम हो। निःसंदेह शैतान उनके बीच बिगाड़ पैदा करता[31] है। निःसंदेह शैतान इनसान का खुला दुश्मन है।

رَّبُّكُمۡ أَعۡلَمُ بِكُمۡۖ إِن يَشَأۡ يَرۡحَمۡكُمۡ أَوۡ إِن يَشَأۡ يُعَذِّبۡكُمۡۚ وَمَآ أَرۡسَلۡنَٰكَ عَلَيۡهِمۡ وَكِيلٗا

तुम्हारा पालनहार, तुम्हें बेहतर जानता है। यदि वह चाहे तो तुमपर दया करे या यदि चाहे तो तुम्हें अज़ाब दे। और हमने आपको उनपर ज़िम्मेदार बनाकर नहीं भेजा है।[32]

وَرَبُّكَ أَعۡلَمُ بِمَن فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۗ وَلَقَدۡ فَضَّلۡنَا بَعۡضَ ٱلنَّبِيِّـۧنَ عَلَىٰ بَعۡضٖۖ وَءَاتَيۡنَا دَاوُۥدَ زَبُورٗا

तथा आपका पालनहार उन्हें अधिक जानता है, जो आकाशों तथा धरती में हैं। और हमने कुछ नबियों को कुछ पर श्रेष्ठता प्रदान की और दाऊद को ज़बूर (पुस्तक) प्रदान की।

قُلِ ٱدۡعُواْ ٱلَّذِينَ زَعَمۡتُم مِّن دُونِهِۦ فَلَا يَمۡلِكُونَ كَشۡفَ ٱلضُّرِّ عَنكُمۡ وَلَا تَحۡوِيلًا

आप कह दें कि उन्हें पुकारो, जिन्हें तुम अल्लाह के सिवा (पूज्य) समझते हो। वे न तो तुमसे कष्ट दूर करने का अधिकार रखते है और न (उसे) बदलने का।

أُوْلَـٰٓئِكَ ٱلَّذِينَ يَدۡعُونَ يَبۡتَغُونَ إِلَىٰ رَبِّهِمُ ٱلۡوَسِيلَةَ أَيُّهُمۡ أَقۡرَبُ وَيَرۡجُونَ رَحۡمَتَهُۥ وَيَخَافُونَ عَذَابَهُۥٓۚ إِنَّ عَذَابَ رَبِّكَ كَانَ مَحۡذُورٗا

जिन्हें ये (मुश्रिक) लोग[33] पुकारते हैं, वे स्वयं अपने पालनहार की निकटता का साधन[34] तलाश करते हैं कि उनमें से कौन (अल्लाह से) सबसे अधिक निकट हो जाए, तथा उसकी दया की आशा रखते हैं और उसकी यातना से डरते हैं। निःसंदेह आपके पालनहार की यातना डरने की चीज़ है।

وَإِن مِّن قَرۡيَةٍ إِلَّا نَحۡنُ مُهۡلِكُوهَا قَبۡلَ يَوۡمِ ٱلۡقِيَٰمَةِ أَوۡ مُعَذِّبُوهَا عَذَابٗا شَدِيدٗاۚ كَانَ ذَٰلِكَ فِي ٱلۡكِتَٰبِ مَسۡطُورٗا

और कोई (अत्याचारी) बस्ती ऐसी नहीं है, जिसे हम क़ियामत के दिन से पहले विनष्ट न कर दें या कड़ी यातना न दें। यह बात किताब (लौहे महफ़ूज़) में लिखी हुई है।

وَمَا مَنَعَنَآ أَن نُّرۡسِلَ بِٱلۡأٓيَٰتِ إِلَّآ أَن كَذَّبَ بِهَا ٱلۡأَوَّلُونَۚ وَءَاتَيۡنَا ثَمُودَ ٱلنَّاقَةَ مُبۡصِرَةٗ فَظَلَمُواْ بِهَاۚ وَمَا نُرۡسِلُ بِٱلۡأٓيَٰتِ إِلَّا تَخۡوِيفٗا

और हमें निशानियाँ भेजने से केवल इस बात ने रोका कि पिछले लोगों ने उन्हें झुठला[35] दिया। और हमने समूद (समुदाय) को ऊँटनी का स्पष्ट चमत्कार दिया, तो उन्होंने उसपर अत्याचार किया। और हम निशानियाँ (चमत्कार) केवल डराने के लिए भेजते हैं।

وَإِذۡ قُلۡنَا لَكَ إِنَّ رَبَّكَ أَحَاطَ بِٱلنَّاسِۚ وَمَا جَعَلۡنَا ٱلرُّءۡيَا ٱلَّتِيٓ أَرَيۡنَٰكَ إِلَّا فِتۡنَةٗ لِّلنَّاسِ وَٱلشَّجَرَةَ ٱلۡمَلۡعُونَةَ فِي ٱلۡقُرۡءَانِۚ وَنُخَوِّفُهُمۡ فَمَا يَزِيدُهُمۡ إِلَّا طُغۡيَٰنٗا كَبِيرٗا

और (ऐ नबी! याद करें) जब हमने आपसे कहा : निःसंदेह आपके पालनहार ने लोगों को घेरे में ले रखा है। और हमने (मेराज की रात) आपको जो कुछ दिखाया[36], उसे लोगों के लिए एक आज़माइश बना दिया[37], और उस वृक्ष को भी (आज़माइश बना दिया) जिसे क़ुरआन में शापित ठहराया गया है। और हम उन्हें डराते हैं, किंतु यह (डराना) उनकी बड़ी सरकशी ही को बढ़ाता है।

नूजलेटर के लिए साइन अप करें