कुरान उद्धरण :  My Signs were rehearsed to you and you turned back on your heels and took to flight, -
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

أُوْلَـٰٓئِكَ لَهُمۡ جَنَّـٰتُ عَدۡنٖ تَجۡرِي مِن تَحۡتِهِمُ ٱلۡأَنۡهَٰرُ يُحَلَّوۡنَ فِيهَا مِنۡ أَسَاوِرَ مِن ذَهَبٖ وَيَلۡبَسُونَ ثِيَابًا خُضۡرٗا مِّن سُندُسٖ وَإِسۡتَبۡرَقٖ مُّتَّكِـِٔينَ فِيهَا عَلَى ٱلۡأَرَآئِكِۚ نِعۡمَ ٱلثَّوَابُ وَحَسُنَتۡ مُرۡتَفَقٗا

यही लोग हैं, जिनके लिए स्थायी बाग़ हैं, जिनके नीचे से नहरें बहती हैं। वहाँ उन्हें सोने के कंगन[15] पहनाए जाएँगे। तथा वे महीन और गाढ़े रेशम के हरे वस्त्र पहनेंगे। वहाँ तख़्तों पर तकिया लगाए हुए होंगे। यह क्या ही अच्छा बदला है और क्या ही अच्छा विश्राम स्थान है।

तफ़्सीर:

15. यह स्वर्ग वासियों का स्वर्ण कंगन है। किंतु संसार में इस्लाम की शिक्षानुसार पुरुषों के लिए सोने का कंगन पहनना ह़राम है।

सूरह का नाम : Al-Kahf   सूरह नंबर : 18   आयत नंबर: 31

۞وَٱضۡرِبۡ لَهُم مَّثَلٗا رَّجُلَيۡنِ جَعَلۡنَا لِأَحَدِهِمَا جَنَّتَيۡنِ مِنۡ أَعۡنَٰبٖ وَحَفَفۡنَٰهُمَا بِنَخۡلٖ وَجَعَلۡنَا بَيۡنَهُمَا زَرۡعٗا

और (ऐ नबी!) आप उन्हें दो व्यक्तियों का एक उदाहरण दें; जिनमें से एक को हमने अंगूरों के दो बाग़ दिए और हमने दोनों को खजूरों के पेड़ों से घेर दिया और दोनों के बीच कुछ खेती रखी।

सूरह का नाम : Al-Kahf   सूरह नंबर : 18   आयत नंबर: 32

كِلۡتَا ٱلۡجَنَّتَيۡنِ ءَاتَتۡ أُكُلَهَا وَلَمۡ تَظۡلِم مِّنۡهُ شَيۡـٔٗاۚ وَفَجَّرۡنَا خِلَٰلَهُمَا نَهَرٗا

दोनों बाग़ों ने अपने पूरे फल दिए और उसमें से कुछ कमी नहीं की। और हमने दोनों के बीच एक नहर जारी कर दी।

सूरह का नाम : Al-Kahf   सूरह नंबर : 18   आयत नंबर: 33

وَكَانَ لَهُۥ ثَمَرٞ فَقَالَ لِصَٰحِبِهِۦ وَهُوَ يُحَاوِرُهُۥٓ أَنَا۠ أَكۡثَرُ مِنكَ مَالٗا وَأَعَزُّ نَفَرٗا

और उसके पास बहुत-सा फल था। तो उसने अपने साथी से, जबकि वह उससे बात कर रहा था, कहा : मैं तुझसे धन-दौलत में अधिक हूँ तथा जत्थे में भी बढ़कर हूँ।

सूरह का नाम : Al-Kahf   सूरह नंबर : 18   आयत नंबर: 34

وَدَخَلَ جَنَّتَهُۥ وَهُوَ ظَالِمٞ لِّنَفۡسِهِۦ قَالَ مَآ أَظُنُّ أَن تَبِيدَ هَٰذِهِۦٓ أَبَدٗا

और उसने अपने बाग़ में (इस हाल में) प्रवेश किया कि वह अपने आप पर अत्याचार करने वाला था। उसने कहा : मैं नहीं समझता कि इसका कभी विनाश होगा।

सूरह का नाम : Al-Kahf   सूरह नंबर : 18   आयत नंबर: 35

وَمَآ أَظُنُّ ٱلسَّاعَةَ قَآئِمَةٗ وَلَئِن رُّدِدتُّ إِلَىٰ رَبِّي لَأَجِدَنَّ خَيۡرٗا مِّنۡهَا مُنقَلَبٗا

और न मैं यह समझता हूँ कि क़ियामत आने वाली है। और वाक़ई यदि मुझे अपने पालनहार की ओर लौटाया गया, तो निश्चय ही मैं ज़रूर इससे उत्तम लौटने का स्थान पाऊँगा।

सूरह का नाम : Al-Kahf   सूरह नंबर : 18   आयत नंबर: 36

قَالَ لَهُۥ صَاحِبُهُۥ وَهُوَ يُحَاوِرُهُۥٓ أَكَفَرۡتَ بِٱلَّذِي خَلَقَكَ مِن تُرَابٖ ثُمَّ مِن نُّطۡفَةٖ ثُمَّ سَوَّىٰكَ رَجُلٗا

उसके साथी ने, जबकि वह उससे बातें कर रहा था, उससे कहा : क्या तूने उसके साथ कुफ़्र किया, जिसने तुझे तुच्छ मिट्टी से पैदा किया, फिर वीर्य से, फिर तुझे ठीक-ठाक एक पुरुष बना दिया?

सूरह का नाम : Al-Kahf   सूरह नंबर : 18   आयत नंबर: 37

لَّـٰكِنَّا۠ هُوَ ٱللَّهُ رَبِّي وَلَآ أُشۡرِكُ بِرَبِّيٓ أَحَدٗا

लेकिन मैं, तो वह अल्लाह ही मेरा पालनहार है और मैं अपने पालनहार के साथ किसी को साझी नहीं बनाता।

सूरह का नाम : Al-Kahf   सूरह नंबर : 18   आयत नंबर: 38

وَلَوۡلَآ إِذۡ دَخَلۡتَ جَنَّتَكَ قُلۡتَ مَا شَآءَ ٱللَّهُ لَا قُوَّةَ إِلَّا بِٱللَّهِۚ إِن تَرَنِ أَنَا۠ أَقَلَّ مِنكَ مَالٗا وَوَلَدٗا

और जब तूने अपने बाग़ में प्रवेश किया, तो क्यों नहीं कहा : ''जो अल्लाह ने चाहा, अल्लाह की मदद के बिना कोई शक्ति नहीं'', यदि तू मुझे देखता है कि मैं धन तथा संतान में तुझसे कमतर हूँ।

सूरह का नाम : Al-Kahf   सूरह नंबर : 18   आयत नंबर: 39

فَعَسَىٰ رَبِّيٓ أَن يُؤۡتِيَنِ خَيۡرٗا مِّن جَنَّتِكَ وَيُرۡسِلَ عَلَيۡهَا حُسۡبَانٗا مِّنَ ٱلسَّمَآءِ فَتُصۡبِحَ صَعِيدٗا زَلَقًا

तो आशा है कि मेरा पालनहार मुझे तेरे बाग़ से अच्छा प्रदान कर दे, और इस (बाग़) पर आकाश से कोई आपदा भेज दे, तो यह (चटियल) चिकनी भूमि बन जाए।

सूरह का नाम : Al-Kahf   सूरह नंबर : 18   आयत नंबर: 40

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