कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

فَإِذَا نُفِخَ فِي ٱلصُّورِ فَلَآ أَنسَابَ بَيۡنَهُمۡ يَوۡمَئِذٖ وَلَا يَتَسَآءَلُونَ

फिर जब सूर (नरसिंघा) में फूँक मारी जाएगी, तो उस दिन[27] उनके बीच न कोई रिश्ते-नाते होंगे और न वे एक-दूसरे को पूछेंगे।

तफ़्सीर:

27. अर्थात प्रलय के दिन। उस दिन भय के कारण सबको अपनी चिंता होगी।

सूरह का नाम : Al-Muminun   सूरह नंबर : 23   आयत नंबर: 101

فَمَن ثَقُلَتۡ مَوَٰزِينُهُۥ فَأُوْلَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلۡمُفۡلِحُونَ

फिर जिसके पलड़े भारी हो गए, वही लोग सफल हैं।

सूरह का नाम : Al-Muminun   सूरह नंबर : 23   आयत नंबर: 102

وَمَنۡ خَفَّتۡ مَوَٰزِينُهُۥ فَأُوْلَـٰٓئِكَ ٱلَّذِينَ خَسِرُوٓاْ أَنفُسَهُمۡ فِي جَهَنَّمَ خَٰلِدُونَ

और जिसके पलड़े हलके हो गए, तो वही लोग हैं, जिन्होंने अपने आपको घाटे में डाला। जहन्नम ही में सदावासी होंगे।

सूरह का नाम : Al-Muminun   सूरह नंबर : 23   आयत नंबर: 103

تَلۡفَحُ وُجُوهَهُمُ ٱلنَّارُ وَهُمۡ فِيهَا كَٰلِحُونَ

उनके चेहरों को आग झुलसाएगी तथा उसमें उनके जबड़े (झुलसकर) बाहर निकले होंगे।

सूरह का नाम : Al-Muminun   सूरह नंबर : 23   आयत नंबर: 104

أَلَمۡ تَكُنۡ ءَايَٰتِي تُتۡلَىٰ عَلَيۡكُمۡ فَكُنتُم بِهَا تُكَذِّبُونَ

क्या मेरी आयतें तुमपर पढ़ी न जाती थीं, तो तुम उन्हें झुठलाया करते थे?

सूरह का नाम : Al-Muminun   सूरह नंबर : 23   आयत नंबर: 105

قَالُواْ رَبَّنَا غَلَبَتۡ عَلَيۡنَا شِقۡوَتُنَا وَكُنَّا قَوۡمٗا ضَآلِّينَ

वे कहेंगे : ऐ हमारे पालनहार! हमारा दुर्भाग्य हमपर प्रभावी हो गया[28] और हम गुमराह लोग थे।

तफ़्सीर:

28. अर्थात अपने दुर्भाग्य के कारण हमने तेरी आयतों को अस्वीकार कर दिया।

सूरह का नाम : Al-Muminun   सूरह नंबर : 23   आयत नंबर: 106

رَبَّنَآ أَخۡرِجۡنَا مِنۡهَا فَإِنۡ عُدۡنَا فَإِنَّا ظَٰلِمُونَ

ऐ हमारे पालनहार! हमें इससे निकाल ले। फिर यदि हम दोबारा ऐसा करें, तो निश्चय हम अत्याचारी होंगे।

सूरह का नाम : Al-Muminun   सूरह नंबर : 23   आयत नंबर: 107

قَالَ ٱخۡسَـُٔواْ فِيهَا وَلَا تُكَلِّمُونِ

वह (अल्लाह) कहेगा : इसी में अपमानित होकर पड़े रहो और मुझसे बात न करो।

सूरह का नाम : Al-Muminun   सूरह नंबर : 23   आयत नंबर: 108

إِنَّهُۥ كَانَ فَرِيقٞ مِّنۡ عِبَادِي يَقُولُونَ رَبَّنَآ ءَامَنَّا فَٱغۡفِرۡ لَنَا وَٱرۡحَمۡنَا وَأَنتَ خَيۡرُ ٱلرَّـٰحِمِينَ

निःसंदेह मेरे बंदों में से कुछ लोग थे, जो कहते थे : ऐ हमारे पालनहार! हम ईमान ले आए। अतः तू हमें क्षमा कर दे और हमपर दया कर। और तू सब दया करने वालों से बेहतर है।

सूरह का नाम : Al-Muminun   सूरह नंबर : 23   आयत नंबर: 109

فَٱتَّخَذۡتُمُوهُمۡ سِخۡرِيًّا حَتَّىٰٓ أَنسَوۡكُمۡ ذِكۡرِي وَكُنتُم مِّنۡهُمۡ تَضۡحَكُونَ

तो तुमने उन्हें मज़ाक़ बना लिया, यहाँ तक कि उन्होंने तुम्हें मेरी याद भुला दी और तुम उनसे हँसी किया करते थे।

सूरह का नाम : Al-Muminun   सूरह नंबर : 23   आयत नंबर: 110

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