कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

إِنَّآ أَرۡسَلۡنَا عَلَيۡهِمۡ صَيۡحَةٗ وَٰحِدَةٗ فَكَانُواْ كَهَشِيمِ ٱلۡمُحۡتَظِرِ

हमने उनपर एक ही चिंघाड़ भेजी, तो वे बाड़ लगाने वाले की रौंदी हुई बाड़ की तरह हो गए।

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 31

وَلَقَدۡ يَسَّرۡنَا ٱلۡقُرۡءَانَ لِلذِّكۡرِ فَهَلۡ مِن مُّدَّكِرٖ

और निःसंदेह हमने क़ुरआन को उपदेश ग्रहण करने के लिए आसान बना दिया, तो क्या है कोई उपदेश ग्रहण करने वाला?

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 32

كَذَّبَتۡ قَوۡمُ لُوطِۭ بِٱلنُّذُرِ

लूत की जाति ने डराने वालों को झुठला दिया।

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 33

إِنَّآ أَرۡسَلۡنَا عَلَيۡهِمۡ حَاصِبًا إِلَّآ ءَالَ لُوطٖۖ نَّجَّيۡنَٰهُم بِسَحَرٖ

निःसंदेह हमने उनपर पत्थर बरसाने वाली एक हवा भेजी, सिवाय लूत के घरवालों के। उन्हें हमने भोर से कुछ पहले ही बचा लिया।

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 34

نِّعۡمَةٗ مِّنۡ عِندِنَاۚ كَذَٰلِكَ نَجۡزِي مَن شَكَرَ

अपनी ओर से (विशेष) अनुग्रह करते हुए। इसी प्रकार हम उसे बदला देते हैं, जो धन्यवाद करे।

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 35

وَلَقَدۡ أَنذَرَهُم بَطۡشَتَنَا فَتَمَارَوۡاْ بِٱلنُّذُرِ

और निःसंदेह उसने उन्हें हमारी पकड़ से डराया, तो उन्होंने डराने में संदेह किया।

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 36

وَلَقَدۡ رَٰوَدُوهُ عَن ضَيۡفِهِۦ فَطَمَسۡنَآ أَعۡيُنَهُمۡ فَذُوقُواْ عَذَابِي وَنُذُرِ

और निःसंदेह उन्होंने उसे उसके अतिथियों से बहकाने[5] का प्रयास किया, तो हमने उनकी आँखें मेट दीं। अतः मेरी यातना और मेरी चेतावनी का मज़ा चखो।

तफ़्सीर:

5. अर्थात उन्होंने लूत (अलैहिस्सलाम) से अपने दुराचार के लिए फ़रिश्तों को, जो सुंदर युवकों के रूप में आए थे, अपने सुपुर्द करने की माँग की।

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 37

وَلَقَدۡ صَبَّحَهُم بُكۡرَةً عَذَابٞ مُّسۡتَقِرّٞ

और निःसंदेह सुबह सवेरे ही उनपर एक न टलने वाली यातना आ पहुँची।

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 38

فَذُوقُواْ عَذَابِي وَنُذُرِ

अतः मेरे अज़ाब और मेरे डराने का स्वाद चखो।

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 39

وَلَقَدۡ يَسَّرۡنَا ٱلۡقُرۡءَانَ لِلذِّكۡرِ فَهَلۡ مِن مُّدَّكِرٖ

और निःसंदेह हमने क़ुरआन को उपदेश ग्रहण करने के लिए आसान बना दिया, तो क्या है कोई उपदेश ग्रहण करने वाला?

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 40

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