कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

فَجَعَلۡنَٰهُ فِي قَرَارٖ مَّكِينٍ

फिर हमने उसे एक सुरक्षित ठिकाने में रखा।

सूरह का नाम : Al-Mursalat   सूरह नंबर : 77   आयत नंबर: 21

إِلَىٰ قَدَرٖ مَّعۡلُومٖ

एक ज्ञात अवधि तक।[7]

तफ़्सीर:

7. अर्थात गर्भ की अवधि तक।

सूरह का नाम : Al-Mursalat   सूरह नंबर : 77   आयत नंबर: 22

فَقَدَرۡنَا فَنِعۡمَ ٱلۡقَٰدِرُونَ

फिर हमने अनुमान[8] लगाया, तो हम क्या ही अच्छा अनुमान लगाने वाले हैं।

तफ़्सीर:

8. अर्थात मानव शरीर की संरचना और उसके अंगों का।

सूरह का नाम : Al-Mursalat   सूरह नंबर : 77   आयत नंबर: 23

وَيۡلٞ يَوۡمَئِذٖ لِّلۡمُكَذِّبِينَ

उस दिन झुठलाने वालों के लिए बड़ा विनाश है।

सूरह का नाम : Al-Mursalat   सूरह नंबर : 77   आयत नंबर: 24

أَلَمۡ نَجۡعَلِ ٱلۡأَرۡضَ كِفَاتًا

क्या हमने धरती को समेटने[9] वाली नहीं बनाया?

तफ़्सीर:

9. अर्थात जब तक लोग जीवित रहते हैं, तो उसके ऊपर रहते तथा बसते हैं और मरण के पश्चात उसी में चले जाते हैं।

सूरह का नाम : Al-Mursalat   सूरह नंबर : 77   आयत नंबर: 25

أَحۡيَآءٗ وَأَمۡوَٰتٗا

जीवित और मृत लोगों को।

सूरह का नाम : Al-Mursalat   सूरह नंबर : 77   आयत नंबर: 26

وَجَعَلۡنَا فِيهَا رَوَٰسِيَ شَٰمِخَٰتٖ وَأَسۡقَيۡنَٰكُم مَّآءٗ فُرَاتٗا

तथा हमने उसमें ऊँचे पर्वत बनाए और हमने तुम्हें मीठा पानी पिलाया।

सूरह का नाम : Al-Mursalat   सूरह नंबर : 77   आयत नंबर: 27

وَيۡلٞ يَوۡمَئِذٖ لِّلۡمُكَذِّبِينَ

उस दिन झुठलाने वालों के लिए बड़ा विनाश है।

सूरह का नाम : Al-Mursalat   सूरह नंबर : 77   आयत नंबर: 28

ٱنطَلِقُوٓاْ إِلَىٰ مَا كُنتُم بِهِۦ تُكَذِّبُونَ

(कहा जाएगा :) उस चीज़ की ओर चलो, जिसे तुम झुठलाते थे।

सूरह का नाम : Al-Mursalat   सूरह नंबर : 77   आयत नंबर: 29

ٱنطَلِقُوٓاْ إِلَىٰ ظِلّٖ ذِي ثَلَٰثِ شُعَبٖ

एक छाया[10] की ओर चलो, जो तीन शाखाओं वाली है।

तफ़्सीर:

10. छाया से अभिप्राय नरक के धुँवे की छाया है, जो तीन दिशाओं में फैली होगी।

सूरह का नाम : Al-Mursalat   सूरह नंबर : 77   आयत नंबर: 30

नूजलेटर के लिए साइन अप करें