कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

أَمَّنۡ هَٰذَا ٱلَّذِي يَرۡزُقُكُمۡ إِنۡ أَمۡسَكَ رِزۡقَهُۥۚ بَل لَّجُّواْ فِي عُتُوّٖ وَنُفُورٍ

या वह कौन है जो तुम्हें रोज़ी दे, यदि वह अपनी रोज़ी रोक ले? बल्कि वे सरकशी तथा बिदकने पर अड़े हुए हैं।[7]

तफ़्सीर:

7. अर्थात सत्य से घृणा में।

सूरह का नाम : Al-Mulk   सूरह नंबर : 67   आयत नंबर: 21

أَفَمَن يَمۡشِي مُكِبًّا عَلَىٰ وَجۡهِهِۦٓ أَهۡدَىٰٓ أَمَّن يَمۡشِي سَوِيًّا عَلَىٰ صِرَٰطٖ مُّسۡتَقِيمٖ

तो क्या वह व्यक्ति जो अपने मुँह के बल उलटा होकर चलता है, अधिक मार्गदर्शन पर है या वह जो सीधा होकर सीधे मार्ग पर चलता है?[8]

तफ़्सीर:

8. इसमें काफ़िर तथा ईमानधारी का उदाहरण है। और दोनों के जीवन-लक्ष्य को बताया गया है कि काफ़िर सदा मायामोह में रहते हैं।

सूरह का नाम : Al-Mulk   सूरह नंबर : 67   आयत नंबर: 22

قُلۡ هُوَ ٱلَّذِيٓ أَنشَأَكُمۡ وَجَعَلَ لَكُمُ ٱلسَّمۡعَ وَٱلۡأَبۡصَٰرَ وَٱلۡأَفۡـِٔدَةَۚ قَلِيلٗا مَّا تَشۡكُرُونَ

आप कह दें : वही है जिसने तुम्हें पैदा किया तथा तुम्हारे लिए कान तथा आँखें और दिल बनाए। तुम बहुत कम आभार प्रकट करते हो।

सूरह का नाम : Al-Mulk   सूरह नंबर : 67   आयत नंबर: 23

قُلۡ هُوَ ٱلَّذِي ذَرَأَكُمۡ فِي ٱلۡأَرۡضِ وَإِلَيۡهِ تُحۡشَرُونَ

आप कह दें : वही है जिसने तुम्हें धरती में फैलाया और तुम उसी की ओर एकत्र[9] किए जाओगे।

तफ़्सीर:

9. प्रलय के दिन अपने कर्मों के लेखा-जोखा तथा प्रतिकार के लिए।

सूरह का नाम : Al-Mulk   सूरह नंबर : 67   आयत नंबर: 24

وَيَقُولُونَ مَتَىٰ هَٰذَا ٱلۡوَعۡدُ إِن كُنتُمۡ صَٰدِقِينَ

तथा वे कहते हैं : (क़ियामत का) यह वचन कब पूरा होगा, यदि तुम सच्चे हो?

सूरह का नाम : Al-Mulk   सूरह नंबर : 67   आयत नंबर: 25

قُلۡ إِنَّمَا ٱلۡعِلۡمُ عِندَ ٱللَّهِ وَإِنَّمَآ أَنَا۠ نَذِيرٞ مُّبِينٞ

आप कह दें : इसका ज्ञान तो केवल अल्लाह के पास है। और मैं तो मात्र एक स्पष्ट डराने वाला हूँ।

सूरह का नाम : Al-Mulk   सूरह नंबर : 67   आयत नंबर: 26

فَلَمَّا رَأَوۡهُ زُلۡفَةٗ سِيٓـَٔتۡ وُجُوهُ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ وَقِيلَ هَٰذَا ٱلَّذِي كُنتُم بِهِۦ تَدَّعُونَ

फिर जब वे उसे निकट देखेंगे, तो उन लोगों के चेहरे बिगड़ जाएँगे जिन्होंने इनकार किया और कहा जाएगा : यही है वह जो तुम माँगा करते थे।

सूरह का नाम : Al-Mulk   सूरह नंबर : 67   आयत नंबर: 27

قُلۡ أَرَءَيۡتُمۡ إِنۡ أَهۡلَكَنِيَ ٱللَّهُ وَمَن مَّعِيَ أَوۡ رَحِمَنَا فَمَن يُجِيرُ ٱلۡكَٰفِرِينَ مِنۡ عَذَابٍ أَلِيمٖ

आप कह दें : भला बताओ तो सही, यदि अल्लाह मुझे और उनको, जो मेरे साथ हैं, विनष्ट कर दे या हम पर दया करे, तो काफ़िरों को दर्दनाक यातना[10] से कौन शरण देगा?

तफ़्सीर:

10. अर्थात तुम हमारा बुरा तो चाहते हो, परंतु अपनी चिंता नहीं करते।

सूरह का नाम : Al-Mulk   सूरह नंबर : 67   आयत नंबर: 28

قُلۡ هُوَ ٱلرَّحۡمَٰنُ ءَامَنَّا بِهِۦ وَعَلَيۡهِ تَوَكَّلۡنَاۖ فَسَتَعۡلَمُونَ مَنۡ هُوَ فِي ضَلَٰلٖ مُّبِينٖ

आप कह दें : वही अत्यंत दयावान् है। हम उसपर ईमान लाए तथा हमने उसी पर भरोसा किया। तो शीघ्र ही तुम जान लोगे कि वह कौन है जो खुली गुमराही में है।

सूरह का नाम : Al-Mulk   सूरह नंबर : 67   आयत नंबर: 29

قُلۡ أَرَءَيۡتُمۡ إِنۡ أَصۡبَحَ مَآؤُكُمۡ غَوۡرٗا فَمَن يَأۡتِيكُم بِمَآءٖ مَّعِينِۭ

आप कह दें : भला बताओ तो सही, यदि तुम्हारा पानी गहराई में चला जाए, तो कौन है जो तुम्हारे पास बहता हुआ पानी लाएगा?

सूरह का नाम : Al-Mulk   सूरह नंबर : 67   आयत नंबर: 30

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