कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

سَأَلَ سَآئِلُۢ بِعَذَابٖ وَاقِعٖ

एक माँगने वाले[1] ने वह यातना माँगी, जो घटित होने वाली है।

لِّلۡكَٰفِرِينَ لَيۡسَ لَهُۥ دَافِعٞ

काफ़िरों पर। उसे कोई टालने वाला नहीं।

مِّنَ ٱللَّهِ ذِي ٱلۡمَعَارِجِ

ऊँचाइयों वाले अल्लाह की ओर से।

تَعۡرُجُ ٱلۡمَلَـٰٓئِكَةُ وَٱلرُّوحُ إِلَيۡهِ فِي يَوۡمٖ كَانَ مِقۡدَارُهُۥ خَمۡسِينَ أَلۡفَ سَنَةٖ

फ़रिश्ते और रूह[2] उसकी ओर चढ़ेंगे, एक ऐसे दिन में जिसकी मात्रा पचास हज़ार वर्ष है।

فَٱصۡبِرۡ صَبۡرٗا جَمِيلًا

अतः (ऐ नबी!) आप अच्छे धैर्य से काम लें।

إِنَّهُمۡ يَرَوۡنَهُۥ بَعِيدٗا

निःसंदेह वे उसे दूर समझ रहे हैं।

وَنَرَىٰهُ قَرِيبٗا

और हम उसे निकट देख रहे हैं।

يَوۡمَ تَكُونُ ٱلسَّمَآءُ كَٱلۡمُهۡلِ

जिस दिन आकाश पिघली हुई धातु के समान हो जाएगा।

وَتَكُونُ ٱلۡجِبَالُ كَٱلۡعِهۡنِ

और पर्वत धुने हुए ऊन के समान हो जाएँगे।[3]

وَلَا يَسۡـَٔلُ حَمِيمٌ حَمِيمٗا

और कोई मित्र किसी मित्र को नहीं पूछेगा।

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