कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

وَيۡلٞ لِّلۡمُطَفِّفِينَ

विनाश है नाप-तौल में कमी करने वालों के लिए।

सूरह का नाम : Al-Mutaffifeen   सूरह नंबर : 83   आयत नंबर: 1

ٱلَّذِينَ إِذَا ٱكۡتَالُواْ عَلَى ٱلنَّاسِ يَسۡتَوۡفُونَ

वे लोग कि जब लोगों से नापकर लेते हैं, तो पूरा लेते हैं।

सूरह का नाम : Al-Mutaffifeen   सूरह नंबर : 83   आयत नंबर: 2

وَإِذَا كَالُوهُمۡ أَو وَّزَنُوهُمۡ يُخۡسِرُونَ

और जब उन्हें नापकर या तौलकर देते हैं, तो कम देते हैं।

सूरह का नाम : Al-Mutaffifeen   सूरह नंबर : 83   आयत नंबर: 3

أَلَا يَظُنُّ أُوْلَـٰٓئِكَ أَنَّهُم مَّبۡعُوثُونَ

क्या वे लोग विश्वास नहीं रखते कि वे (मरने के बाद) उठाए जाने वाले हैं?

सूरह का नाम : Al-Mutaffifeen   सूरह नंबर : 83   आयत नंबर: 4

لِيَوۡمٍ عَظِيمٖ

एक बहुत बड़े दिन के लिए।

सूरह का नाम : Al-Mutaffifeen   सूरह नंबर : 83   आयत नंबर: 5

يَوۡمَ يَقُومُ ٱلنَّاسُ لِرَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ

जिस दिन लोग सर्व संसार के पालनहार के सामने खड़े होंगे।[1]

तफ़्सीर:

1. (1-6) इस सूरत की प्रथम छह आयतों में इसी व्यवसायिक विश्वास घात पर पकड़ की गई है कि न्याय तो यह है कि अपने लिए अन्याय नहीं चाहते, तो दूसरों के साथ न्याय करो। और इस रोग का निवारण अल्लाह के भय तथा परलोक पर विश्वास ही से हो सकता है। क्योंकि इस स्थिति में अमानतदारी एक नीति ही नहीं, बल्कि धार्मिक कर्तव्य होगा औ इस पर स्थित रहना लाभ तथा हानि पर निर्भर नहीं रहेगा।

सूरह का नाम : Al-Mutaffifeen   सूरह नंबर : 83   आयत नंबर: 6

كَلَّآ إِنَّ كِتَٰبَ ٱلۡفُجَّارِ لَفِي سِجِّينٖ

हरगिज़ नहीं, निःसंदेह दुराचारियों का कर्म-पत्र "सिज्जीन" में है।

सूरह का नाम : Al-Mutaffifeen   सूरह नंबर : 83   आयत नंबर: 7

وَمَآ أَدۡرَىٰكَ مَا سِجِّينٞ

और तुम क्या जानो कि 'सिज्जीन' क्या है?

सूरह का नाम : Al-Mutaffifeen   सूरह नंबर : 83   आयत नंबर: 8

كِتَٰبٞ مَّرۡقُومٞ

वह एक लिखित पुस्तक है।

सूरह का नाम : Al-Mutaffifeen   सूरह नंबर : 83   आयत नंबर: 9

وَيۡلٞ يَوۡمَئِذٖ لِّلۡمُكَذِّبِينَ

उस दिन झुठलाने वालों के लिए विनाश है।

सूरह का नाम : Al-Mutaffifeen   सूरह नंबर : 83   आयत नंबर: 10

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