कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

إِنَّ ٱلۡمُتَّقِينَ فِي ظِلَٰلٖ وَعُيُونٖ

निश्चय डरने वाले लोग छाँवों तथा स्रोतों में होंगे।

सूरह का नाम : Al-Mursalat   सूरह नंबर : 77   आयत नंबर: 41

وَفَوَٰكِهَ مِمَّا يَشۡتَهُونَ

तथा फलों में, जिसमें से वे चाहेंगे।

सूरह का नाम : Al-Mursalat   सूरह नंबर : 77   आयत नंबर: 42

كُلُواْ وَٱشۡرَبُواْ هَنِيٓـَٔۢا بِمَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ

(तथा उनसे कहा जाएगा :) मज़े से खाओ और पियो, उसके बदले जो तुम किया करते थे।

सूरह का नाम : Al-Mursalat   सूरह नंबर : 77   आयत नंबर: 43

إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجۡزِي ٱلۡمُحۡسِنِينَ

हम सदाचारियों को इसी तरह बदला प्रदान करते हैं।

सूरह का नाम : Al-Mursalat   सूरह नंबर : 77   आयत नंबर: 44

وَيۡلٞ يَوۡمَئِذٖ لِّلۡمُكَذِّبِينَ

उस दिन झुठलाने वालों के लिए बड़ा विनाश है।

सूरह का नाम : Al-Mursalat   सूरह नंबर : 77   आयत नंबर: 45

كُلُواْ وَتَمَتَّعُواْ قَلِيلًا إِنَّكُم مُّجۡرِمُونَ

(ऐ झुठलाने वालो!) तुम खा लो तथा थोड़ा-सा[13] आनंद ले लो। निश्चय तुम अपराधी हो।

तफ़्सीर:

13. अर्थात सांसारिक जीवन में।

सूरह का नाम : Al-Mursalat   सूरह नंबर : 77   आयत नंबर: 46

وَيۡلٞ يَوۡمَئِذٖ لِّلۡمُكَذِّبِينَ

उस दिन झुठलाने वालों के लिए बड़ा विनाश है।

सूरह का नाम : Al-Mursalat   सूरह नंबर : 77   आयत नंबर: 47

وَإِذَا قِيلَ لَهُمُ ٱرۡكَعُواْ لَا يَرۡكَعُونَ

तथा जब उनसे कहा जाता है कि (अल्लाह के आगे) झुको, तो वे नहीं झुकते।

सूरह का नाम : Al-Mursalat   सूरह नंबर : 77   आयत नंबर: 48

وَيۡلٞ يَوۡمَئِذٖ لِّلۡمُكَذِّبِينَ

उस दिन झुठलाने वालों के लिए बड़ा विनाश है।

सूरह का नाम : Al-Mursalat   सूरह नंबर : 77   आयत नंबर: 49

فَبِأَيِّ حَدِيثِۭ بَعۡدَهُۥ يُؤۡمِنُونَ

फिर इस (क़ुरआन) के बाद वे किस बात पर ईमान[14] लाएँगे?

तफ़्सीर:

14. अर्थात जब अल्लाह की अंतिम पुस्तक पर ईमान नहीं लाते, तो फिर कोई दूसरी पुस्तक नहीं हो सकती, जिस पर वे ईमान लाएँ। इसलिए कि अब और कोई पुस्तक आसमान से आने वाली नहीं है।

सूरह का नाम : Al-Mursalat   सूरह नंबर : 77   आयत नंबर: 50

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