कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

فَرَّتۡ مِن قَسۡوَرَةِۭ

जो शेर से भागे हैं।

सूरह का नाम : Al-Muddaththir   सूरह नंबर : 74   आयत नंबर: 51

بَلۡ يُرِيدُ كُلُّ ٱمۡرِيٕٖ مِّنۡهُمۡ أَن يُؤۡتَىٰ صُحُفٗا مُّنَشَّرَةٗ

बल्कि उनमें से प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसे खुली पुस्तकें[14] दी जाएँ।

तफ़्सीर:

14. अर्थात वे चाहते हैं कि प्रत्येक के ऊपर वैसे ही पुस्तक उतारी जाए, जैसे मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर उतारी गई है। तब वे ईमान लाएँगे। (इब्ने कसीर)

सूरह का नाम : Al-Muddaththir   सूरह नंबर : 74   आयत नंबर: 52

كَلَّاۖ بَل لَّا يَخَافُونَ ٱلۡأٓخِرَةَ

ऐसा कदापि नहीं हो सकता, बल्कि वे आख़िरत से नहीं डरते।

सूरह का नाम : Al-Muddaththir   सूरह नंबर : 74   आयत नंबर: 53

كَلَّآ إِنَّهُۥ تَذۡكِرَةٞ

हरगिज़ नहीं, निश्चय यह (क़ुरआन) एक उपदेश (याददेहानी) है।

सूरह का नाम : Al-Muddaththir   सूरह नंबर : 74   आयत नंबर: 54

فَمَن شَآءَ ذَكَرَهُۥ

अतः जो चाहे, उससे नसीहत प्राप्त करे।

सूरह का नाम : Al-Muddaththir   सूरह नंबर : 74   आयत नंबर: 55

وَمَا يَذۡكُرُونَ إِلَّآ أَن يَشَآءَ ٱللَّهُۚ هُوَ أَهۡلُ ٱلتَّقۡوَىٰ وَأَهۡلُ ٱلۡمَغۡفِرَةِ

और वे नसीहत प्राप्त नहीं कर सकते, परंतु यह कि अल्लाह चाहे। वही इस योग्य है कि उससे डरा जाए और वही इस योग्य है कि क्षमा करे।

सूरह का नाम : Al-Muddaththir   सूरह नंबर : 74   आयत नंबर: 56

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