कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

فَكَيۡفَ كَانَ عَذَابِي وَنُذُرِ

फिर कैसी थी मेरी यातना तथा मेरा डराना?

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 21

وَلَقَدۡ يَسَّرۡنَا ٱلۡقُرۡءَانَ لِلذِّكۡرِ فَهَلۡ مِن مُّدَّكِرٖ

और निःसंदेह हमने क़ुरआन को उपदेश ग्रहण करने के लिए आसान बना दिया, तो क्या है कोई उपदेश ग्रहण करने वाला?

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 22

كَذَّبَتۡ ثَمُودُ بِٱلنُّذُرِ

समूद[3] ने डराने वालों को झुठलाया।

तफ़्सीर:

3. यह सालेह (अलैहिस्सलाम) की जाति थी। उन्होंने उनसे चमत्कार की माँग की, तो अल्लाह ने पर्वत से एक ऊँटनी निकाल दी। फिर भी वे ईमान नहीं लाए। क्योंकि उनके विचार से अल्लाह का रसूल कोई मनुष्य नहीं, फ़रिश्ता होना चाहिए था। जैसाकि मक्का के मुश्रिकों का विचार था।

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 23

فَقَالُوٓاْ أَبَشَرٗا مِّنَّا وَٰحِدٗا نَّتَّبِعُهُۥٓ إِنَّآ إِذٗا لَّفِي ضَلَٰلٖ وَسُعُرٍ

तो उन्होंने कहा : क्या हम अपने ही में से एक आदमी का अनुसरण करें? निश्चय ही हम उस समय बड़ी गुमराही और बावलेपन में होंगे।

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 24

أَءُلۡقِيَ ٱلذِّكۡرُ عَلَيۡهِ مِنۢ بَيۡنِنَا بَلۡ هُوَ كَذَّابٌ أَشِرٞ

क्या यह उपदेश हमारे बीच में से उसी पर उतारा गया है? बल्कि वह बड़ा झूठा है, अहंकारी है।

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 25

سَيَعۡلَمُونَ غَدٗا مَّنِ ٱلۡكَذَّابُ ٱلۡأَشِرُ

शीघ्र ही वे कल जान लेंगे कि बहुत झूठा, अहंकारी कौन है?

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 26

إِنَّا مُرۡسِلُواْ ٱلنَّاقَةِ فِتۡنَةٗ لَّهُمۡ فَٱرۡتَقِبۡهُمۡ وَٱصۡطَبِرۡ

निःसंदेह हम यह ऊँटनी उनकी परीक्षा के लिए भेजने वाले हैं। अतः उनकी प्रतीक्षा करो और ख़ूब धैर्य रखो।

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 27

وَنَبِّئۡهُمۡ أَنَّ ٱلۡمَآءَ قِسۡمَةُۢ بَيۡنَهُمۡۖ كُلُّ شِرۡبٖ مُّحۡتَضَرٞ

और उन्हें सूचित कर दो कि पानी उनके बीच बाँट दिया गया है। पीने की प्रत्येक बारी[4] पर उपस्थित हुआ जाएगा।

तफ़्सीर:

4. अर्थात एक दिन जल स्रोत का पानी ऊँटनी पिएगी और एक दिन तुम सब।

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 28

فَنَادَوۡاْ صَاحِبَهُمۡ فَتَعَاطَىٰ فَعَقَرَ

तो उन्होंने अपने साथी को पुकारा। सो उसने (उसे) पकड़ा और उसका वध कर दिया।

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 29

فَكَيۡفَ كَانَ عَذَابِي وَنُذُرِ

फिर कैसी थी मेरी यातना तथा मेरा डराना?

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 30

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