कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

وَلَقَدۡ جَآءَ ءَالَ فِرۡعَوۡنَ ٱلنُّذُرُ

तथा निःसंदेह फ़िरऔनियों के पास डराने वाले आए।

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 41

كَذَّبُواْ بِـَٔايَٰتِنَا كُلِّهَا فَأَخَذۡنَٰهُمۡ أَخۡذَ عَزِيزٖ مُّقۡتَدِرٍ

उन्होंने हमारी सब निशानियों को झुठला दिया, तो हमने उन्हें पकड़ लिया, जिस प्रकार सब पर प्रभुत्वशाली, सबसे शक्तिशाली पकड़ता है।

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 42

أَكُفَّارُكُمۡ خَيۡرٞ مِّنۡ أُوْلَـٰٓئِكُمۡ أَمۡ لَكُم بَرَآءَةٞ فِي ٱلزُّبُرِ

क्या तुम्हारे काफ़िर उन लोगों से बेहतर हैं, या तुम्हारे लिए (पहली) पुस्कतों में कोई मुक्ति लिखी हुई है?

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 43

أَمۡ يَقُولُونَ نَحۡنُ جَمِيعٞ مُّنتَصِرٞ

या वे कहते हैं कि हम एक जत्था हैं, जो बदला लेकर रहने वाले हैं?

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 44

سَيُهۡزَمُ ٱلۡجَمۡعُ وَيُوَلُّونَ ٱلدُّبُرَ

शीध्र ही यह समूह पराजित कर दिया जाएगा और ये लोग पीठ दिखाकर भागेंगे।[6]

तफ़्सीर:

6. इसमें मक्का के काफ़िरों की पराजय की भविष्यवाणी है, जो बद्र के युद्ध में पूरी हुई। ह़दीस में है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) बद्र के दिन एक ख़ेमे में अल्लाह से प्रार्थना कर रहे थे। फिर यही आयत पढ़ते हुए निकले। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4875)

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 45

بَلِ ٱلسَّاعَةُ مَوۡعِدُهُمۡ وَٱلسَّاعَةُ أَدۡهَىٰ وَأَمَرُّ

बल्कि क़यामत ही उनके वादे का समय है और क़ियामत कहीं बड़ी विपत्ति और अधिक कड़वी है।

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 46

إِنَّ ٱلۡمُجۡرِمِينَ فِي ضَلَٰلٖ وَسُعُرٖ

निश्चय अपराधी लोग बड़ी गुमराही और यातना में हैं।

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 47

يَوۡمَ يُسۡحَبُونَ فِي ٱلنَّارِ عَلَىٰ وُجُوهِهِمۡ ذُوقُواْ مَسَّ سَقَرَ

जिस दिन वे आग में अपने चेहरों के बल घसीटे जाएँगे। (कहा जाएगा :) जहन्नम की यातना का मज़ा चखो।

तफ़्सीर:

(1) یہ کام بھی وہی کرے گا جس میں مذکورہ خوبیاں ہوں گی ورنہ یہ یتیم کی طرح مسکین کو بھی دھکا ہی دے گا۔

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 48

إِنَّا كُلَّ شَيۡءٍ خَلَقۡنَٰهُ بِقَدَرٖ

निःसंदेह हमने प्रत्येक वस्तु को एक अनुमान के साथ पैदा किया है।

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 49

وَمَآ أَمۡرُنَآ إِلَّا وَٰحِدَةٞ كَلَمۡحِۭ بِٱلۡبَصَرِ

और हमारा आदेश तो केवल एक बार होता है, जैसे आँख की एक झपक।[7]

तफ़्सीर:

7. अर्थात प्रलय होने में देर नहीं होगी। अल्लाह का आदेश होते ही तत्क्षण प्रलय आ जाएगी।

सूरह का नाम : Al-Qamar   सूरह नंबर : 54   आयत नंबर: 50

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