कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

يَـٰٓأَيُّهَا ٱلرُّسُلُ كُلُواْ مِنَ ٱلطَّيِّبَٰتِ وَٱعۡمَلُواْ صَٰلِحًاۖ إِنِّي بِمَا تَعۡمَلُونَ عَلِيمٞ

ऐ रसूलो! पाक चीज़ों[13] में से खाओ तथा अच्छे कर्म करो। निश्चय मैं उससे भली-भाँति अवगत हूँ, जो तुम करते हो।

तफ़्सीर:

13. नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : अल्लाह पाक है और पाक (हलाल) चीज़ ही को स्वीकार करता है। और ईमान वालों को वही आदेश दिया है जो रसूलों को दिया है। फिर आपने यही आयत पढ़ी। (संक्षिप्त अनुवाद मुस्लिम : 1015)

सूरह का नाम : Al-Muminun   सूरह नंबर : 23   आयत नंबर: 51

وَإِنَّ هَٰذِهِۦٓ أُمَّتُكُمۡ أُمَّةٗ وَٰحِدَةٗ وَأَنَا۠ رَبُّكُمۡ فَٱتَّقُونِ

और निःसंदेह यह तुम्हारा समुदाय (धर्म) एक ही समुदाय (धर्म) है और मैं तुम सबका पालनहार (पूज्य) हूँ। अतः मुझसे डरो।

सूरह का नाम : Al-Muminun   सूरह नंबर : 23   आयत नंबर: 52

فَتَقَطَّعُوٓاْ أَمۡرَهُم بَيۡنَهُمۡ زُبُرٗاۖ كُلُّ حِزۡبِۭ بِمَا لَدَيۡهِمۡ فَرِحُونَ

फिर वे अपने मामले (धर्म) में परस्पर कई समूहों में विभाजित होकर टुकड़े-टुकड़े हो गए। प्रत्येक समूह के लोग उसी पर खुश हैं, जो उनके पास[14] है।

तफ़्सीर:

14. इन आयतों में कहा गया है कि सब रसूलों ने यही शिक्षा दी है कि स्वच्छ पवित्र चीज़ें खाओ और सत्कर्म करो। तुम्हारा पालनहार एक है और तुम सभी का धर्म एक है। परंतु लोगों ने धर्म में विभेद करके बहुत से संप्रदाय बना लिए, और अब प्रत्येक संप्रदाय अपने विश्वास तथा कर्म में मग्न है, भले ही वह सत्य से दूर हो।

सूरह का नाम : Al-Muminun   सूरह नंबर : 23   आयत नंबर: 53

فَذَرۡهُمۡ فِي غَمۡرَتِهِمۡ حَتَّىٰ حِينٍ

अतः (ऐ नबी!) आप उन्हें एक समय तक उनकी अचेतना में छोड़ दें।

सूरह का नाम : Al-Muminun   सूरह नंबर : 23   आयत नंबर: 54

أَيَحۡسَبُونَ أَنَّمَا نُمِدُّهُم بِهِۦ مِن مَّالٖ وَبَنِينَ

क्या वे समझते हैं कि हम धन और संतान में से जिन चीज़ों के साथ उनकी सहायता कर रहे हैं।

सूरह का नाम : Al-Muminun   सूरह नंबर : 23   आयत नंबर: 55

نُسَارِعُ لَهُمۡ فِي ٱلۡخَيۡرَٰتِۚ بَل لَّا يَشۡعُرُونَ

हम उन्हें भलाइयाँ देने में जल्दी कर रहे हैं? बल्कि वे नहीं समझते।[15]

तफ़्सीर:

15. अर्थात यह कि हम उन्हें अवसर दे रहे हैं।

सूरह का नाम : Al-Muminun   सूरह नंबर : 23   आयत नंबर: 56

إِنَّ ٱلَّذِينَ هُم مِّنۡ خَشۡيَةِ رَبِّهِم مُّشۡفِقُونَ

निःसंदेह वे लोग जो अपने पालनहार के भय से डरने वाले हैं।

सूरह का नाम : Al-Muminun   सूरह नंबर : 23   आयत नंबर: 57

وَٱلَّذِينَ هُم بِـَٔايَٰتِ رَبِّهِمۡ يُؤۡمِنُونَ

और वे जो अपने पालनहार की आयतों पर ईमान रखते हैं।

सूरह का नाम : Al-Muminun   सूरह नंबर : 23   आयत नंबर: 58

وَٱلَّذِينَ هُم بِرَبِّهِمۡ لَا يُشۡرِكُونَ

और वे जो अपने पालनहार का साझी नहीं बनाते।

सूरह का नाम : Al-Muminun   सूरह नंबर : 23   आयत नंबर: 59

وَٱلَّذِينَ يُؤۡتُونَ مَآ ءَاتَواْ وَّقُلُوبُهُمۡ وَجِلَةٌ أَنَّهُمۡ إِلَىٰ رَبِّهِمۡ رَٰجِعُونَ

और वे लोग कि जो कुछ भी दें, इस हाल में देते हैं कि उनके दिल डरने वाले होते हैं कि वे अपने पालनहार ही की ओर लौटने वाले हैं।

सूरह का नाम : Al-Muminun   सूरह नंबर : 23   आयत नंबर: 60

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