कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

نٓۚ وَٱلۡقَلَمِ وَمَا يَسۡطُرُونَ

नून। क़सम है क़लम की तथा उसकी[1] जो वे लिखते हैं।

तफ़्सीर:

1. अर्थात क़ुरआन की। जिसे उतरने के साथ ही नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) लेखकों से लिखवाते थे। जैसे ही कोई सूरत या आयत उतरती, लेखक क़लम तथा चमड़ों और झिल्लियों के साथ उपस्थित हो जाते थे, ताकि पूरे संसार के मनुष्यों को क़ुरआन अपने वास्तविक रूप में पहुँच सके। और सदा के लिए सुरक्षित हो जाए। क्योंकि अब आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पश्चात् कोई नबी और कोई पुस्तक नहीं आएगी। और प्रलय तक के लिए अब पूरे संसार के नबी आप ही हैं। और उनके मार्गदर्शन के लिए क़ुरआन ही एकमात्र धर्म पुस्तक है। इसी लिए इसे सुरक्षित कर दिया गया है। और यह विशेषता किसी भी आकाशीय ग्रंथ को प्राप्त नहीं है। इस लिए अब मोक्ष के लिए अंतिम नबी तथा अंतिम धर्म ग्रंथ क़ुरआन पर ईमान लाना अनिवार्य है।

सूरह का नाम : Al-Qalam   सूरह नंबर : 68   आयत नंबर: 1

مَآ أَنتَ بِنِعۡمَةِ رَبِّكَ بِمَجۡنُونٖ

आप, अपने रब के अनुग्रह से हरगिज़ दीवाना नहीं हैं।

सूरह का नाम : Al-Qalam   सूरह नंबर : 68   आयत नंबर: 2

وَإِنَّ لَكَ لَأَجۡرًا غَيۡرَ مَمۡنُونٖ

तथा निःसंदेह आपके लिए निश्चय ऐसा प्रतिफल है जो निर्बाध है।

सूरह का नाम : Al-Qalam   सूरह नंबर : 68   आयत नंबर: 3

وَإِنَّكَ لَعَلَىٰ خُلُقٍ عَظِيمٖ

तथा निःसंदेह निश्चय आप एक महान चरित्र पर हैं।

सूरह का नाम : Al-Qalam   सूरह नंबर : 68   आयत नंबर: 4

فَسَتُبۡصِرُ وَيُبۡصِرُونَ

अतः शीघ्र ही आप देख लेंगे तथा वे भी देख लेंगे।

सूरह का नाम : Al-Qalam   सूरह नंबर : 68   आयत नंबर: 5

بِأَييِّكُمُ ٱلۡمَفۡتُونُ

कि तुममें से कौन पागलपन से ग्रसित है।

सूरह का नाम : Al-Qalam   सूरह नंबर : 68   आयत नंबर: 6

إِنَّ رَبَّكَ هُوَ أَعۡلَمُ بِمَن ضَلَّ عَن سَبِيلِهِۦ وَهُوَ أَعۡلَمُ بِٱلۡمُهۡتَدِينَ

निःसंदेह आपका पालनहार ही उसे अधिक जानता है, जो उसकी राह से भटक गया तथा वही अधिक जानता है उन्हें, जो सीधे मार्ग पर हैं।

सूरह का नाम : Al-Qalam   सूरह नंबर : 68   आयत नंबर: 7

فَلَا تُطِعِ ٱلۡمُكَذِّبِينَ

अतः आप झुठलाने वालों की बात न मानें।

सूरह का नाम : Al-Qalam   सूरह नंबर : 68   आयत नंबर: 8

وَدُّواْ لَوۡ تُدۡهِنُ فَيُدۡهِنُونَ

वे चाहते हैं काश! आप नरमी करें, तो वे भी नरमी[2] करें।

तफ़्सीर:

2. जब काफ़िर, इस्लाम के प्रभाव को रोकने में असफल हो गए, तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को धमकी और लालच देने के पश्चात्, कुछ लो और कुछ दो की नीति पर आ गए। इस लिए कहा गया कि आप उनकी बातों में न आएँ और परिणाम की प्रतीक्षा करें।

सूरह का नाम : Al-Qalam   सूरह नंबर : 68   आयत नंबर: 9

وَلَا تُطِعۡ كُلَّ حَلَّافٖ مَّهِينٍ

और आप किसी बहुत क़समें खाने वाले, हीन व्यक्ति की बात न मानें।[3]

तफ़्सीर:

3. इन आयतों में किसी विशेष काफ़िर की दशा का वर्णन नहीं, बल्कि काफ़िरों के प्रमुखों के नैतिक पतन तथा कुविचारों और दुराचारों को बताया गया है, जो लोगों को इस्लाम के विरुद्ध उकसा रहे थे। तो फिर क्या इनकी बात मानी जा सकती है?

सूरह का नाम : Al-Qalam   सूरह नंबर : 68   आयत नंबर: 10

नूजलेटर के लिए साइन अप करें